2 इतिहास 29 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

2 इतिहास 29:1-36

हिज़किय्याह राजा बनता और मंदिर को शुद्ध करता है

1जब हिज़किय्याह राजा बना, उसकी उम्र पच्चीस साल थी. येरूशलेम में उसने उनतीस साल शासन किया. उसकी माता का नाम अबीयाह था, वह ज़करयाह की पुत्री थी. 2उसने वही किया, जो याहवेह की दृष्टि में सही था. वैसा ही, जैसा उसके पूर्वज दावीद ने किया था.

3अपने शासन के पहले साल, पहले महीने में ही उसने याहवेह के भवन के फाटक खोल दिए और उनमें ज़रूरी सुधार भी किए. 4उसने पुरोहितों और लेवियों को पूर्वी चौक में इकट्ठा किया. 5राजा हिज़किय्याह ने उन्हें कहा: “आप जो लेवी हैं ध्यान से सुनिए! अब अपने आपको शुद्ध करो, याहवेह, अपने पूर्वजों के परमेश्वर के भवन को पवित्र करो और पवित्र स्थान से अशुद्धता को निकाल डालो. 6हमारे पूर्वज सच्चे नहीं थे. उन्होंने वह सब किया, जो याहवेह, हमारे परमेश्वर की दृष्टि में बुरा है. उन्होंने उनको त्याग दिया. वे याहवेह के घर से दूर हो गए, और इसे पीठ ही दिखा दी है. 7उन्होंने तो ओसारे के द्वार बंद कर दिए हैं, दीप बुझा दिए हैं और इस्राएल के परमेश्वर के पवित्र स्थान पर धूप जलाना और होमबलि चढ़ाना छोड़ रखा है. 8इसलिये यहूदिया और येरूशलेम याहवेह के क्रोध के पात्र हो गए; फलस्वरूप जैसा आप देख ही रहे हैं, याहवेह ने इन्हें घृणा और आतंक का विषय बना दिया है. 9आपने देखा कि हमारे पूर्वज तलवार से घात किए गए हैं और हमारे पुत्र, पुत्रियों और पत्नियां इसके कारण बंदी बना ली गईं. 10अब मेरी इच्छा यह है कि मैं याहवेह इस्राएल के परमेश्वर के साथ एक वाचा बांधूं, कि उनका भड़का हुआ क्रोध हम पर से हट जाए. 11मेरे पुत्रों, अब उपेक्षा को त्याग दो, क्योंकि याहवेह ने तुम्हें चुन लिया है कि तुम उनके सामने खड़े रहो, उनकी सेवा करो और उनके सेवक होकर उनके सामने धूप जलाओ.”

12यह सुनकर ये लेवी लोग सेवा के लिए:

आगे आ गये कोहाथ के वंशजों में से:

आमासाई का पुत्र माहाथ और अज़रियाह का पुत्र योएल;

मेरारी के वंशजों में से:

अबदी का पुत्र कीश और येहालेलेल का पुत्र अज़रियाह;

गेरशोन के वंशजों में से:

ज़िम्माह का पुत्र योआह और योआह का पुत्र एदेन;

13एलिज़ाफ़ान के वंशजों में से:

शिमरी और येइएल;

आसफ के वंशजों में से:

ज़करयाह और मत्तनियाह;

14हेमान के वंशजों में से:

येहिएल और शिमेई;

यदूथून के वंशजों में से:

शेमायाह और उज्ज़िएल.

15इन सभी ने अपने भाइयों को इकट्ठा किया, अपने आपको पवित्र किया और राजा के आदेश पर याहवेह के भवन को शुद्ध करने के उद्देश्य से उसमें प्रवेश किया, कि याहवेह द्वारा निर्धारित विधि से यह काम पूरा किया जाए. 16तब पुरोहितों ने याहवेह के भवन के भीतरी कमरे में प्रवेश किया, कि इसे शुद्ध करने का काम शुरू किया जाए. वहां उन्होंने हर एक वस्तु को, जो स्वच्छ नहीं थी, याहवेह के भवन से बाहर और याहवेह के भवन के आंगन में लाया; फिर लेवी इन्हें किद्रोन घाटी में ले गए. 17पहले महीने के पहले दिन उन्होंने पवित्र करने का काम शुरू कर दिया. महीने के आठवें दिन उन्होंने याहवेह के ओसारे में प्रवेश किया. इसके बाद याहवेह के भवन को उन्होंने अगले आठ दिनों में पवित्र किया और पहले महीने के सोलहवें दिन सारा काम पूरा हो गया.

18तब वे राजा हिज़किय्याह के सामने गए और उन्होंने बताया, हमने याहवेह के पूरे भवन को शुद्ध कर दिया है, होमबलि की वेदी, उससे संबंधित सारे बर्तन, भेंट की रोटी की मेज़ और उससे संबंधित सारे बर्तन. 19इसके अलावा, वे सारे बर्तन, जिन्हें राजा आहाज़ ने अपने विश्वासघात में अपने शासनकाल में फेंक दिए थे, हमने ठीक कर शुद्ध कर दिए हैं. आप देख लीजिए, ये सभी याहवेह की वेदी के सामने रखे हुए हैं.

20अगले दिन राजा हिज़किय्याह सुबह-सुबह उठा, नगर के शासकों को इकट्ठा किया और वे सभी याहवेह के भवन को गए. 21वे अपने साथ सात बछड़े, सात मेढ़े, सात मेमने और सात बकरे ले गए, कि वे अपने राज्य के लिए, पवित्र स्थान के लिए और यहूदिया के लिए बलि चढ़ाएं. राजा ने अहरोन के वंशज पुरोहितों को आदेश दिया कि वे इन्हें याहवेह की वेदी पर चढ़ाएं. 22तब बछड़ों का वध किया गया और पुरोहितों ने उनका लहू वेदी पर छिड़का; उन्होंने मेढ़ों का भी वध किया और उनका लहू भी वेदी पर छिड़क दिया; उन्होंने मेमनों का भी वध किया और उनका लहू वेदी पर छिड़क दिया. 23तब वे पापबलि के लिए राजा और सभा के सामने पापबलि के लिए ठहराए गए बकरे लेकर आए और उन पर अपने हाथ रखे. 24पुरोहितों ने उनका वध किया, उनके लहू को वेदी पर छिड़का कि सारे इस्राएलियों के लिए प्रायश्चित किया जाए, क्योंकि राजा का आदेश था कि होमबलि और पापबलि सारे इस्राएल के लिए चढ़ाई जाए.

25इसके बाद उसने, याहवेह के भवन में दावीद, और राजा का दर्शी गाद और भविष्यद्वक्ता नाथान के आदेश के अनुसार झांझ, सारंगी और वीणाओं के लिए लेवी चुने, क्योंकि यह भविष्यवक्ताओं द्वारा घोषित याहवेह की आज्ञा थी. 26दावीद द्वारा बनवाए वाद्य लिए हुए लेवी खड़े थे और पुरोहित नरसिंगे.

27इसी समय हिज़किय्याह ने आदेश दिया कि वेदी पर होमबलि चढ़ाई जाए. जब होमबलि चढ़ाना शुरू हुई, नरसिंगों की आवाजों के साथ याहवेह के लिए स्तुतिगान भी शुरू हो गया. इनके अलावा इस्राएल के राजा दावीद द्वारा बनवाए वाद्य भी बजाए जा रहे थे. 28सारी सभा आराधना में लीन थी, गायक गा रहे थे और नरसिंगे बजाए जा रहे थे. यह सब उस समय तक होता रहा जब तक होमबलि का काम पूरा न हो गया.

29होमबलि खत्म हो जाने पर राजा और उसके साथ उपस्थित सभी व्यक्तियों ने झुककर आराधना की. 30इसके अलावा राजा हिज़किय्याह और उपस्थित अधिकारियों ने आदेश दिया, कि दावीद और दर्शी आसफ की गीत रचनाओं द्वारा लेवी याहवेह की स्तुति करें. तब उन्होंने बड़ी खुशी से स्तुति की और झुक-झुक कर आराधना की.

31यह होने पर हिज़किय्याह ने उन्हें कहा, “अब इसलिये कि आप लोगों ने स्वयं को याहवेह के लिए पवित्र कर लिया है,” निकट आकर याहवेह के भवन में बलि और धन्यवाद की भेंट चढ़ाइए. तब सारी सभा बलियां और धन्यवाद की भेंटें लेकर आ गई और जिन्होंने चाहा वे होमबलियां चढ़ाने आ गए.

32सभा द्वारा चढ़ाई गई होमबलियों की गिनती उस दिन इस तरह थी: सत्तर बछड़े, सौ बैल, और दो सौ मेमने. ये सभी पशु याहवेह को होमबलि के लिए थे. 33शुद्ध किए हुए पशुओं की संख्या इस प्रकार थी: छः सौ बैल और तीन हज़ार भेड़ें. 34मगर इनके लिए पुरोहितों की संख्या कम साबित हुई फलस्वरूप होमबलि के पहले पशुओं की खाल उतारना संभव न हो सका. इसलिये लेवी आकर इसमें उनकी सहायता तब तक करते रहे, जब तक यह काम खत्म न हो गया और जब तक बाकी पुरोहितों ने अपने आपको शुद्ध न कर लिया. क्योंकि यह देखा गया कि स्वयं को शुद्ध करने के लिए पुरोहितों की तुलना में लेवी अधिक सीधे मन के थे. 35बड़ी संख्या में होमबलि के अलावा वहां मेल बलि में से बची रह गई चर्बी और पेय बलि भी थी.

इस प्रकार याहवेह के भवन में आराधना दोबारा शुरू की गई. 36हिज़किय्याह और सारी प्रजा बहुत ही खुश थी कि परमेश्वर ने बहुत ही जल्दी उनके लिए यह सब कर दिया था.

New Arabic Version

أخبار الأيام الثاني 29:1-36

حزقيا يطهر الهيكل

1عِنْدَمَا تَوَلَّى حَزَقِيَّا الْمُلْكَ كَانَ فِي الْخَامِسَةِ وَالْعِشْرِينَ مِنْ عُمْرِهِ، وَدَامَ حُكْمُهُ تِسْعاً وَعِشْرِينَ سَنَةً فِي أُورُشَلِيمَ، وَاسْمُ أُمِّهِ أَبِيَّةُ بِنْتُ زَكَرِيَّا. 2وَصَنَعَ مَا هُوَ قَوِيمٌ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ عَلَى غِرَارِ دَاوُدَ أَبِيهِ. 3وَفِي الشَّهْرِ الأَوَّلِ مِنَ السَّنَةِ الأُولَى مِنْ مُلْكِهِ فَتَحَ أَبْوَابَ الْهَيْكَلِ وَرَمَّمَهَا.

4وَأَدْخَلَ الْكَهَنَةَ وَاللّاوِيِّينَ وَجَمَعَهُمْ فِي سَاحَةِ الْهَيْكَلِ الشَّرْقِيَّةِ، 5وَقَالَ لَهُمْ: «أَصْغُوا إِلَيَّ أَيُّهَا اللّاوِيُّونَ، تَقَدَّسُوا الآنَ، وَقَدِّسُوا بَيْتَ الرَّبِّ إِلَهِ آبَائِكُمْ، وَأَزِيلُوا النَّجَاسَةَ مِنَ الْقُدْسِ، 6لأَنَّ آبَاءَنَا خَانُوا الرَّبَّ إِلَهَنَا، وَارْتَكَبُوا الشَّرَّ فِي عَيْنَيْهِ وَتَرَكُوهُ، وَحَوَّلُوا وُجُوهَهُمْ عَنْ هَيْكَلِهِ وَأَدَارُوا لَهُ ظُهُورَهُمْ، 7وَأَغْلَقُوا أَيْضاً أَبْوَابَ الرَّوَاقِ، وَأَطْفَأُوا السُّرُجَ، وَلَمْ يُوْقِدُوا بَخُوراً، وَلَمْ يُقَرِّبُوا مُحْرَقَةً فِي القُدْسِ، لإِلَهِ إِسْرَائِيلَ. 8فَانْصَبَّ غَضَبُ الرَّبِّ عَلَى يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ، وَجَعَلَهُمْ مَحَلَّ رُعْبٍ وَدَهْشَةٍ وَاحْتِقَارٍ، كَمَا أَنْتُمْ تَشْهَدُونَ الآنَ. 9وَهُوَذَا آبَاؤُنَا قَدْ سَقَطُوا صَرْعَى السَّيْفِ، وَأَبْنَاؤُنَا وَبَنَاتُنَا وَنِسَاؤُنَا فِي الأَسْرِ مِنْ جَرَّاءِ هَذَا. 10لِذَلِكَ قَرَّرْتُ أَنْ أَقْطَعَ عَهْداً مَعَ الرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ فَيَرُدُّ عَنَّا لَهِيبَ غَضَبِهِ. 11يَا بَنِيَّ لَا تَضِلُّوا الآنَ، فَقَدِ اخْتَارَكُمُ الرَّبُّ لِتَمْثُلُوا أَمَامَهُ عَابِدِينَ خَادِمِينَ، وَمُوْقِدِينَ لَهُ».

12عِنْدَئِذٍ قَامَ اللّاوِيُّونَ: مَحَثُ بْنُ عَمَاسَايَ وَيُوئِيلُ بْنُ عَزَرْيَا مِنْ ذُرِّيَّةِ الْقَهَاتِيِّينَ، وَقَيْسُ بْنُ عَبْدِي وَعَزَرْيَا بْنُ يَهْلَلْئِيلَ مِنْ ذُرِّيَّةِ الْمَرَارِيِّينَ، وَيُوآخُ بْنُ زِمَّةَ وَعِيدَنُ بْنُ يُوآخَ مِنْ ذُرِّيَّةِ الْجَرْشُونِيِّينَ. 13وَمِنْ عَشِيرَةِ أَلِيصَافَانَ: شِمْرِى وَيَعِيئِيلُ، وَمِنْ ذُرِّيَّةِ آسَافَ: زَكَرِيَّا وَمَتَّنْيَا. 14وَمِنْ ذُرِّيَّةِ هَيْمَانَ: يَحِيئِيلُ وَشِمْعِي، وَمِنْ ذُرِّيَّةِ يَدُوثُونَ: شَمْعِيَا وَعُزِّيئِيلُ. 15وَجَمَعُوا أَقْرِبَاءَهُمُ اللّاوِيِّينَ، وَتَقَدَّسُوا، وَبَدَأُوا يُطَهِّرُونَ الْهَيْكَلَ بِمُوْجِبِ أَمْرِ الْمَلِكِ، وَكَمَا نَصَّتْ عَلَيْهِ شَرِيعَةُ الرَّبِّ. 16وَدَخَلَ الْكَهَنَةُ إِلَى قُدْسِ الْهَيْكَلِ لِيُطَهِّرُوهُ، وَأَخْرَجُوا مِنْهُ كُلَّ النَّجَاسَةِ الَّتِي وَجَدُوهَا فِي الْهَيْكَلِ إِلَى فِنَاءِ الْهَيْكَلِ، فَأَخَذَهَا اللّاوِيُّونَ وَطَرَحُوهَا فِي وَادِي قَدْرُونَ خَارِجَ الْمَدِينَةِ. 17وَشَرَعُوا فِي التَّقْدِيسِ فِي أَوَّلِ الشَّهْرِ الأَوَّلِ، وَانْتَهَوْا فِي الْيَوْمِ الثَّامِنِ إِلَى رِوَاقِ الرَّبِّ. وَهَكَذَا طَهَّرُوهُ فِي ثَمَانِيَةِ أَيَّامٍ، وَتَمَّ تَقْدِيسُ هَيْكَلِ الرَّبِّ بِكَامِلِهِ فِي الْيَوْمِ السَّادِسَ عَشَرَ مِنَ الشَّهْرِ الأَوَّلِ. 18وَمَثَلَ اللّاوِيُّونَ فِي حَضْرَةِ حَزَقِيَّا قَائِلِينَ: «قَدْ طَهَّرْنَا كُلَّ هَيْكَلِ الرَّبِّ وَمَذْبَحَ الْمُحْرَقَةِ وَكُلَّ آنِيَتِهِ، وَمَائِدَةَ خُبْزِ التَّقْدِمَةِ وَكُلَّ آنِيَتِهَا، 19وَسَائِرَ الأَوَانِي الَّتِي أَزَالَهَا الْمَلِكُ آحَازُ فِي أَثْنَاءِ فَتْرَةِ حُكْمِهِ الَّتِي خَانَ فِيهَا الرَّبَّ، وَأَعْدَدْنَاهَا وَقَدَّسْنَاهَا، وَهَا هِيَ أَمَامَ مَذْبَحِ الرَّبِّ».

20وَفِي الصَّبَاحِ التَّالِي اسْتَدْعَى حَزَقِيَّا الْمَلِكُ رُؤَسَاءَ الْمَدِينَةِ، وَتَوَجَّهَ إِلَى هَيْكَلِ الرَّبِّ.

21فَقَدَّمُوا سَبْعَةَ ثِيرَانٍ وَسَبْعَةَ كِبَاشٍ وَسَبْعَةَ خِرَافٍ وَسَبْعَةَ تُيُوسِ مِعْزَى لِتَكُونَ ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ عَنِ الْمَمْلَكَةِ وَعَنِ الْمَقْدِسِ وَعَنْ يَهُوذَا. وَطَلَبَ الْمَلِكُ مِنَ الْكَهَنَةِ الْمُنْحَدِرِينَ مِنْ ذُرِّيَّةِ هرُونَ أَنْ يُقَرِّبُوهَا عَلَى مَذْبَحِ الرَّبِّ، 22فَذَبَحُوا الثِّيرَانَ أَوَّلاً ثُمَّ الْكِبَاشَ ثُمَّ الْخِرْفَانَ، وَرَشُّوا دَمَ كُلِّ ذَبِيحَةٍ بِدَوْرِهَا عَلَى الْمَذْبَحِ. 23بَعْدَ ذَلِكَ جَاءُوا بِتُيُوسِ ذَبِيحَةِ الْخَطِيئَةِ وَأَقَامُوهَا أَمَامَ الْمَلِكِ وَالْحَاضِرِينَ مَعَهُ، فَوَضَعُوا أَيْدِيَهُمْ عَلَيْهَا. 24وَذَبَحَهَا الْكَهَنَةُ، وَكَفَّرُوا بِدَمِهَا عَلَى الْمَذْبَحِ عَنْ جَمِيعِ إِسْرَائِيلَ، لأَنَّ الْمَلِكَ أَمَرَ أَنْ تَكُونَ الْمُحْرَقَةُ وَذَبِيحَةُ الْخَطِيئَةِ عَنْ كُلِّ إِسْرَائِيلَ. 25وَأَوْقَفَ حَزَقِيَّا الْمَلِكُ اللّاوِيِّينَ فِي هَيْكَلِ الرَّبِّ بِالصُّنُوجِ وَالرَّبَابِ وَالأَعْوَادِ، بِمُقْتَضَى أَمْرِ دَاوُدَ وَجَادَ النَّبِيِّ وَنَاثَانَ النَّبِيِّ، تَلْبِيَةً لِوَصَايَا الرَّبِّ الَّتِي نَطَقَ بِها عَلَى لِسَانِ أَنْبِيَائِهِ، 26فَوَقَفَ اللّاوِيُّونَ بِآلاتِ دَاوُدَ، وَالْكَهَنَةُ بِالأَبْوَاقِ. 27وَأَمَرَ حَزَقِيَّا بِتَقْرِيبِ الْمُحْرَقَةِ عَلَى الْمَذْبَحِ. وَمَا إِنِ ابْتَدَأَ تَقْدِيمُ الْمُحْرَقَةِ حَتَّى ارْتَفَعَ نَشِيدُ الرَّبِّ مَصْحُوباً بِالْعَزْفِ عَلَى الأَبْوَاقِ وَآلاتِ دَاوُدَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ. 28وَرَاحَ كُلُّ الْحَاضِرِينَ يَشْتَرِكُونَ فِي الْعِبَادَةِ، وَأَخَذَ الْمُغَنُّونَ يَشْدُونَ، وَالْمُبَوِّقُونَ يَنْفُخُونَ بِالأَبْوَاقِ، إِلَى أَنِ انْتَهَى تَقْدِيمُ الْمُحْرَقَةِ. 29عِنْدَئِذٍ سَجَدَ الْمَلِكُ وَسَائِرُ الْمَاثِلِينَ مَعَهُ وَعَبَدُوا الرَّبَّ. 30وَطَلَبَ حَزَقِيَّا الْمَلِكُ وَالرُّؤَسَاءُ مِنَ اللّاوِيِّينَ أَنْ يُسَبِّحُوا الرَّبَّ بِتَرَانِيمِ دَاوُدَ وَآسَافَ النَّبِيِّ، فَرَتَّلُوا بِابْتِهَاجٍ، وَسَجَدُوا وَعَبَدُوا الرَّبَّ.

31ثُمَّ قَالَ حَزَقِيَّا لِلْحَاضِرِينَ: «الآنَ قَدْ كَرَّسْتُمْ أَنْفُسَكُمْ لِلرَّبِّ، فَهَاتُوا ذَبَائِحَ وَقَرَابِينَ الشُّكْرِ لِهَيْكَلِ الرَّبِّ». فَأَقْبَلَتِ الْجَمَاعَةُ بِذَبَائِحَ وَقَرَابِينِ شُكْرٍ، وَأَتَى كُلُّ سَخِيٍّ بِمُحْرَقَاتٍ. 32وَبَلَغَتْ جُمْلَةُ مَا تَقَدَّمَتْ بِهِ الْجَمَاعَةُ مِنْ مُحْرَقَاتٍ سَبْعِينَ ثَوْراً وَمِئَةَ كَبْشٍ وَمِئَتَيْ خَرُوفٍ، قُرِّبَتْ جَمِيعُهَا مُحْرَقَاتٍ لِلرَّبِّ. 33أَمَّا الذَّبَائِحُ الْمُخَصَّصَةُ كَأَقْدَاسٍ فَقَدْ بَلَغَ عَدَدُهَا سِتَّ مِئَةٍ مِنَ الْبَقَرِ وَثَلاثَةَ آلافٍ مِنَ الضَّأْنِ. 34وَلَمَّا كَانَ عَدَدُ الْكَهَنَةِ غَيْرَ كَافٍ لِلْقِيَامِ بِسَلْخِ كُلِّ تِلْكَ الْمُحْرَقَاتِ، سَاعَدَهُمُ اللّاوِيُّونَ حَتَّى اكْتَمَلَ الْعَمَلُ، وَحَتَّى تَطَهَّرَ بَقِيَّةُ الْكَهَنَةِ، لأَنَّ اللّاوِيِّينَ كَانُوا أَكْثَرَ اهْتِمَاماً بِتَطْهِيرِ أَنْفُسِهِمْ مِنَ الْكَهَنَةِ. 35وَفَضْلاً عَنِ الْمُحْرَقَاتِ الْكَثِيرَةِ فَقَدْ تَوَافَرَ شَحْمُ ذَبَائِحِ السَّلامِ وَسَكَائِبُ خَمْرِ الْمُحْرَقَاتِ. وَهَكَذَا عَادَتِ الْعِبَادَةُ فِي الْهَيْكَلِ إِلَى سَابِقِ عَهْدِهَا. 36وَابْتَهَجَ حَزَقِيَّا وَجَمِيعُ الشَّعْبِ بِمَا أَنْعَمَ الرَّبُّ بِهِ عَلَيْهِمْ، لأَنَّ الأَمْرَ حَدَثَ بِصُورَةٍ مُفَاجِئَةٍ.