पत्र का उद्देश्य
1प्रिय भाई बहनो, मेरी ओर से यह तुम्हें दूसरा पत्र है. इन दोनों पत्रों के द्वारा मैं तुम्हें दोबारा याद दिलाते हुए तुम्हारे निर्मल मन को छलकाना चाहता हूं. 2यह तुम्हारे लिए ज़रूरी है कि तुम पवित्र भविष्यद्वक्ताओं द्वारा पहले से कही बातों तथा प्रेरितों के माध्यम से दिए गए हमारे प्रभु व उद्धारकर्ता के आदेशों को याद करो.
3सबसे पहले, तुम्हारे लिए यह समझ लेना ज़रूरी है कि अंतिम दिनों में अपनी ही वासनाओं द्वारा नियंत्रित ठट्ठा करनेवालों का आगमन होगा, 4जो ठट्ठा करते हुए यह कहेंगे: “क्या हुआ प्रभु के दूसरे आगमन की प्रतिज्ञा का? पूर्वजों की मृत्यु से अब तक सब कुछ वैसा ही चल रहा है जैसा सृष्टि के प्रारंभ से था.” 5जब वे जानबूझकर यह भूल जाते हैं कि प्राचीन काल में परमेश्वर के शब्द मात्र द्वारा आकाशमंडल अस्तित्व में आया तथा शब्द ही के द्वारा जल में से, जल के द्वारा ही पृथ्वी की रचना हुई. 6यह उनके ठट्ठे का ही परिणाम था कि उस समय का संसार जल की बाढ़ के द्वारा नाश किया गया. 7इसी शब्द के द्वारा वर्तमान आकाशमंडल तथा पृथ्वी अग्नि के लिए रखे गए तथा न्याय के दिन पर अधर्मियों के नाश के लिए सुरक्षित रखे जा रहे है.
8किंतु प्रिय भाई बहनो, इस बात को कभी भूलने न देना कि प्रभु के सामने एक दिन एक हज़ार वर्ष और हज़ार वर्ष एक दिन के बराबर हैं. 9प्रभु अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करने में देर नहीं करते जैसा कुछ लोगों का विचार है. वह तुम्हारे प्रति धीरज धरते हैं और नहीं चाहते कि किसी का भी विनाश हो परंतु यह कि सभी को पाप से मन फिराने का सुअवसर प्राप्त हो.
10प्रभु का दिन चोर के समान अचानक से आएगा, जिसमें आकाशमंडल गड़गड़ाहट की तेज आवाज करते हुए नष्ट हो जाएगा, तत्व बहुत ही गर्म होकर पिघल जाएंगे तथा पृथ्वी और उस पर किए गए सभी काम प्रकट हो जाएंगे.
11जब इन सभी वस्तुओं का इस रीति से नाश होना निश्चित है तो पवित्र चालचलन तथा भक्ति में तुम्हारा किस प्रकार के व्यक्ति होना सही है, 12जब तुम परमेश्वर के दिन के लिए ऐसी लालसा में इंतजार कर रहे हो, मानो उसे गति प्रदान कर रहे हो तो इस बात के प्रकाश में जब आकाशमंडल आग से नाश कर दिया जाएगा तथा तेज गर्मी के कारण तत्व पिघल जाएंगे 13प्रभु की प्रतिज्ञा के अनुसार हम नए आकाश और नई पृथ्वी की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जहां धार्मिकता का वास है.
14इसलिये प्रिय भाई बहनो, जब तुम उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हो, कोशिश करो कि प्रभु की दृष्टि में निष्कलंक तथा निर्दोष पाए जाओ तथा तुममें उनकी शांति का वास हो. 15हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो—ठीक जैसे हमारे प्रिय भाई पौलॉस ने उन्हें दिए गए ज्ञान के अनुसार तुम्हें लिखा है, 16जैसे उन्होंने अपने सभी पत्रों में भी इन्हीं विषयों का वर्णन किया है, जिनमें से कुछ विषय समझने में कठिन हैं, जिन्हें अस्थिर तथा अनपढ़ लोग बिगाड़ देते हैं—जैसा कि वे शेष पवित्र शास्त्र के साथ भी करते हैं; जिससे वे स्वयं अपना ही विनाश कर लेते हैं.
17इसलिये प्रिय भाई बहनो, यह सब पहले से जानते हुए सचेत रहो. ऐसा न हो कि अधर्मियों की गलत शिक्षा में बहककर स्थिरता से तुम गिर न जाओ. 18हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता मसीह येशु के अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाओ.
उनकी महिमा अब भी और युगानुयुग होती रहे! आमेन.