1 शमुएल 7 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

1 शमुएल 7:1-17

1तब किरयथ-यआरीम से कुछ लोग आए और याहवेह के संदूक को वहां से ले जाकर पर्वत पर बने अबीनादाब के घर में रख दिया. उन्होंने याहवेह के संदूक की देखरेख के लिए अबीनादाब के पुत्र एलिएज़र का अभिषेक किया. 2लंबे समय तक लगभग बीस वर्ष तक, संदूक किरयथ-यआरीम में ही रहा.

शमुएल इस्राएल के न्यायाध्यक्ष

अब सारे इस्राएल राष्ट्र को याहवेह की चाह होने लगी थी. 3शमुएल ने समस्त इस्राएली राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “यदि तुम हृदय की गहराई से याहवेह की ओर फिर रहे हो, तो अपने बीच से सारे पराए देवताओं तथा अश्तोरेथ की प्रतिमाओं को हटाकर दूर कर दो. अपना हृदय याहवेह को समर्पित कर सिर्फ उन्हीं की वंदना करते रहो. तब याहवेह तुम्हें फिलिस्तीनियों के सताने से मुक्त करेंगे.” 4तब इस्राएलियों ने अपने मध्य से सारे पराए देवताओं और अश्तोरेथ की मूर्तियों का त्याग कर दिया तथा वे सिर्फ याहवेह ही की वंदना करने लगे.

5तब शमुएल ने उन्हें आदेश दिया, “सारा इस्राएल मिज़पाह नामक स्थान पर एकत्र हो, कि मैं तुम्हारे लिए याहवेह से प्रार्थना करूं.” 6वे सभी मिज़पाह में इकट्ठा हो गए और उन्होंने जल निकाला और याहवेह के सामने उंडेल दिया. उस दिन उन्होंने उपवास किया और यह स्वीकार किया, “हमने याहवेह के विरुद्ध पाप किया है.” मिज़पाह ही वह स्थान था, जहां से शमुएल ने इस्राएल राष्ट्र के न्यायाध्यक्ष के पद पर काम करना शुरू किया.

7जब फिलिस्तीनियों को यह समाचार प्राप्‍त हुआ कि इस्राएली मिज़पाह क्षेत्र में एकत्र हो गए हैं, फिलिस्तीनी प्रधानों ने इस्राएल के विरुद्ध मोर्चा बांधा. जब इस्राएलियों को इसके विषय में सूचना प्राप्‍त हुई, वे फिलिस्तीनियों से डरने लगे. 8उन्होंने शमुएल से आग्रह किया, “हमारी ओर से याहवेह हमारे परमेश्वर से प्रार्थना करना बंद न कीजिए, कि हमें फिलिस्तीनियों से सुरक्षा प्राप्‍त होती रहे.” 9इस पर शमुएल ने एक दूध पीता मेमना लेकर उसे याहवेह के सामने अग्निबलि के रूप में अर्पण किया. तब शमुएल ने इस्राएल की ओर से याहवेह की दोहाई दी, और याहवेह ने उन्हें इसका प्रत्युत्तर दिया.

10जब शमुएल यह अग्निबलि अर्पित कर ही रहे थे, फिलिस्तीनी इस्राएल पर हमला करने के लक्ष्य से निकट आ गए. मगर उस दिन याहवेह फिलिस्तीनियों पर बादल द्वारा ऐसे गरजे कि फिलिस्तीनी आतंक के कारण सम्भ्रमित हो गए. तब इस्राएलियों ने उन्हें वहीं हरा दिया. 11फिर इस्राएली मिज़पाह से बाहर निकल आए फिलिस्तीनियों को खदेड़ते हुए, उनका संहार करते हुए, बेथ-कार नामक स्थान के नीचे तक चले गए.

12मिज़पाह तथा शेन नामक स्थानों के मध्य शमुएल ने इस घटना की स्मारक स्वरूप, एक शिला लेकर वहां प्रतिष्ठित कर उसे एबेन-एज़र7:12 एबेन-एज़र अर्थात् सहायता की चट्टान नाम दिया; क्योंकि उन्होंने यह गवाह दिया, “अब तक याहवेह ने हमारी सहायता की है.”

13इस प्रकार फिलिस्तीनी हरा दिए गए. इसके बाद उन्होंने इस्राएल की सीमा पर हमला दोबारा नहीं किया. शमुएल के संपूर्ण जीवनकाल में फिलिस्तीनियों पर याहवेह का गुस्सा बना रहा. 14एक्रोन से लेकर गाथ तक, वे नगर, जो फिलिस्तीनियों ने इस्राएल से छीन लिए थे, इस्राएल को लौटा दिए गए. स्वयं इस्राएल ने फिलिस्तीनियों द्वारा अधिकृत किए गए अपने क्षेत्र उनसे मुक्त करवा लिए. इस्राएल तथा अमोरियों के बीच भी शान्तिपूर्ण संबंधों की स्थापना हो गई.

15शमुएल आजीवन इस्राएल के प्रशासक-न्यायध्यक्ष रहे. 16वर्ष-प्रतिवर्ष वह भ्रमण करते हुए बेथेल, गिलगाल तथा मिज़पाह ये तीन मुख्यालयों पर जाकर इस्राएल का न्याय करते थे. 17फिर वह रामाह नगर को लौट जाते थे, क्योंकि उनका घर-परिवार यहीं था. वह इस्राएल का न्याय और शासन यहां से भी करते थे, साथ ही उन्होंने यहां याहवेह के लिए एक वेदी भी बनाई थी.

Chinese Contemporary Bible 2023 (Traditional)

撒母耳記上 7:1-17

1基列·耶琳人就下來把耶和華的約櫃抬到山上,放在亞比拿達的家裡,特派他的兒子以利亞撒看守耶和華的約櫃。

撒母耳征服非利士人

2約櫃在基列·耶琳停留了二十年。那時,全體以色列人都痛悔地尋求耶和華。 3撒母耳對他們說:「如果你們全心歸向耶和華,就要除掉你們中間那些外族的神明和亞斯她錄神像,一心歸向耶和華,單單事奉祂,祂必從非利士人手中救你們。」 4於是,他們除掉了巴力亞斯她錄神像,單單事奉耶和華。

5撒母耳又說:「你們全體以色列人到米斯巴來,我會為你們向耶和華祈求。」 6他們就在那裡聚集,打水倒在耶和華面前,並在當天禁食。他們說:「我們得罪了耶和華。」於是,撒母耳米斯巴以色列人的士師。 7非利士人聽說以色列人在米斯巴聚集,他們的首領就率領軍隊來攻打以色列人。以色列人聽見消息後,非常害怕。 8他們對撒母耳說:「請你為我們不停地呼求我們的上帝耶和華,求祂從非利士人手中拯救我們。」 9撒母耳把一隻還在吃奶的羊羔獻給耶和華作全牲燔祭。他為以色列人呼求耶和華,耶和華垂聽了他的祈求。 10撒母耳正在獻燔祭的時候,非利士人前來攻打以色列人。那天,耶和華向非利士人發出雷霆之聲,使他們陷入恐慌,敗在了以色列人手下。 11以色列人從米斯巴一路追殺他們,直到伯·甲附近。

12撒母耳拿了一塊石頭放在米斯巴的中間,稱之為以便以謝7·12 「以便以謝」意思是「援助之石」。,說:「耶和華到如今都幫助我們。」

13這樣非利士人被征服了,沒有再侵犯以色列邊境。在撒母耳有生之年,耶和華一直出手對付非利士人。 14以色列人收復了從以革倫迦特之間被非利士人奪去的城邑,並奪回了這些城邑的周邊地區。那時以色列人與亞摩利人和平共處。

15撒母耳一生做以色列人的士師。 16他每年都到伯特利吉甲米斯巴各地巡迴,審理以色列人的案件。 17之後,他才回到拉瑪自己的家中,也在那裡審理以色列人的案件,並為耶和華築了一座祭壇。