1 पेतरॉस 3 – HCV & NCA

Hindi Contemporary Version

1 पेतरॉस 3:1-22

1पत्नियो, अपने-अपने पति के अधीन रहो, जिससे कि यदि उनमें से कोई परमेश्वर के वचन के प्रति आज्ञा न माननेवाले हों तो वे तुम्हारे कुछ कहे बिना ही अपनी-अपनी पत्नियों के स्वभाव के द्वारा विश्वास में शामिल किए जा सकें, 2क्योंकि वे तुम्हारे पवित्र तथा अच्छे स्वभाव को देखते रहते हैं. 3तुम्हारा सौंदर्य सिर्फ दिखावटी न हो, जैसे बाल संवारना, सोने के गहने व वस्त्रों से सजना. 4परंतु तुम्हारा भीतरी व्यक्तित्व नम्रता व मन की दीनता जैसे अविनाशी गुणों से सजा हुआ हो, जो परमेश्वर की दृष्टि में बहुमूल्य हैं. 5पूर्वकाल में पवित्र स्त्रियां, जिनकी भक्ति परमेश्वर में थी, अपने पति के अधीन रहते हुए इसी रीति से श्रृंगार करती थी, 6साराह अब्राहाम को स्वामी संबोधित करते हुए उनकी आज्ञाकारी रहीं. यदि तुम निडर होकर वही करती हो, जो उचित है, तो तुम उनकी संतान हो गई हो.

7तुम, जो पति हो, इसी प्रकार अपनी-अपनी पत्नी के साथ संवेदनशील होकर रहो क्योंकि वह नारी है—निर्बल पात्र. जीवन के अनुग्रह के संगी वारिस के रूप में उसे सम्मान दो कि किसी रीति से तुम्हारी प्रार्थनाएं रुक न जाएं.

भाईचारे के प्रति

8अंततः, तुम सब हृदय में मैत्री भाव बनाए रखो; सहानुभूति रखो; आपस में प्रेम रखो, करुणामय और नम्र बनो. 9बुराई का बदला बुराई से तथा निंदा का उत्तर निंदा से न दो; परंतु इसके विपरीत, उन्हें आशीष ही दो क्योंकि इसी के लिए तुम बुलाए गए हो कि तुम्हें मीरास में आशीष प्राप्‍त हो, 10क्योंकि लिखा है:

“वह, जो जीवन से प्रेम करना

और भले दिन देखना चाहे,

अपनी जीभ को बुराई से

और अपने होंठों को छल की बातों से बचाए रखे.

11बुराई में रुचि लेना छोड़कर परोपकार करे;

मेल-मिलाप का यत्न करे और इसी के लिए पीछा करे.

12क्योंकि प्रभु की दृष्टि धर्मियों पर

तथा उनके कान उनकी विनती पर लगे रहते हैं,

परंतु वह बुराई करनेवालों से दूर रहते हैं.”3:12 स्तोत्र 34:12-16

13यदि तुममें भलाई की धुन है तो तुम्हें हानि कौन पहुंचाएगा? 14परंतु यदि तुम वास्तव में धार्मिकता के कारण कष्ट सहते हो, तो तुम आशीषित हो. “उनकी धमकियों से न तो डरो और न घबराओ.”3:14 यशा 8:12 15मसीह को अपने हृदय में प्रभु के रूप में सम्मान करो. तुम्हारे अंदर बसी हुई आशा के प्रति जिज्ञासु हर एक व्यक्ति को उत्तर देने के लिए हमेशा तैयार रहो 16किंतु विनम्रता और सम्मान के साथ. अपना विवेक शुद्ध रखो कि जिन विषयों में वे, जो मसीह में तुम्हारे उत्तम स्वभाव की निंदा करते हैं, लज्जित हों. 17भलाई के कामों के लिए दुःख सहना अच्छा है—यदि यही परमेश्वर की इच्छा है—इसके बजाय कि बुराई के लिए दुःख सहा जाए. 18मसीह ने भी पापों के लिए एक ही बार प्राणों को दे दिया—एक धर्मी ने सभी अधर्मियों के लिए—कि वह तुम्हें परमेश्वर तक ले जाएं. उनकी शारीरिक मृत्यु तो हुई किंतु परमेश्वर के आत्मा के द्वारा वह जीवित किए गए. 19उन्होंने आत्मा ही में जाकर कैदी आत्माओं के सामने प्रचार किया. 20ये उस युग की आज्ञा न माननेवाली आत्माएं थी, जब नोहा द्वारा जलयान निर्माण के समय परमेश्वर धीरज के साथ प्रतीक्षा करते रहे थे. उस जलयान में केवल कुछ ही व्यक्ति—कुल आठ—प्रलयकारी जल से सुरक्षित रखे गए थे, 21उसके अनुसार जलयान में उनका प्रवेश बपतिस्मा का दृष्टांत है, जो अब तुम्हें भी सुरक्षित रखता है. बपतिस्मा का अर्थ शरीर की मलिनता को स्वच्छ करना नहीं परंतु मसीह येशु के पुनरुत्थान के द्वारा परमेश्वर के प्रति शुद्ध विवेक से प्रतिज्ञा है. 22मसीह येशु स्वर्ग में जाकर परमेश्वर की दायीं ओर बैठ गए और सारे स्वर्गदूतों, अधिकारियों तथा शक्तियों को उनके अधीन कर दिया गया.

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

1 पतरस 3:1-22

घरवाली अऊ घरवाला,

1हे घरवालीमन हो, तुमन अपन-अपन घरवाला के अधीन रहव, ताकि कहूं ओमन ले कोनो परमेसर के बचन ऊपर बिसवास नइं करय, त ओमन घरवाली के सुघर बरताव के दुवारा जीते जा सकंय; 2जब ओमन तुमन के सुधता अऊ बने चाल-चलन ला देखंय। 3तुमन के सुघरता बाहिरी सिंगार के दुवारा झन होवय, जइसने कि बाल गुंथई, अऊ सोन के गहना अऊ आने-आने किसम के कपड़ा पहिरई। 4एकर बदले, तुमन म भीतरी मनखे के गुन, नमरता अऊ सांत सुभाव के सुघरता होना चाही, जऊन ह नइं मुरझावय अऊ अइसने बातमन परमेसर के नजर म बहुंत कीमती होथें। 5एही किसम ले, पहिली जमाना के पबितर माईलोगनमन, जऊन मन अपन आसा परमेसर के ऊपर रखत रिहिन, अपन-आप ला सुघर बनाय करत रिहिन। ओमन अपन घरवालामन के अधीन रहत रिहिन। 6जइसने कि सारा ह अब्राहम के बात मानय अऊ ओला अपन सु‍वामी कहय। कहूं तुमन भलई करव अऊ कोनो चीज ले झन डर्रावव, त तुमन ओकर बेटी अव।

7हे घरवालामन हो, ओही किसम ले अपन-अपन घरवाली के संग रहत समझदार बनव अऊ ओला निरबल संगी जानके अऊ अपन संग ओला जिनगी के बरदान के वारिस जानके ओकर आदर करव, ताकि तुम्‍हर पराथना म कोनो बाधा झन पड़य।

भलई करे म दुःख सहई

8आखिरी म, तुमन जम्मो एक मन होके रहव; सहानुभूति रखव; भाईमन सहीं मया करव; दयालु अऊ नम्र बनव। 9बुरई के बदले बुरई या बेजत्ती के बदले बेजत्ती झन करव, पर बदले म आसिस देवव काबरकि तुमन एकरे बर बलाय गे हवव, ताकि तुमन ला आसिस मिलय। 10जइसने कि परमेसर के बचन ह कहिथे,

“जऊन कोनो, जिनगी ले मया करे चाहथे

अऊ सुघर दिन देखे के ईछा करथे,

ओकर बर जरूरी अय कि ओह अपन जीभ ला बुरई ले

अऊ अपन होंठ ला छल-कपट के बात ले दूरिहा रखय।

11ए जरूरी अय कि ओह बुरई ला छोंड़के भलई करय;

अऊ ए घलो जरूरी अय कि ओह सांति के खोज करय अऊ ओकर पाछू लगे रहय।

12काबरकि परभू के नजर धरमीमन ऊपर लगे रहिथे,

अऊ ओकर कान ह ओमन के पराथना ला सुनथे,

पर परभू ह बुरई करइयामन के बिरोध करथे।”3:12 भजन-संहिता 34:12-16

13यदि तुमन भलई करे बर उत्सुक हवव, त तुम्‍हर हानि कोन करही? 14पर कहूं तुमन बने काम करे के कारन दुःख उठाथव, त तुमन आसिस पाहू। मनखेमन ले झन डरव अऊ न घबरावव।3:14 यसायाह 8:12 15पर अपन हिरदय म मसीह ला पबितर परभू के रूप म जानव। जऊन कोनो तुमन ला तुम्‍हर आसा के बिसय म कुछू पुछय, त ओला जबाब देय बर हमेसा तियार रहव। 16पर ए काम ला सुध बिवेक म, नमरता अऊ आदर के संग करव ताकि मसीह म तुम्‍हर बने चाल-चलन के बिरोध म, जऊन मन खराप बात कहिथें, ओमन अपन बात ले सरमिन्‍दा होवंय। 17कहूं ए परमेसर के ईछा अय, त बुरई करके दुःख भोगे के बदले, भलई करके दुःख भोगे ह बने अय। 18काबरकि मसीह ह याने धरमी ह अधरमीमन खातिर या तुम्‍हर पाप खातिर जम्मो के सेति एकेच बार मरिस कि ओह तुमन ला परमेसर करा लानय। ओह देहें म मारे गीस, पर आतमा के दुवारा जीयाय गीस, 19अऊ आतमिक दसा म, ओह जाके कैदी आतमामन ला परचार करिस, 20जऊन मन बहुंत पहिली परमेसर के हुकूम नइं मानिन, जब परमेसर ह नूह के दिन म धीर धरके इंतजार करत रहय, अऊ पानी जहाज ह बनत रहय। जहाज म सिरिप थोरकन मनखे याने जम्मो मिलाके आठ झन पानी ले बंचिन3:20 “नूह” – देखव इबरानीमन 11:7; 21अऊ ए पानी ह बतिसमा के चिन्‍हां अय, जऊन ह अब तुमन ला घलो बचाथे। एह देहें के मइल धोवई नो हय, पर एह सुध बिवेक म परमेसर ले एक वायदा करई अय। यीसू मसीह के फेर जी उठे के दुवारा, ए बतिसमा ह तुमन ला बचाथे। 22यीसू मसीह ह स्‍वरग चले गीस, अऊ ओह परमेसर के जेवनी हांथ कोति हवय अऊ जम्मो स्‍वरगदूत, अधिकार अऊ सामरथ ओकर अधीन म हवंय।