1 तिमोथियॉस 6 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

1 तिमोथियॉस 6:1-21

1वे सभी दास, जो दासत्व के जूए में जुते हुए हैं, अपने-अपने स्वामियों को सब प्रकार से आदरयोग्य समझें जिससे कि हमारे परमेश्वर की प्रतिष्ठा तथा हमारी शिक्षा प्रशंसनीय बनी रहे. 2जिनके स्वामी विश्वासी हैं, वे अपने स्वामियों का अपमान न करें कि अब तो वे उनके समान साथी विश्वासी हैं. वे अब उनकी सेवा और भी अधिक मन लगाकर करें क्योंकि वे, जो सेवा से लाभ उठा रहे हैं, साथी विश्वासी तथा प्रिय हैं.

वास्तविक तथा झूठे शिक्षक

उन्हें इन्हीं सिद्धांतों की शिक्षा दो तथा इनके पालन की विनती करो. 3यदि कोई इससे अलग शिक्षा देता है तथा हमारे प्रभु येशु मसीह के यथार्थ संदेश तथा परमेश्वर की भक्ति की शिक्षा से सहमत नहीं होता, 4वह अभिमानी है, अज्ञानी है तथा उसे बिना मतलब के वाद-विवाद व शब्दों के युद्ध का रोग है, जिसके परिणामस्वरूप जलन, झगड़े, दूसरों की बुराई, बुरे संदेह 5तथा बिगड़ी हुई बुद्धि और सच से अलग व्यक्तियों में व्यर्थ झगड़े उत्पन्‍न हो जाते है. ये वे हैं, जो परमेश्वर की भक्ति को कमाई का साधन समझते हैं.

6परंतु संतोष भरी परमेश्वर की भक्ति स्वयं में एक अद्भुत धन है 7क्योंकि हम इस संसार में कुछ भी लेकर नहीं आए हैं, इसलिये हम यहां से कुछ ले जा भी न सकेंगे. 8हम इसी में संतुष्ट रहेंगे कि हमारे पास भोजन तथा वस्त्र हैं. 9जो धनी बनने के अभिलाषी हैं, वे परीक्षा, फंदें और अनेक मूर्खता भरे व हानिकारक लालसाओं में पड़ जाते हैं, जो उन्हें पतन और विनाश के गर्त में ले डुबाती हैं. 10धन का लालच हर एक प्रकार की बुराई की जड़ है. कुछ इसी लालच में विश्वास से भटक गए तथा इसमें उन्होंने स्वयं को अनेक दुःखों से छलनी कर लिया है.

तिमोथियॉस को उसकी सेवकाई की दोबारा याद दिलाना

11परंतु तुम, जो परमेश्वर के सेवक हो, इन सबसे दूर भागो तथा सच्चाई, परमेश्वर भक्ति, विश्वास, प्रेम, धीरज तथा विनम्रता का पीछा करो. 12अपने विश्वास का कठिन संघर्ष करो, उस अनंत जीवन को थामे रखो, जिसके लिए परमेश्वर ने तुम्हें बुलाया और जिसे तुमने अनेक गवाहों के सामने अंगीकार किया है. 13सारी सृष्टि के पिता तथा मसीह येशु को, जो पोन्तियॉस पिलातॉस के सामने अच्छे गवाह साबित हुए, उपस्थित जानकर मैं तुम्हें निर्देश देता हूं: 14हमारे प्रभु येशु मसीह के दोबारा आगमन तक इस आज्ञा को निष्कलंक और निर्दोष बनाए रखो, 15जो ठीक समय पर परमेश्वर के द्वारा पूरा होगा—परमेश्वर, जो धन्य व एकमात्र अधिपति, राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु हैं, 16सिर्फ वही अमर्त्य हैं, जिनका वास अपार ज्योति में है. जिन्हें किसी ने न तो कभी देखा है और न ही देख सकता है. उनकी महिमा और प्रभुता निरंतर रहे. आमेन.

17संसार के धनवानों को आदेश दो कि वे घमंड न करें और अपनी आशा नाशमान धन पर नहीं, परंतु परमेश्वर पर रखें, जो हमारे उपभोग की हर एक वस्तु बहुतायत में देते हैं. 18उन्हें भले काम करने, अच्छे कामों का धनी हो जाने तथा दान देनेवाले व उदार बनने की आज्ञा दो. 19इस प्रकार वे इस धन का खर्च अपने आनेवाले जीवन की नींव के लिए करेंगे कि वे उस जीवन को, जो वास्तविक है, थामे रह सकें.

20तिमोथियॉस, उस धरोहर की रक्षा करो, जो तुम्हें सौंपी गई है. जो बातें आत्मिक नहीं, व्यर्थ बातचीत और उन बातों के ज्ञान से उपजे विरोधी तर्कों से दूर रहो, 21जिसे स्वीकार कर अनेक अपने मूल विश्वास से भटक गए.

तुम पर अनुग्रह होता रहे.