होशेआ 6 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

होशेआ 6:1-11

इस्राएल प्रायश्चित न करनेवाला

1“आओ, हम याहवेह की ओर लौटें.

उसने हमें फाड़कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया है

पर वह हमें चंगा करेंगे;

उन्होंने हमें चोट पहुंचाई है,

पर वही हमारे घावों पर मरहम पट्टी करेंगे.

2दो दिन के बाद वह हममें सुधार लाएंगे;

और तीसरे दिन वह हमें हमारे पूर्व स्थिति में ले आएंगे,

ताकि हम उनकी उपस्थिति में बने रहें.

3आओ, हम याहवेह को मान लें;

आओ, हम उसको जानने के लिये यत्न करें.

जिस प्रकार निश्चित रूप से सूर्य उदय होता है,

उसी प्रकार वह भी निश्चित रूप से प्रगट होंगे;

वह हमारे पास ठंड के वर्षा के समान,

वर्षा ऋतु के बारिश के समान आएंगे, जो भूमि को सींच जाती है.”

4“हे एफ्राईम, मैं तुम्हारे लिये क्या कर सकता हूं?

हे यहूदाह, मैं तुम्हारे लिये क्या कर सकता हूं?

तुम्हारा प्रेम सुबह के कोहरे के समान,

बड़े सबेरे पड़नेवाले ओस के समान है, जो गायब हो जाती है.

5इसलिये मैंने तुम्हें अपने भविष्यवक्ताओं के द्वारा काटकर टुकड़े-टुकड़े कर डाला,

मैंने अपने मुंह के वचन से मार डाला है—

तब मेरा न्याय सूर्य के समान आगे बढ़ता है.

6क्योंकि मैं बलिदान से नहीं, पर दया से,

और होमबलि की अपेक्षा से नहीं, परमेश्वर को मानने से प्रसन्‍न होता हूं.

7आदम के जैसे, उन्होंने वाचा को तोड़ दिया है;

उन्होंने वहां मेरे साथ विश्वासघात किया था.

8गिलआद दुष्ट काम करनेवालों का एक शहर है,

वहां खून के पद-चिन्हों के निशान हैं.

9जैसे लुटेरे अपने शिकार के लिये छिपकर घात में रहते हैं,

वैसे ही पुरोहितों के गिरोह भी करते हैं;

वे अपनी बुरी योजनाओं को पूरा करते हुए,

शेकेम के रास्ते पर हत्या करते हैं.

10मैंने इस्राएल में एक भयावह चीज़ देखी है:

वहां एफ्राईम को वेश्यावृत्ति के लिये दिया जाता है,

इस्राएल अशुद्ध होता है.

11“हे यहूदिया, तुम्हारे लिए

कटनी का एक दिन ठहराया गया है.

“जब मैं अपने लोगों के पुराने दिनों को लौटा लाऊंगा,

New Arabic Version

هوشع 6:1-11

إسرائيل لا تتوب

1«تَعَالَوْا نَرْجِعْ إِلَى الرَّبِّ. هُوَ الَّذِي مَزَّقَنَا إِرْباً إِرْباً، وَهُوَ وَحْدَهُ يُبْرِئُنَا. هُوَ الَّذِي ضَرَبَنَا، وَهُوَ وَحْدَهُ الَّذِي يَجْبُرُنَا. 2بَعْدَ يَوْمَيْنِ يُحْيِينَا، وَفِي الْيَوْمِ الثَّالِثِ يُقِيمُنَا، لِنَحْيَا أَمَامَهُ. 3لِنَعْرِفْ، بَلْ لِنَجِدَّ حَتَّى نَعْرِفَ الرَّبَّ، فَمَجِيئُهُ يَقِينٌ كَالْفَجْرِ، يُقْبِلُ إِلَيْنَا كَإِقْبَالِ الْمَطَرِ وَكَغُيُوثِ الرَّبِيعِ الَّتِي تَرْوِي الأَرْضَ».

4مَاذَا أَصْنَعُ بِكَ يَا إِسْرَائِيلُ، وَأَيُّ شَيْءٍ أَفْعَلُهُ بِكَ يَا يَهُوذَا؟ إِنَّ حُبَّكُمْ يَتَلاشَى كَسَحَابَةِ الصُّبْحِ وَيَتَبَخَّرُ كَالنَّدَى. 5لِذَلِكَ مَزَّقْتُكُمْ بِإِنْذَارَاتِ الأَنْبِيَاءِ، وَقَضَيْتُ عَلَيْكُمْ بِأَحْكَامِي، فَقَضَائِي عَلَيْكُمْ يَشِعُّ كَالنُّورِ.

6إِنِّي أَطْلُبُ رَحْمَةً لَا ذَبِيحَةً، وَمَعْرِفَتِي أَكْثَرَ مِنَ الْمُحْرَقَاتِ. 7وَلَكِنَّكُمْ مِثْلُ آدَمَ، نَقَضْتُمْ عَهْدِي وَغَدَرْتُمْ بِي. 8جِلْعَادُ، مَدِينَةُ فَاعِلِي الشَّرِّ، دَاسَتْ عَلَيْهَا أَقْدَامٌ مُلَطَّخَةٌ بِالدَّمِ. 9وَكَمَا يَكْمِنُ اللُّصُوصُ، كَمَنَ الْكَهَنَةُ عَلَى طَرِيقِ شَكِيمَ لِيَرْتَكِبُوا جَرَائِمَ الْقَتْلِ. حَقّاً إِنَّهُمْ يَقْتَرِفُونَ الْفَوَاحِشَ. 10لَقَدْ شَهِدْتُ فِي وَسَطِ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ فَظَائِعَ، فَقَدْ زَنَى هُنَاكَ أَفْرَايِمُ وَتَنَجَّسَ إِسْرَائِيلُ. 11أَمَّا أَنْتَ يَا يَهُوذَا فَقَدْ تَحَدَّدَ مَوْعِدُ عِقَابِكَ عِنْدَمَا أَرُدُّ سَبْيَ شَعْبِي.