होशेआ 5 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

होशेआ 5:1-15

इस्राएल के विरुद्ध न्याय

1“हे पुरोहितो, यह बात सुनो!

हे इस्राएलियो, ध्यान दो!

राज घरानो, सुनो!

यह न्याय तुम्हारे विरुद्ध है:

तुम मिज़पाह में एक फंदा बन गये हो,

ताबोर में बिछाये गये एक जाल हो.

2विद्रोहियों ने घोर नरसंहार किया है,

मैं उन सबको अनुशासित करूंगा.

3मैं एफ्राईम के बारे में सब कुछ जानता हूं;

इस्राएल की बात मुझसे छिपी नहीं है.

हे एफ्राईम, तुम वेश्यावृत्ति में लिप्‍त हो;

इस्राएल भ्रष्‍ट हो गया है.

4“उनके काम उन्हें

अपने परमेश्वर की ओर लौटने नहीं देते.

वेश्यावृत्ति की आत्मा उनके दिल में है;

वे याहवेह को नहीं मानते हैं.

5इस्राएल का घमंड उसी के विरुद्ध गवाही देता है;

इस्राएली, और तो और एफ्राईम भी अपने पापों में लड़खड़ाते हैं;

यहूदिया भी उनके साथ लड़खड़ाता है.

6जब वे अपनी भेड़-बकरी और गाय-बैल के झुंड को लेकर

याहवेह की खोज में जाते हैं,

तो याहवेह उन्हें नहीं मिलते हैं;

क्योंकि उन्होंने अपने आपको उनसे अलग कर लिया है.

7उन्होंने याहवेह के साथ विश्वासघात किया है;

वे अवैध बच्‍चे पैदा करते हैं.

जब वे नये चांद के भोज का उत्सव मनाएंगे,

तो वह उनके खेतों को निगल जाएगा.

8“गिबियाह नगर में तुरही बजाओ,

रामाह नगर में नरसिंगा फूंको.

बेथ-आवेन5:8 बेथ-आवेन अर्थ दुष्टता का घर में युद्ध की घोषणा ऊंची आवाज में करो;

हे बिन्यामिन, हमारी अगुवाई करो.

9हिसाब करने के दिन

एफ्राईम बेकार हो जाएगा.

इस्राएल के गोत्रों के बीच

मैं उसी बात की घोषणा करूंगा, जिसका होना निश्चित है.

10यहूदिया के अगुए उनके जैसे हैं

जो सीमा के पत्थरों को हटाते हैं.

उन पर मैं अपना कोप

पानी के बाढ़ की तरह उंडेलूंगा.

11एफ्राईम सताया जाता है,

न्याय में कुचला गया है,

क्योंकि उसने मूर्तियों के पीछे जाने की ठानी है.

12मैं एफ्राईम के लिए कीड़े के समान,

और यहूदाह के लोगों के लिए एक सड़न के जैसा हूं.

13“जब एफ्राईम ने अपनी बीमारी,

और यहूदिया ने अपने घाव को देखा,

तब एफ्राईम अश्शूर की तरफ गया,

और बड़े राजा से सहायता की याचना की.

परंतु वह तुम्हें न तो चंगा कर सकता है,

और न ही तुम्हारे घावों को ठीक कर सकता है.

14क्योंकि एफ्राईम के लिए मैं एक सिंह के जैसा,

और यहूदाह के लिए एक बड़े सिंह के जैसा हो जाऊंगा.

मैं उन्हें फाड़कर टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा और चला जाऊंगा;

मैं उन्हें उठाकर ले जाऊंगा, और उन्हें छुड़ाने वाला कोई न होगा.

15जब तक वे अपने अपराध को मान नहीं लेते

और मेरी ओर लौट नहीं आते

मैं अपने स्थान में नहीं लौटूंगा;

अपनी दुर्गति के समय

वे मन लगाकर मेरी खोज करेंगे.”