होशेआ 13 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

होशेआ 13:1-16

इस्राएल के विरुद्ध परमेश्वर का क्रोध

1जब एफ्राईम बोलता था तो लोग कांप उठते थे;

वह इस्राएल में बड़ा आदमी था.

पर वह बाल देवता की आराधना का दोषी हुआ और मर गया.

2अब वे और अधिक पाप करते हैं;

वे अपनी चांदी से स्वयं के लिये मूर्तियां बनाते हैं,

जिनमें बुद्धिमानी से कारीगरी की गई है,

और ये सब शिल्पकारों का काम है.

इन लोगों के बारे में कहा जाता है,

“वे मानव बलि चढ़ाते हैं!

वे बछड़े की मूर्तियों को चूमते हैं!”

3इसलिये वे सुबह के कोहरे,

सुबह के ओस के समान हैं जो गायब हो जाती है,

वे खलिहान की भूसी के समान हैं जो घूमते हुए उड़ जाती है,

या वे खिड़की से बाहर आते धुएं के समान हैं.

4“परंतु मैं तब से याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं,

जब से तुम मिस्र देश से निकलकर आये.

तुम मेरे सिवाय किसी और को परमेश्वर करके न मानना,

मेरे अलावा कोई और उद्धारकर्ता नहीं है.

5मैंने उजाड़-निर्जन प्रदेश में,

गर्मी से तपते देश में तुम्हारा ध्यान रखा.

6जब मैंने उन्हें खाना खिलाया, तो वे संतुष्ट हुए;

और जब वे संतुष्ट हो गए, तो वे घमंडी हो गए;

और तब वे मुझे भूल गए.

7इसलिये मैं उनके लिये एक सिंह के जैसा होऊंगा,

एक चीते के समान मैं रास्ते पर उनके घात में रहूंगा.

8मैं उनके लिये उस मादा भालू के समान बन जाऊंगा, जिसके बच्‍चे छीन लिये गये हैं,

मैं उन पर हमला करूंगा और उन्हें फाड़ डालूंगा;

एक सिंह के समान मैं उन्हें फाड़ डालूंगा,

एक जंगली जानवर उन्हें फाड़कर अलग-अलग कर देगा.

9“हे इस्राएल, तुम नाश हुए,

क्योंकि तुम मेरे विरुद्ध, मेरे सहायक के विरुद्ध हो.

10कहां है तुम्हारा राजा, जो तुम्हें बचाए?

कहां हैं तुम्हारे सब नगरों के शासक,

जिनके बारे में तुमने कहा था,

‘मुझे एक राजा और राजकुमार दो’?

11इसलिये गुस्से में आकर मैंने तुम्हें एक राजा दिया,

और अपने क्रोध में ही मैंने उसे तुमसे अलग कर दिया.

12एफ्राईम के अपराध बहुत हो गये हैं,

उसके पापों का लेखा-जोखा रखा गया है.

13उसको एक स्त्री के बच्‍चे जनने की सी पीड़ा होगी,

पर वह बिना बुद्धि का एक बच्चा है;

जब प्रसव का समय आता है,

तो उसे गर्भ से बाहर आने का ज्ञान नहीं होता.

14“मैं इन लोगों को कब्र की शक्ति से छुटकारा दूंगा;

मैं इन्हें मृत्यु से बचाऊंगा.

हे मृत्यु, कहां है तुम्हारी महामारियां?

हे कब्र, कहां है तुम्हारा विनाश?

“मैं कोई करुणा नहीं करूंगा,

15यद्यपि वह अपने भाइयों के बीच उन्‍नति करे.

एक पूर्वी हवा याहवेह की ओर से

मरुस्थल से बहेगी;

उसके सोतों से पानी का फूटना बंद हो जाएगा

और उसका कुंआ सूख जाएगा.

उसके गोदाम में रखी

सब बहुमूल्य चीज़ें लूट ली जाएंगी.

16अवश्य है कि शमरिया के लोग अपने अपराध का दंड भोगें,

क्योंकि उन्होंने अपने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया है.

वे तलवार से मारे जाएंगे;

उनके छोटे बच्चों को भूमि पर पटक दिया जाएगा,

और उनकी गर्भवती स्त्रियों के पेट फाड़ दिए जाएंगे.”

Ketab El Hayat

هوشع 13:1-16

غضب الرب على إسرائيل

1عِنْدَمَا تَكَلَّمَ أَفْرَايِمُ اعْتَرَى الرُّعْبُ الأُمَمَ، وَعَظُمَ شَأْنُهُ فِي إِسْرَائِيلَ، وَلَكِنْ حِينَ عَبَدَ الْبَعْلَ وَأَثِمَ مَاتَ. 2وَهَا هُمْ يُكَثِّرُونَ الآنَ مَعَاصِيَهُمْ، وَيَصُوغُونَ بِبَرَاعَةٍ لأَنْفُسِهِمْ تَمَاثِيلَ وَأَصْنَاماً مِنْ فِضَّتِهِمْ، كُلُّهَا صَنْعَةُ عُمَّالٍ حَاذِقِينَ قَائِلِينَ: «قَبِّلُوا تَمَاثِيلَ الْعُجُولِ هَذِهِ يَا مُقَرِّبِي الذَّبَائِحِ الْبَشَرِيَّةِ». 3لِهَذَا يَتَلاشَوْنَ كَضَبَابِ الصَّبَاحِ وَكَالنَّدَى الَّذِي يَتَبَخَّرُ سَرِيعاً، أَوْ كَعُصَافَةٍ مُذَرَّاةٍ مِنَ الْبَيْدَرِ، أَوْ دُخَانٍ مُتَسَرِّبٍ مِنَ الْكُوَّةِ.

4أَنَا هُوَ الرَّبُّ إِلَهُكَ مُنْذُ أَنْ كُنْتَ فِي دِيَارِ مِصْرَ، وَلَسْتَ تَعْرِفُ إِلَهاً غَيْرِي، وَلا مُنْقِذَ لَكَ سِوَايَ. 5أَنَا الَّذِي اعْتَنَيْتُ بِكَ فِي الصَّحْرَاءِ الْجَرْدَاءِ، فِي أَرْضِ الظَّمَإِ 6وَلَكِنْ عِنْدَمَا رَعَوْا وَشَبِعُوا خَامَرَتْ قُلُوبَهُمُ الْكِبْرِيَاءُ، لِذَلِكَ نَسُونِي.

7لِهَذَا أَكُونُ لَهُمْ كَأَسَدٍ، وَأَكْمُنُ كَنَمِرٍ لَهُمْ عَلَى الطَّرِيقِ. 8وَأَنْقَضُّ عَلَيْهِمْ كَدُبَّةٍ ثَاكِلٍ، وَأُمَزِّقُ قُلُوبَهُمْ أَشْلاءَ وَأَفْتَرِسُهُمْ هُنَاكَ كَلَبُوءَةٍ، وَوَحْشِ الْبَرِّ يُقَطِّعُهُمْ إِرْباً إِرْباً.

9هَلاكُكَ مِنْكَ يَا إِسْرَائِيلُ لأَنَّكَ عَادَيْتَنِي. عَادَيْتَ مُعِينَكَ. 10أَيْنَ هُوَ مَلِكُكَ لِيُنْقِذَكَ؟ أَيْنَ هُمْ حُكَّامُكَ الْمُنْتَشِرُونَ فِي جَمِيعِ مُدُنِكَ الَّذِينَ قُلْتَ عَنْهُمْ: أَعْطِنِي مَلِكاً وَرُؤَسَاءَ؟ 11قَدْ أَعْطَيْتُكَ مَلِكاً فِي إِبَّانِ غَضَبِي وَأَخَذْتُهُ فِي شِدَّةِ غَيْظِي.

12إِثْمُ أَفْرَايِمَ مَحْفُوظٌ فِي صُرَّةٍ، وَخَطِيئَتُهُ مُدَّخَرَةٌ 13آلامُ مَخَاضِ امْرَأَةٍ مُشْرِفَةٍ عَلَى الْوِلادَةِ حَلَّتْ بِهِ، وَلَكِنَّهُ ابْنٌ جَاهِلٌ يَأْبَى أَنْ يَقْتَرِبَ مِنْ فُوَّهَةِ الرَّحِمِ عِنْدَ أَوَانِ وِلادَتِهِ.

14هَلْ أَفْتَدِيهِمْ مِنْ قُوَّةِ الْهَاوِيَةِ؟ هَلْ أُنَجِّيهِمْ مِنَ الْمَوْتِ؟ أَيْنَ أَوْبِئَتُكَ يَا مَوْتُ؟ أَيْنَ هَلاكُكِ يَا هَاوِيَةُ؟ قَدِ احْتَجَبَتِ الرَّحْمَةُ عَنْ عَيْنَيَّ.

15وَحَتَّى وَلَوِ ازْدَهَرَ كَالْعُشْبِ بَيْنَ إِخْوَتِهِ تَهُبُّ رِيحٌ شَرْقِيَّةٌ، رِيحُ الرَّبِّ الْمُقْبِلَةُ مِنَ الصَّحْرَاءِ فَتُجَفِّفُ يَنْبُوعَهُ وَتُنْضِبُ عَيْنَهُ وَتَنْهَبُ مَخَابِئَ كَنْزِهِ مِنْ كُلِّ شَيْءٍ نَفِيسٍ. 16لابُدَّ أَنْ تَتَحَمَّلَ السَّامِرَةُ وِزْرَ خَطِيئَتِهَا لأَنَّهَا تَمَرَّدَتْ عَلَى إِلَهِهَا، فَيَفْنَى أَهْلُهَا بِحَدِّ السَّيْفِ، وَيَتَمَزَّقُ أَطْفَالُهَا أَشْلاءَ، وَتُشَقُّ بُطُونُ حَوَامِلِهَا.