हबक्कूक 2 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

हबक्कूक 2:1-20

1मैं पहरे के लिये खड़ा रहूंगा

और मैं गढ़ की ऊंची दीवार पर खड़ा रहूंगा;

मैं देखता रहूंगा कि वे मुझसे क्या कहेंगे,

और मैं अपने विरुद्ध शिकायत का क्या उत्तर दूं.

याहवेह का उत्तर

2तब याहवेह ने उत्तर दिया:

“इस दिव्य-प्रकाशन को

सरल रूप में पटिया पर लिख दो

ताकि घोषणा करनेवाला दौड़ते हुए भी इसे पढ़कर घोषणा कर सके.

3क्योंकि यह दिव्य-प्रकाशन एक नियत समय में पूरा होगा;

यह अंत के समय के बारे में बताता है

और यह गलत साबित नहीं होगा.

चाहे इसमें देरी हो, पर तुम इसका इंतजार करना;

यह निश्चित रूप से पूरा होगा

और इसमें देरी न होगी.

4“देखो, शत्रु का मन फूला हुआ है;

उसकी इच्छाएं बुरी हैं;

पर धर्मी जन अपनी विश्वासयोग्यता के कारण जीवित रहेगा,

5वास्तव में, दाखमधु उसे धोखा देता है;

वह अहंकारी होता है और उतावला रहता है.

वह कब्र की तरह लालची

और मृत्यु की तरह कभी संतुष्ट नहीं होता,

वह सब जाति के लोगों को अपने पास इकट्ठा करता है

और सब लोगों को बंधुआ करके ले जाता है.

6“क्या वे सब यह कहकर उसका उपहास और बेइज्जती करके ताना नहीं मारेंगे,

“ ‘उस पर हाय, जो चोरी किए गये सामानों का ढेर लगाता है

और अवैध काम करके अपने आपको धनी बनाता है!

यह कब तक चलता रहेगा?’

7क्या तुम्हें कर्ज़ देनेवाले अचानक तुम्हारे सामने आ खड़े न होंगे?

क्या वे तुम्हें उठाकर आतंकित नहीं करेंगे?

तब तुम लूट लिये जाओगे.

8क्योंकि तुमने बहुत सी जाति के लोगों को लूटा है,

सब बचे हुए लोग अब तुम्हें लूटेंगे.

क्योंकि तुमने मनुष्यों का खून बहाया है;

तुमने देशों, शहरों और उनके निवासियों को नाश किया है.

9“उस पर हाय, जो अन्याय की कमाई से अपना घर बनाता है,

और विनाश से बचने के लिये

अपने घोंसले को ऊंचे पर रखता है!

10अपने ही घर के लोगों को लज्जित करके और अपने प्राण को जोखिम में डालकर

तुमने बहुत से लोगों के विनाश का उपाय किया है.

11दीवार के पत्थर चिल्ला उठेंगे,

और लकड़ी की बल्लियां इसका उत्तर देंगी.

12“उस पर हाय, जो रक्तपात के द्वारा शहर का निर्माण करता है

और अन्याय से नगर बसाता है!

13क्या सर्वशक्तिमान याहवेह ने यह निश्चय नहीं किया है

कि लोगों की मेहनत सिर्फ उस लकड़ी जैसी है, जो आग जलाने के काम आती है,

और जाति-जाति के लोग अपने लिये बेकार का परिश्रम करते हैं?

14क्योंकि पृथ्वी याहवेह की महिमा के ज्ञान से भर जाएगी,

जैसे समुद्र जल से भर जाता है.

15“उस पर हाय, जो अपने पड़ोसियों को पीने के लिए दाखमधु देता है,

और उन्हें तब तक पिलाता है, जब तक कि वे मतवाले नहीं हो जाते,

ताकि वह उनके नंगे शरीर को देख सके!

16तुम महिमा के बदले लज्जा से भर जाओगे.

अब तुम्हारी पारी है! पियो और अपने नंगेपन को दिखाओ!

याहवेह के दाएं हाथ का दाखमधु का कटोरा तुम्हारे पास आ रहा है,

और कलंक तुम्हारे महिमा को ढंक देगा.

17तुमने लबानोन के प्रति जो हिंसा के काम किए हैं, वे तुम्हें व्याकुल करेंगे,

और तुमने पशुओं को जो नाश किया है, वह तुम्हें भयभीत करेगा.

क्योंकि तुमने मनुष्यों का खून बहाया है;

तुमने देश, शहर और वहां के निवासियों को नाश किया है.

18“एक मूर्तिकार के द्वारा बनाई गई मूर्ति का क्या मूल्य?

या उस मूर्ति से क्या लाभ जो झूठ बोलना सिखाती है?

क्योंकि जो इसे बनाता है वह अपनी ही रचना पर भरोसा करता है;

वह मूर्तियों को बनाता है जो बोल नहीं सकती.

19उस पर हाय, जो लकड़ी से कहता है, ‘ज़िंदा हो जा!’

या निर्जीव पत्थर से कहता है, ‘उठ!’

क्या यह सिखा सकता है?

यह सोना-चांदी से मढ़ा होता है;

किंतु उनमें तो श्वास नहीं होता.”

20परंतु याहवेह अपने पवित्र मंदिर में हैं;

सारी पृथ्वी उनके सामने शांत रहे.