स्तोत्र 9 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 9:1-20

स्तोत्र 99:0 मूल पाण्डुलिपि में 9 और 10 एक गीत है. ये अक्षरबद्ध कविता है जिसकी पंक्तियां हिब्री वर्णमाला के क्रमिक अक्षरों से आरंभ होती हैं

संगीत निर्देशक के लिये. मूथलब्बेन धुन पर आधारित. दावीद का एक स्तोत्र.

1याहवेह, मैं संपूर्ण हृदय से आपका आभार मानूंगा;

मैं आपके हर एक आश्चर्य कर्मों का वर्णन करूंगा.

2मैं आप में उल्‍लसित होकर आनंद मनाता हूं;

सर्वोच्च प्रभु, मैं आपका भजन गाता हूं.

3जब मेरे शत्रु पीठ दिखाकर भागे;

वे आपकी उपस्थिति के कारण नाश होकर लड़खड़ा कर गिर पड़े.

4आपने न्याय किया और मेरे पक्ष में निर्णय दिया,

आपने अपने सिंहासन पर बैठ सच्चाई में न्याय किया.

5आपने जनताओं को डांटा और दुष्टों को नष्ट कर दिया;

आपने सदा के लिए उनका नाम मिटा दिया.

6कोई भी शत्रु शेष न रहा,

उनके नगर अब स्थायी विध्वंस मात्र रह गए हैं;

शत्रु का नाम भी शेष न रहा.

7परंतु याहवेह सदैव सिंहासन पर विराजमान हैं;

उन्होंने अपना सिंहासन न्याय के लिए स्थापित किया है.

8वह संसार का न्याय

तथा राष्ट्रों का निर्णय धार्मिकता से करते हैं.

9याहवेह ही दुःखित को शरण देते हैं,

संकट के समय वही ऊंचा गढ़ हैं.

10जिन्होंने आपकी महिमा को पहचान लिया है, वे आप पर भरोसा करेंगे,

याहवेह, जिन्होंने आपसे प्रार्थना की, आपने उन्हें निराश न होने दिया.

11याहवेह का गुणगान करो, जो ज़ियोन में सिंहासन पर विराजमान हैं;

राष्ट्रों में उनके आश्चर्य कार्यों की उद्घोषणा करो.

12वह, जो पीड़ितों के बदला लेनेवाले हैं, उन्हें स्मरण रखते हैं;

दीनों की वाणी को वह अनसुनी नहीं करते.

13हे याहवेह, मुझ पर कृपादृष्टि कीजिए! मेरी पीड़ा पर दृष्टि कीजिए.

आप ही हैं, जो मुझे मृत्यु-द्वार के निकट से झपटकर उठा सकते हैं,

14कि मैं ज़ियोन की पुत्री के द्वारों

के भीतर आपके हर एक गुण का वर्णन करूं,

कि मैं आपके द्वारा किए उद्धार में उल्‍लसित होऊं.

15अन्य जनता उसी गड्ढे में जा गिरे, जिसे स्वयं उन्हीं ने खोदा था;

उनके पैर उसी जाल में जा फंसे, जिसे उन्होंने बिछाया था.

16याहवेह ने स्वयं को प्रकट किया, उन्होंने न्याय सम्पन्‍न किया;

दुष्ट अपने ही फंदे में उलझ कर रह गए.

17दुष्ट अधोलोक में लौट जाएंगे, यही नियति है उन सभी राष्ट्रों की भी,

जिन्होंने परमेश्वर की उपेक्षा की है.

18दीन दरिद्र सदा भुला नहीं दिए जाएंगे;

पीड़ितों की आशा सदा के लिए चूर नहीं होगी.

19याहवेह, आप उठ जाएं, कि कोई मनुष्य प्रबल न हो जाए;

जनताओं का न्याय आपके सामने हो.

20याहवेह, आप उन्हें भयभीत कर दें;

जनताओं को यह बोध हो जाए कि वे मात्र मनुष्य हैं.