स्तोत्र 72 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 72:1-20

स्तोत्र 72

शलोमोन का

1परमेश्वर, राजा को अपना न्याय,

तथा राजपुत्र को अपनी धार्मिकता प्रदान कीजिए,

2कि वह आपकी प्रजा का न्याय धार्मिकता-पूर्वक,

तथा पीड़ितों का शासन न्याय संगत रीति से करे.

3तब प्रजा के लिए पर्वतों से समृद्धि,

तथा घाटियों से धार्मिकता की उपज उत्पन्‍न होने लगेगी.

4तब राजा प्रजा में पीड़ितों की रक्षा करेगा,

दरिद्रों की संतानों का उद्धार करेगा;

और सतानेवाले को कुचल डालेगा.

5पीढ़ी से पीढ़ी जब तक सूर्य और चंद्रमा का अस्तित्व रहेगा,

प्रजा में आपके प्रति श्रद्धा बनी रहेगी.

6उसका प्रगट होना वैसा ही होगा,

जैसा घास पर वर्षा का तथा शुष्क भूमि पर वृष्टि का.

7उसके शासनकाल में धर्मी फूले फलेंगे,

और जब तक चंद्रमा रहेगा समृद्धि बढ़ती जाएगी.

8उसके साम्राज्य का विस्तार एक सागर से दूसरे सागर तक

तथा फ़रात नदी से पृथ्वी के छोर तक होगा.

9वन में रहनेवाले लोग भी उसके सामने झुकेंगे

और वह शत्रुओं को धूल का सेवन कराएगा.

10तरशीश तथा दूर तट के देशों के राजा

उसके लिए भेंटें लेकर आएंगे,

शीबा और सेबा देश के राजा भी

उसे उपहार प्रस्तुत करेंगे.

11समस्त राजा उनके सामने नतमस्तक होंगे

और समस्त राष्ट्र उनके अधीन.

12क्योंकि वह दुःखी की पुकार सुनकर उसे मुक्त कराएगा,

ऐसे पीड़ितों को, जिनका कोई सहायक नहीं.

13वह दरिद्रों तथा दुर्बलों पर तरस खाएगा

तथा वह दुःखी को मृत्यु से बचा लेगा.

14वह उनके प्राणों को अंधेर और हिंसा से बचा लेगा,

क्योंकि उसकी दृष्टि में उनका रक्त मूल्यवान है.

15वह दीर्घायु हो!

उसे भेंट में शीबा देश का स्वर्ण प्रदान किया जाए.

प्रजा उसके लिए प्रार्थना करती रहे

और निरंतर उसके हित की कामना करती रहे.

16संपूर्ण देश में अन्‍न विपुलता में बना रहे;

पहाड़ियां तक उपज से भर जाएं.

देश में फलों की उपज लबानोन की उपजाऊ भूमि जैसी हो

और नगरवासियों की समृद्धि ऐसी हो, जैसी भूमि की वनस्पति.

17उसकी ख्याति चिरस्थाई हो;

जब तक सूर्य में प्रकाश है, उसकी महिमा नई हो.

उसके द्वारा समस्त राष्ट्र आशीषित हों,72:17 उत्प 48:20

वे उसे धन्य कहें.

18इस्राएल के परमेश्वर, याहवेह परमेश्वर का स्तवन हो,

केवल वही हैं, जो महाकार्य करते हैं.

19उनका महिमामय नाम सदा-सर्वदा धन्य हो;

संपूर्ण पृथ्वी उनके तेज से भयभीत हो जाए.

आमेन और आमेन.

20यिशै के पुत्र दावीद की प्रार्थनाएं यहां समाप्‍त हुईं.