स्तोत्र 71 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 71:1-24

स्तोत्र 71

1याहवेह, मैंने आपका आश्रय लिया है;

मुझे कभी लज्जित न होने दीजिएगा.

2अपनी धार्मिकता में हे परमेश्वर, मुझे बचाकर छुड़ा लीजिए;

मेरी पुकार सुनकर मेरा उद्धार कीजिए.

3आप मेरे आश्रय की चट्टान बन जाइए,

जहां मैं हर एक परिस्थिति में शरण ले सकूं;

मेरे उद्धार का आदेश प्रसारित कीजिए,

आप ही मेरे लिए चट्टान और गढ़ हैं.

4मुझे दुष्ट के शिकंजे से मुक्त कर दीजिए,

परमेश्वर, उन पुरुषों के हाथों से जो कुटिल तथा क्रूर हैं.

5प्रभु याहवेह, आप ही मेरी आशा हैं,

बचपन से ही मैंने आप पर भरोसा रखा है.

6वस्तुतः गर्भ ही से आप मुझे संभालते आ रहे हैं;

मेरे जन्म की प्रक्रिया भी आपके द्वारा पूर्ण की गई.

मैं सदा-सर्वदा आपका स्तवन करता रहूंगा.

7अनेकों के लिए मैं एक उदाहरण बन गया हूं;

मेरे लिए आप दृढ़ आश्रय प्रमाणित हुए हैं.

8मेरा मुख आपका गुणगान करते हुए नहीं थकता,

आपका वैभव एवं तेज सारे दिन मेरे गीतों के विषय होते हैं.

9मेरी वृद्धावस्था में मेरा परित्याग न कीजिए;

अब, जब मेरा बल घटता जा रहा है, मुझे भूल न जाइए,

10क्योंकि मेरे शत्रुओं ने मेरे विरुद्ध स्वर उठाना प्रारंभ कर दिया है;

जो मेरे प्राण लेने चाहते हैं, वे मेरे विरुद्ध षड़्‍यंत्र रच रहे हैं.

11वे कहते फिर रहे हैं, “परमेश्वर तो उसे छोड़ चुके हैं,

उसे खदेड़ो और उसे जा पकड़ो,

कोई नहीं रहा उसे बचाने के लिए.”

12परमेश्वर, मुझसे दूर न रहिए;

तुरंत मेरी सहायता के लिए आ जाइए.

13वे, जो मुझ पर आरोप लगाते हैं, लज्जा में ही नष्ट हो जाएं;

जो मेरी हानि करने पर सामर्थ्यी हैं,

लज्जा और अपमान में समा जाएं.

14जहां तक मेरा प्रश्न है, मैं आशा कभी न छोड़ूंगा;

आपका स्तवन मैं अधिक-अधिक करता जाऊंगा.

15सारे दिन मैं अपने मुख से आपके धर्ममय कृत्यों के

तथा आपके उद्धार के बारे में बताता रहूंगा;

यद्यपि मुझे इनकी सीमाओं का कोई ज्ञान नहीं है.

16मैं प्रभु याहवेह के विलक्षण कार्यों की घोषणा करता हुआ आऊंगा;

मेरी घोषणा का विषय होगा मात्र आपकी धार्मिकता, हां, मात्र आपकी.

17परमेश्वर, मेरे बचपन से ही आप मुझे शिक्षा देते आए हैं,

आज तक मैं आपके महाकार्य की घोषणा कर रहा हूं.

18आज जब मैं वृद्ध हो चुका हूं, मेरे केश पक चुके हैं,

परमेश्वर, मुझे उस समय तक न छोड़ना,

जब तक मैं अगली पीढ़ी को आपके सामर्थ्य

तथा आपके पराक्रम के विषय में शिक्षा न दे दूं.

19परमेश्वर आपकी धार्मिकता आकाश तक ऊंची है,

आपने महाकार्य किए हैं.

परमेश्वर, कौन है आपके तुल्य?

20यद्यपि आप मुझे अनेक विकट संकटों में से

लेकर यहां तक ले आए हैं,

आप ही मुझमें पुनः जीवन का संचार करेंगे,

आप पृथ्वी की गहराइयों से

मुझे ऊपर ले आएंगे.

21आप ही मेरी महिमा को ऊंचा करेंगे

तथा आप ही मुझे पुनः सांत्वना प्रदान करेंगे.

22मेरे परमेश्वर, आपकी विश्वासयोग्यता के लिए,

मैं वीणा71:22 मूल में नेबेल के साथ आपका स्तवन करूंगा;

इस्राएल के परम पवित्र, मैं किन्‍नोर की संगत पर,

आपका गुणगान करूंगा.

23अपने होंठों से मैं हर्षोल्लास में नारे लगाऊंगा,

जब मैं आपके स्तवन गीत गाऊंगा;

मैं वही हूं, जिसका आपने उद्धार किया है.

24आपके युक्त कृत्यों का वर्णन मेरी जीभ से

सदा होता रहेगा,

क्योंकि जो मेरी हानि के इच्छुक थे

आपने उन्हें लज्जित और निराश कर छोड़ा है.