स्तोत्र 69 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 69:1-36

स्तोत्र 69

संगीत निर्देशक के लिये. “शोशनीम” धुन पर आधारित. दावीद की रचना.

1परमेश्वर, मेरी रक्षा कीजिए,

क्योंकि जल स्तर मेरे गले तक आ पहुंचा है.

2मैं गहरे दलदल में डूब जा रहा हूं,

यहां मैं पैर तक नहीं टिक पा रहा हूं.

मैं गहरे जल में आ पहुंचा हूं;

और चारों ओर से जल मुझे डूबा रहा है.

3सहायता के लिए पुकारते-पुकारते मैं थक चुका हूं;

मेरा गला सूख चुका है.

अपने परमेश्वर की प्रतीक्षा

करते-करते मेरी दृष्टि धुंधली हो चुकी है.

4जो अकारण ही मुझसे बैर करते हैं

उनकी संख्या मेरे सिर के केशों से भी बढ़कर है;

बलवान हैं वे, जो अकारण ही मेरे शत्रु हो गए हैं,

वे सभी मुझे मिटा देने पर सामर्थ्यी हैं.

जो मैंने चुराया ही नहीं,

उसी की भरपाई मुझसे ली जा रही है.

5परमेश्वर, आप मेरी मूर्खतापूर्ण त्रुटियों से परिचित हैं;

मेरे दोष आपसे छिपे नहीं हैं.

6मेरी प्रार्थना है कि मेरे कारण

आपके विश्वासियों को लज्जित न होना पड़े.

प्रभु, सर्वशक्तिमान याहवेह,

मेरे कारण,

इस्राएल के परमेश्वर,

आपके खोजियों को लज्जित न होना पड़े.

7मैं यह लज्जा आपके निमित्त सह रहा हूं,

मेरा मुखमंडल ही घृणास्पद हो चुका है.

8मैं अपने परिवार के लिए अपरिचित हो चुका हूं;

अपने ही भाइयों के लिए मैं परदेशी हो गया हूं.

9आपके भवन की धुन में जलते जलते मैं भस्म हुआ,

तथा आपके निंदकों द्वारा की जा रही निंदा मुझ पर पड़ रही है.

10जब मैंने उपवास करते हुए विलाप किया,

तो मैं उनके लिए घृणा का पात्र बन गया;

11जब मैंने शोक-वस्त्र धारण किए,

तो लोग मेरी निंदा करने लगे.

12नगर द्वार पर बैठे हुए पुरुष मुझ पर ताना मारते हैं,

मैं पियक्कड़ पुरुषों के गीतों का विषय बन चुका हूं.

13किंतु याहवेह, आपसे मेरी गिड़गिड़ाहट है,

अपने करुणा-प्रेम69:13 करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द के अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये सब शामिल हैं के कारण,

अपनी कृपादृष्टि के अवसर पर,

परमेश्वर, अपने निश्चित उद्धार के द्वारा मुझे प्रत्युत्तर दीजिए.

14मुझे इस दलदल से बचा लीजिए,

इस गहरे जल में मुझे डूबने न दीजिए;

मुझे मेरे शत्रुओं से बचा लीजिए.

15बाढ़ का जल मुझे समेट न ले

और मैं गहराई में न जा पड़ूं

और पाताल मुझे निगल न ले.

16याहवेह, अपने करुणा-प्रेम की भलाई के कारण मुझे प्रत्युत्तर दीजिए;

अपनी कृपादृष्टि में अपना मुख मेरी ओर कीजिए.

17अपने सेवक से मुंह न मोड़िए;

मुझे शीघ्र उत्तर दीजिए, क्योंकि मैं संकट में पड़ा हुआ हूं.

18पास आकर मुझे इस स्थिति से बचा लीजिए;

मुझे मेरे शत्रुओं से छुड़ा लीजिए.

19आपको सब कुछ ज्ञात है, किस प्रकार मुझसे घृणा की जा रही है, मुझे लज्जित एवं अपमानित किया जा रहा है;

आप मेरे सभी शत्रुओं को भी जानते हैं.

20निंदा ने मेरा हृदय तोड़ दिया है

और अब मैं दुःखी रह गया हूं;

मुझे सहानुभूति की आवश्यकता थी, किंतु यह कहीं भी न मिली,

तब मैंने सांत्वना खोजी, किंतु वह भी कहीं न थी.

21उन्होंने मेरे भोजन में विष मिला दिया,

और पीने के लिए मुझे सिरका दिया गया.

22उनके लिए सजाई गई मेज़ ही उनके लिए फंदा बन जाए;

और जब वे शान्तिपूर्ण स्थिति में हैं, यही उनके लिए जाल सिद्ध हो जाए.

23उनके आंखों की ज्योति जाती रहे और वे देख न सकें,

उनकी कमर स्थायी रूप से झुक जाए.

24अपना क्रोध उन पर उंडेल दीजिए;

आपका भस्मकारी क्रोध उन्हें समेट ले.

25उनकी छावनी निर्जन हो जाए;

उनके मण्डपों में निवास करने के लिए कोई शेष न रह जाए.

26ये उन्हें दुःखित करते हैं, जिन्हें आपने घायल किया था,

और उनकी पीड़ा पर वार्तालाप करते हैं, जिस पर आपने प्रहार किया है.

27उनके समस्त पापों के लिए उन्हें दोषी घोषित कीजिए;

वे कभी आपकी धार्मिकता में सम्मिलित न होने पाएं.

28उनके नाम जीवन-पुस्तक से मिटा दिए जाएं;

उनका लिखा धर्मियों के साथ कभी न हो.

29मैं पीड़ा और संकट में पड़ा हुआ हूं,

परमेश्वर, आपके उद्धार में ही मेरी सुरक्षा हो.

30मैं परमेश्वर की महिमा गीत के द्वारा करूंगा,

मैं धन्यवाद के साथ उनके तेज की बड़ाई करूंगा.

31इससे याहवेह बछड़े के बलि अर्पण से अधिक प्रसन्‍न होंगे;

अथवा सींग और खुरयुक्त सांड़ की बलि से.

32दरिद्रों के लिए यह हर्ष का विषय होगा.

तुम, जो परमेश्वर के खोजी हो, इससे नया बल प्राप्‍त करो!

33याहवेह असहायों की सुनते हैं,

उन्हें बंदियों से घृणा नहीं है.

34आकाश और पृथ्वी उनकी वंदना करें, हां,

महासागर और उसमें चलते फिरते सभी प्राणी भी,

35क्योंकि परमेश्वर ज़ियोन की रक्षा करेंगे;

वह यहूदिया प्रदेश के नगरों का पुनःनिर्माण करेंगे.

तब प्रभु की प्रजा वहां बस जाएगी और उस क्षेत्र पर अधिकार कर लेगी.

36यह भूमि प्रभु के सेवकों की संतान का भाग हो जाएगी,

तथा जो प्रभु पर श्रद्धा रखते हैं, वहां निवास करेंगे.