स्तोत्र 66 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 66:1-20

स्तोत्र 66

संगीत निर्देशक के लिये. एक गीत. एक स्तोत्र.

1संपूर्ण पृथ्वी हर्षोल्लास में, परमेश्वर का जय जयकार करे!

2परमेश्वर की महिमा के तेज का गुणगान करो;

महिमा का भजन गाकर उनका स्तवन करो.

3परमेश्वर से कहो, “कैसे आश्चर्यजनक हैं आपके महाकार्य!

ऐसी अतुलनीय है आपकी सामर्थ्य,

कि आपके शत्रु आपके सामने संकुचित होकर झुक जाते हैं.

4संपूर्ण पृथ्वी आपके सामने नतमस्तक हो जाती है;

सभी देश आपका स्तवन गान करते हैं,

वे आपकी महिमा का स्तवन गान करते हैं.”

5आकर स्वयं देख लो कि परमेश्वर ने क्या-क्या किया है,

कैसे शोभायमान हैं मनुष्य के हित में किए गए उनके कार्य!

6उन्होंने समुद्र को सूखी भूमि में बदल दिया,

जब वे नदी पार कर रहे थे तो उनके पांव सूखी भूमि पर पड़ रहे थे.

आओ, हम प्रभु में आनंद मनाएं.

7सामर्थ्य में किया गया उनका शासन सर्वदा है,

सभी राष्ट्र उनकी दृष्टि में बने रहते हैं,

कोई भी उनके विरुद्ध विद्रोह का विचार न करे.

8सभी जातियों, हमारे परमेश्वर का स्तवन करो,

उनके स्तवन का नाद सर्वत्र सुनाई दे;

9उन्होंने ही हमारे जीवन की रक्षा की है

तथा हमारे पांवों को फिसलने से बचाया है.

10परमेश्वर, आपने हमारी परीक्षा ली;

आपने हमें चांदी जैसे परिशुद्ध किया है.

11आपने हमें उलझन की परिस्थिति में डालकर,

हमारी पीठ पर बोझ लाद दिए.

12आपने हमारे शत्रुओं को हमारे सिर कुचलते हुए जाने दिया;

हमें अग्नि और जलधारा में से होकर जाना पड़ा,

किंतु अंततः आपने हमें समृद्ध भूमि पर ला बसाया.

13मैं आपके मंदिर में अग्निबलि के साथ प्रवेश करूंगा,

और आपसे की गई अपनी प्रतिज्ञाएं पूर्ण करूंगा.

14वे सभी प्रतिज्ञाएं,

जो विपत्ति के अवसर पर स्वयं मैंने अपने मुख से की थी.

15मैं आपको पुष्ट पशुओं की बलि अर्पण करूंगा,

मैं मेढ़ों, बछड़ों और बकरों

की बलि अर्पण करूंगा.

16परमेश्वर के सभी श्रद्धालुओ, आओ और सुनो;

मैं उन महाकार्य को लिखा करूंगा, जो मेरे हित में परमेश्वर द्वारा किए गए हैं.

17मैंने उन्हें पुकारा,

मेरे होंठों पर उनका गुणगान था.

18यदि मैंने अपने हृदय में अपराध को संजोए रखकर,

उसे पोषित किया होता, तो परमेश्वर ने मेरी पुकार न सुनी होती;

19किंतु परमेश्वर ने न केवल मेरी प्रार्थना सुनी;

उन्होंने उसका उत्तर भी दिया है.

20धन्य हैं परमेश्वर,

जिन्होंने मेरी प्रार्थना सुनकर उसे अस्वीकार नहीं किया,

और न मुझे अपने करुणा-प्रेम से छीन लिया!

Chinese Contemporary Bible 2023 (Traditional)

詩篇 66:1-20

第66篇

頌讚與感恩

一首詩歌,交給樂長。

1普世啊,你們要向上帝歡呼,

2頌讚祂榮耀的名,

獻給祂榮耀的讚美。

3要對上帝說:「你的作為令人敬畏!

你的大能使敵人屈膝投降。

4普天下都敬拜你,

頌讚你,頌讚你的名。」(細拉)

5你們來看看上帝的作為,

祂為世人行了可畏之事!

6祂將滄海變為乾地,

讓百姓步行經過。

讓我們因祂而歡欣吧!

7祂以大能永遠掌權,

祂的眼目鑒察列國,

悖逆之徒不可在祂面前妄自尊大。(細拉)

8列邦啊,要讚美我們的上帝,

讓歌頌祂的聲音四處飄揚。

9祂保全我們的生命,

不讓我們失腳滑倒。

10上帝啊,你試驗我們,

熬煉我們如熬煉銀子。

11你讓我們陷入網羅,

把重擔壓在我們的背上。

12你讓人騎在我們的頭上。

我們曾經歷水火,

但你帶我們到達豐盛之地。

13我要帶著燔祭來到你殿中,

履行我向你許的誓言,

14就是我在危難中開口許下的誓言。

15我要獻上肥美的牲畜,

以公綿羊作馨香之祭獻給你,

我要獻上公牛和山羊。(細拉)

16敬畏上帝的人啊,你們都來聽吧,

我要告訴你們祂為我所做的事。

17我曾開口向祂呼求,

嘴中揚聲讚美祂。

18倘若我心中藏匿罪惡,

主必不垂聽我的呼求。

19然而,上帝聽了我的禱告,

傾聽了我的祈求。

20上帝當受稱頌!

祂沒有對我的禱告拒而不聽,

也沒有收回祂對我的慈愛。