स्तोत्र 53 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 53:1-6

स्तोत्र 53

संगीत निर्देशक के लिये. माख़लथ53:0 शीर्षक: शायद साहित्यिक या संगीत संबंधित एक शब्द पर आधारित दावीद की मसकील53:0 एक संगीत संबंधित शब्द गीत रचना

1मूर्ख मन ही मन में कहते हैं,

“परमेश्वर है ही नहीं.”

वे सभी भ्रष्‍ट हैं और उनकी जीवनशैली घिनौनी है;

ऐसा कोई भी नहीं, जो भलाई करता हो.

2स्वर्ग से परमेश्वर

मनुष्यों पर दृष्टि डालते हैं

इस आशा में कि कोई तो होगा, जो बुद्धिमान है,

जो परमेश्वर की खोज करता हो.

3सभी मनुष्य भटक गए हैं, सभी नैतिक रूप से भ्रष्‍ट हो चुके हैं;

कोई भी सत्कर्म परोपकार नहीं करता,

हां, एक भी नहीं.

4मेरी प्रजा के ये भक्षक, ये दुष्ट पुरुष, क्या ऐसे निर्बुद्धि हैं?

जो उसे ऐसे खा जाते हैं, जैसे रोटी को;

क्या उन्हें परमेश्वर की उपासना का कोई ध्यान नहीं?

5जहां भय का कोई कारण ही न था,

वहां वे अत्यंत भयभीत हो गए.

परमेश्वर ने उनकी हड्डियों को बिखरा दिया, जो तेरे विरुद्ध छावनी डाले हुए थे;

तुमने उन्हें लज्जित कर डाला, क्योंकि वे परमेश्वर द्वारा लज्जित किये गये थे.

6कैसा उत्तम होता यदि इस्राएल का उद्धार ज़ियोन से प्रगट होता!

याकोब के लिए वह हर्षोल्लास का अवसर होगा,

जब परमेश्वर अपनी प्रजा को दासत्व से लौटा लाएंगे, तब इस्राएल आनंदित हो जाएगा!