स्तोत्र 46 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 46:1-11

स्तोत्र 46

संगीत निर्देशक के लिये. कोराह के पुत्रों की रचना. अलामोथ46:0 शीर्षक: शायद संगीत संबंधित एक शब्द धुन पर आधारित. एक गीत.

1परमेश्वर हमारे आश्रय-स्थल एवं शक्ति हैं,

संकट की स्थिति में सदैव उपलब्ध सहायक.

2तब हम भयभीत न होंगे, चाहे पृथ्वी विस्थापित हो जाए,

चाहे पर्वत महासागर के गर्भ में जा पड़ें,

3हां, तब भी जब समुद्र गरजना करते हुए फेन उठाने लगें

और पर्वत इस उत्तेजना के कारण थर्रा जाएं.

4परमेश्वर के नगर में एक नदी है, जिसकी जलधारा में इस नगर का उल्लास है,

यह नगर वह पवित्र स्थान है, जहां सर्वोच्च परमेश्वर निवास करते हैं.

5परमेश्वर इस नगर में निवास करते हैं, इस नगर की क्षति न होगी;

हर एक अरुणोदय में उसके लिए परमेश्वर की सहायता मिलती रहेगी.

6राष्ट्रों में खलबली मची हुई है, राज्य के लोग डगमगाने लगे;

परमेश्वर के एक आह्वान पर, पृथ्वी पिघल जाती है.

7सर्वशक्तिमान याहवेह हमारे पक्ष में हैं;

याकोब के परमेश्वर में हमारी सुरक्षा है.

8यहां आकर याहवेह के कार्यों पर विचार करो,

पृथ्वी पर उन्होंने कैसा विध्वंस किया है.

9उन्हीं के आदेश से पृथ्वी के छोर तक

युद्ध थम जाते हैं.

वही धनुष को भंग और भाले को टुकड़े-टुकड़े कर देते हैं;

वह रथों को अग्नि में भस्म कर देते हैं.

10परमेश्वर कहते हैं, “समस्त प्रयास छोड़कर यह समझ लो कि परमेश्वर मैं हूं;

समस्त राष्ट्रों में मेरी महिमा होगी,

समस्त पृथ्वी पर मेरी महिमा होगी.”

11सर्वशक्तिमान याहवेह हमारे पक्ष में हैं;

याकोब के परमेश्वर में हमारी सुरक्षा है.