स्तोत्र 40 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 40:1-17

स्तोत्र 40

संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की रचना. एक स्तोत्र.

1मैं धैर्यपूर्वक याहवेह की प्रतीक्षा करता रहा;

उन्होंने मेरी ओर झुककर मेरा रोना सुना.

2उन्होंने मुझे सत्यानाश के गड्ढे में से बचा लिया,

दलदल और कीच के गड्ढे से निकाला;

उन्होंने मुझे एक चट्टान पर ले जा खड़ा कर दिया

अब मेरे पांव स्थिर स्थान पर है.

3उन्होंने मुझे हमारे परमेश्वर के स्तवन में,

एक नए गीत को सिखाया.

अनेक यह देखेंगे, श्रद्धा से भयभीत हो जाएंगे

और याहवेह में विश्वास करेंगे.

4धन्य है वह पुरुष,

जो याहवेह पर भरोसा रखता है,

जो अभिमानियों से कोई आशा नहीं रखता, अथवा उनसे,

जो झूठे देवताओं की शरण में हैं.

5याहवेह, मेरे परमेश्वर,

आपके द्वारा किए गए चमत्कार चिन्ह अनेक-अनेक हैं,

और हमारे लिए आपके द्वारा योजित योजनाएं.

आपके तुल्य कोई भी नहीं है;

यदि मैं उनका वर्णन करना प्रारंभ भी करूं,

तो उनके असंख्य होने के कारण उनकी गिनती करना असंभव होगा.

6आपको बलि और भेंट की कोई अभिलाषा नहीं,

किंतु आपने मेरे कान खोल दिए.

आपने अग्निबलि और पापबलि की भी चाहत नहीं की.

7तब मैंने यह कहा, “देखिए मैं आ रहा हूं;

पुस्तिका में यह मेरे ही विषय में लिखा है.

8मेरे परमेश्वर, मुझे प्रिय है आपकी ही इच्छापूर्ति;

आपकी व्यवस्था मेरे हृदय में बसी है.”

9विशाल सभा में मैंने आपके धर्ममय शुभ संदेश का प्रचार किया है;

देख लीजिए, याहवेह, आप जानते हैं

कि मैं इस विषय में चुप न रहूंगा.

10मैंने अपने परमेश्वर की धार्मिकता को अपने हृदय में ही सीमित नहीं रखा;

मैं आपकी विश्वासयोग्यता तथा आपके द्वारा प्रदान किए गए उद्धार की चर्चा करता रहता हूं.

विशाल सभा के सामने

मैं आपके सत्य एवं आपके करुणा-प्रेम40:10 करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द के अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये सब शामिल हैं को छुपाता नहीं.

11याहवेह, आप अपनी कृपा से मुझे दूर न करिये;

आपका करुणा-प्रेम तथा आपकी सत्यता निरंतर मुझे सुरक्षित रखेंगे.

12मैं असंख्य बुराइयों से घिर चुका हूं; मेरे अपराधों ने बढ़कर मुझे दबा दिया है;

परिणामस्वरूप अब मैं देख भी नहीं पा रहा.

ये अपराध संख्या में मेरे सिर के बालों से भी अधिक हैं,

मेरा साहस अब टूटा जा रहा है.

13याहवेह, कृपा कर मुझे उद्धार प्रदान कीजिए;

याहवेह, तुरंत मेरी सहायता कीजिए.

14वे, जो मेरे प्राणों के प्यासे हैं,

लज्जित और निराश किए जाएं;

वे जिनका आनंद मेरी पीड़ा में है,

पीठ दिखाकर भागें तथा अपमानित किए जाएं.

15वे सभी, जो मेरी स्थिति को देख, “आहा! आहा!”

कर रहे हैं, अपनी ही लज्जास्पद स्थिति को देख विस्मित हो जाएं.

16किंतु वे सभी, जो आपकी खोज करते हैं

हर्षोल्लास में मगन हों;

वे सभी, जिन्हें आपके उद्धार की आकांक्षा है, यही कहें,

“अति महान हैं याहवेह!”

17प्रभु, मैं गरीब और ज़रूरतमंद हूं;

इस कारण मुझ पर कृपादृष्टि कीजिए.

आप ही मेरे सहायक तथा छुड़ानेवाले हैं;

मेरे परमेश्वर, अब विलंब न कीजिए.