स्तोत्र 38 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 38:1-22

स्तोत्र 38

दावीद का एक स्तोत्र. अभ्यर्थना.

1याहवेह, अपने क्रोध में मुझे न डांटिए

और न अपने कोप में मुझे दंड दीजिए.

2क्योंकि आपके बाण मुझे लग चुके हैं,

और आपके हाथ के बोझ ने मुझे दबा रखा है.

3आपके प्रकोप ने मेरी देह को स्वस्थ नहीं छोड़ा;

मेरे ही पाप के परिणामस्वरूप मेरी हड्डियों में अब बल नहीं रहा.

4मैं अपने अपराधों में डूब चुका हूं;

एक अतिशय बोझ के समान वे मेरी उठाने की क्षमता से परे हैं.

5मेरे घाव सड़ चुके हैं, वे अत्यंत घृणास्पद हैं

यह सभी मेरी पापमय मूर्खता का ही परिणाम है.

6मैं झुक गया हूं, दुर्बलता के शोकभाव से अत्यंत नीचा हो गया हूं;

सारे दिन मैं विलाप ही करता रहता हूं.

7मेरी कमर में जलती-चुभती-सी पीड़ा हो रही है;

मेरी देह अत्यंत रुग्ण हो गई है.

8मैं दुर्बल हूं और टूट चुका हूं;

मैं हृदय की पीड़ा में कराह रहा हूं.

9प्रभु, आपको यह ज्ञात है कि मेरी आकांक्षा क्या है;

मेरी आहें आपसे छुपी नहीं हैं.

10मेरे हृदय की धड़कने तीव्र हो गई हैं, मुझमें बल शेष न रहा;

यहां तक कि मेरी आंखों की ज्योति भी जाती रही.

11मेरे मित्र तथा मेरे साथी मेरे घावों के कारण मेरे निकट नहीं आना चाहते;

मेरे संबंधी मुझसे दूर ही दूर रहते हैं.

12मेरे प्राणों के प्यासे लोगों ने मेरे लिए जाल बिछाया है,

जिन्हें मेरी दुर्गति की कामना है; मेरे विनाश की योजना बना रहे हैं,

वे सारे दिन छल की बुरी युक्ति रचते रहते हैं.

13मैं बधिर मनुष्य जैसा हो चुका हूं, जिसे कुछ सुनाई नहीं देता,

मैं मूक पुरुष-समान हो चुका हूं, जो बातें नहीं कर सकता;

14हां, मैं उस पुरुष-सा हो चुका हूं, जिसकी सुनने की शक्ति जाती रही,

जिसका मुख बोलने के योग्य नहीं रह गया.

15याहवेह, मैंने आप पर ही भरोसा किया है;

कि प्रभु मेरे परमेश्वर उत्तर आपसे ही प्राप्‍त होगा.

16मैंने आपसे अनुरोध किया था, “यदि मेरे पैर फिसलें,

तो उन्हें मुझ पर हंसने और प्रबल होने का सुख न देना.”

17अब मुझे मेरा अंत निकट आता दिख रहा है,

मेरी पीड़ा सतत मेरे सामने बनी रहती है.

18मैं अपना अपराध स्वीकार कर रहा हूं;

मेरे पाप ने मुझे अत्यंत व्याकुल कर रखा है.

19मेरे शत्रु प्रबल, सशक्त तथा अनेक हैं;

जो अकारण ही मुझसे घृणा करते हैं.

20वे मेरे उपकारों का प्रतिफल अपकार में देते हैं;

जब मैं उपकार करना चाहता हूं,

वे मेरा विरोध करते हैं.

21याहवेह, मेरा परित्याग न कीजिए;

मेरे परमेश्वर, मुझसे दूर न रहिए.

22तुरंत मेरी सहायता कीजिए,

मेरे प्रभु, मेरे उद्धारकर्ता.

Chinese Contemporary Bible 2023 (Traditional)

詩篇 38:1-22

第38篇

受苦者的祈求

大衛作的禱告詩。

1耶和華啊,

求你不要發怒責罰我,

不要在烈怒下管教我。

2因為你的箭射穿我,

你的手擊打我。

3你的怒氣使我渾身是病,

我的罪惡使我骨頭朽爛。

4我的罪惡滔天,如同重擔壓身。

5我因愚昧而傷口發臭流膿。

6我疼得彎腰駝背,

終日哀傷。

7我的腰灼痛難忍,

我渾身是病。

8我精疲力盡,徹底崩潰;

我心中悲傷,呻吟不止。

9主啊,我的渴望都顯露在你面前,

我的歎息瞞不過你。

10我的心砰砰直跳,

力量衰竭,

眼睛黯淡無光。

11因我的疾病,朋友同伴迴避我,

親人避而遠之。

12要我命的人設下陷阱,

想害我的人威脅我,

他們整天圖謀奸計。

13但我像耳聾的人一樣聽不見,

又像無法說話的啞巴。

14我就像一個不能聽、不能辯的人。

15耶和華啊,我等候你;

主,我的上帝啊,你必應允我。

16我曾求告你,

別讓他們幸災樂禍,

在我失腳時沾沾自喜。

17我快要跌倒,

我的痛苦常伴。

18我要承認我的罪過,

罪惡使我心裡惴惴不安。

19我的仇敵勢力強大,

無故恨我的人不計其數。

20我追求良善,

他們就恨我,以惡報善。

21耶和華啊,求你不要撇棄我!

我的上帝啊,求你不要遠離我!

22拯救我的主啊,

求你快來幫助我!