स्तोत्र 29 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 29:1-11

स्तोत्र 29

दावीद का एक स्तोत्र.

1स्वर्गदूत, याहवेह की महिमा करो,

उनके तेज तथा सामर्थ्य की महिमा करो.

2याहवेह को उनके नाम के अनुरूप महिमा प्रदान करो;

उनकी पवित्रता की भव्यता में याहवेह की आराधना करो.

3महासागर की सतह पर याहवेह का स्वर प्रतिध्वनित होता है;

महिमामय परमेश्वर का स्वर गर्जन समान है,

याहवेह प्रबल लहरों के ऊपर गर्जन करते हैं.

4शक्तिशाली है याहवेह का स्वर;

भव्य है याहवेह का स्वर.

5याहवेह का स्वर देवदार वृक्ष को उखाड़ फेंकता है;

याहवेह लबानोन के देवदार वृक्षों को टुकड़े-टुकड़े कर डालते हैं.

6याहवेह लबानोन को बछड़े जैसे उछलने,

तथा हर्मोन को वन्य सांड़ जैसे, उछलने के लिए प्रेरित करते हैं.

7याहवेह के स्वर का प्रहार,

बिजलियों के समान होता है.

8याहवेह का स्वर वन को हिला देता है;

याहवेह कादेश के बंजर भूमि को हिला देते हैं.

9याहवेह के स्वर से हिरणियों का गर्भपात हो जाता है;

उनके स्वर से बंजर भूमि में पतझड़ हो जाता है.

तब उनके मंदिर में सभी पुकार उठते हैं, “याहवेह की महिमा ही महिमा!”

10ढेर जल राशि पर याहवेह का सिंहासन बसा है;

सर्वदा महाराजा होकर वह सिंहासन पर विराजमान हैं.

11याहवेह अपनी प्रजा को बल प्रदान करते हैं;

याहवेह अपनी प्रजा को शांति की आशीष प्रदान करते हैं.