स्तोत्र 24 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 24:1-10

स्तोत्र 24

दावीद की रचना. एक स्तोत्र.

1पृथ्वी और पृथ्वी में जो कुछ भी है, सभी कुछ याहवेह का ही है.

संसार और वे सभी, जो इसमें निवास करते हैं, उन्हीं के हैं;

2क्योंकि उन्हीं ने महासागर पर इसकी नींव रखी

तथा जलप्रवाहों पर इसे स्थिर किया.

3कौन चढ़ सकेगा याहवेह के पर्वत पर?

कौन खड़ा रह सकेगा उनके पवित्र स्थान में?

4वही, जिसके हाथ निर्मल और हृदय शुद्ध है,

जो मूर्तियों पर भरोसा नही रखता,

जो झूठी शपथ नहीं करता.

5उस पर याहवेह की आशीष स्थायी रहेगी.

परमेश्वर, उसका छुड़ाने वाला, उसे धर्मी घोषित करेंगे.

6यही है वह पीढ़ी, जो याहवेह की कृपादृष्टि खोजने वाली,

जो आपके दर्शन की अभिलाषी है, हे याकोब के परमेश्वर!

7प्रवेश द्वारो, ऊंचे करो अपने मस्तक;

प्राचीन किवाड़ो, ऊंचे हो जाओ,

कि महातेजस्वी महाराज प्रवेश कर सकें.

8यह महातेजस्वी राजा हैं कौन?

याहवेह, तेजी और समर्थ,

याहवेह, युद्ध में पराक्रमी.

9प्रवेश द्वारों, ऊंचा करो अपने मस्तक;

प्राचीन किवाड़ों, ऊंचे हो जाओ,

कि महातेजस्वी महाराज प्रवेश कर सकें.

10यह महातेजस्वी राजा कौन है?

सर्वशक्तिमान याहवेह!

वही हैं महातेजस्वी महाराजा.