स्तोत्र 22 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 22:1-31

स्तोत्र 22

संगीत निर्देशक के लिये. “सबेरे की हिरणी” धुन पर आधारित. दावीद का एक स्तोत्र.

1मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, क्यों आपने मेरा परित्याग कर दिया?

मुझे मुक्त करने में इतना विलंब क्यों हो रहा है?

क्यों मेरे कराहने का स्वर आप सुन नहीं पा रहे?

2मेरे परमेश्वर, मैं दिन में पुकारता हूं पर आप उत्तर नहीं देते,

रात्रि में भी मुझे शांति प्राप्‍त नहीं हो पाती.

3जबकि पवित्र हैं आप;

जो इस्राएल के स्तवन पर विराजमान हैं.

4हमारे पूर्वजों ने आप पर भरोसा किया;

उन्होंने आप पर भरोसा किया और आपने उनका उद्धार किया.

5उन्होंने आपको पुकारा और आपने उनका उद्धार किया;

आप में उनके विश्वास ने उन्हें लज्जित होने न दिया.

6अब मैं मनुष्य नहीं, कीड़ा मात्र रह गया हूं,

मनुष्यों के लिए लज्जित, जनसाधारण के लिए अपमानित.

7वे सभी, जो मुझे देखते हैं, मेरा उपहास करते हैं;

वे मेरा अपमान करते हुए सिर हिलाते हुए कहते हैं,

8“उसने याहवेह में भरोसा किया है,

याहवेह ही उसे मुक्त कराएं.

वही उसे बचाएं,

क्योंकि वह याहवेह में ही मगन रहता है.”

9आप ही हैं, जिन्होंने मुझे गर्भ से सुरक्षित निकाला;

जब मैं अपनी माता की गोद में ही था, आपने मुझमें अपने प्रति विश्वास जगाया.

10जन्म के समय से ही मुझे आपकी सुरक्षा में छोड़ दिया गया;

आप उस क्षण से मेरे परमेश्वर हैं, जिस क्षण से मैं माता के गर्भ में आया.

11प्रभु, मुझसे दूर न रहें,

क्योंकि संकट निकट दिखाई दे रहा है

और मेरा सहायक कोई नहीं.

12अनेक सांड़ मुझे घेरे हुए हैं;

बाशान के सशक्त सांड़ों ने मुझे घेर रखा है.

13उन्होंने अपने मुंह ऐसे फाड़ रखे हैं

जैसे गरजनेवाले हिंसक सिंह अपने शिकार को देख मुख फाड़ते हैं.

14मुझे जल के समान उंडेल दिया गया है,

मेरी हड्डियां जोड़ों से उखड़ गई हैं.

मेरा हृदय मोम समान हो चुका है;

वह भी मेरे भीतर ही भीतर पिघल चुका है.

15मेरा मुंह ठीकरे जैसा शुष्क हो चुका है,

मेरी जीभ तालू से चिपक गई है;

आपने मुझे मृत्यु की मिट्टी में छोड़ दिया है.

16कुत्ते मुझे घेरकर खड़े हुए हैं,

दुष्टों का समूह मेरे चारों ओर खड़ा हुआ है;

उन्होंने मेरे हाथ और पांव छेद दिए हैं.

17अब मैं अपनी एक-एक हड्डी गिन सकता हूं;

लोग मुझे ताकते हुए मुझ पर कुदृष्टि डालते हैं.

18उन्होंने मेरा बाहरी कपड़ा आपस में बांट लिया,

और मेरे अंदर के वस्त्र के लिए पासा फेंका.

19किंतु, याहवेह, आप मुझसे दूर न रहें.

आप मेरी शक्ति के स्रोत हैं; मेरी सहायता के लिए देर मत लगाइए.

20तलवार के प्रहार से तथा कुत्तों के आक्रमण से,

मेरे जीवन की रक्षा करें.

21सिंहों के मुंह से तथा वन्य सांड़ों के सीगों से,

मेरी रक्षा करें.

22तब मैं स्वजनों में आपकी महिमा का प्रचार करूंगा;

सभा में मैं आपका स्तवन करूंगा.

23याहवेह के श्रद्धालुओ, उनका स्तवन करो!

याकोब के वंशजो, उनका सम्मान करो!

समस्त इस्राएल वंशजो, उनकी वंदना करो!

24क्योंकि याहवेह ने दुःखितों की शोचनीय,

करुण स्थिति को न तो तुच्छ जाना और न ही उससे घृणा की.

वह पीड़ितों की यातनाएं देखकर उनसे दूर न हुए,

परंतु उन्होंने उनकी सहायता के लिए उनकी वाणी सुनी.

25महासभा में आपके गुणगान के लिए मेरे प्रेरणास्रोत आप ही हैं;

आपके श्रद्धालुओं के सामने मैं अपने प्रण पूर्ण करूंगा.

26नम्र पुरुष भोजन कर तृप्‍त हो जाएगा;

जो याहवेह के खोजी हैं, वे उनका स्तवन करेंगे.

सर्वदा सजीव रहे तुम्हारा हृदय!

27पृथ्वी की छोर तक

सभी मनुष्य याहवेह को स्मरण कर उनकी ओर उन्मुख होंगे,

राष्ट्रों के समस्त परिवार

उनके सामने नतमस्तक होंगे.

28क्योंकि राज्य याहवेह ही का है,

समस्त राष्ट्रों के अधिपति वही हैं.

29खा-पीकर पृथ्वी के समस्त हृष्ट-पुष्ट उनके सामने नतमस्तक हो उनकी वंदना करेंगे;

सभी नश्वर मनुष्य उनके सामने घुटने टेक देंगे,

जो अपने ही प्राण जीवित रख नहीं सकते.

30यह संपूर्ण पीढ़ी उनकी सेवा करेगी;

भावी पीढ़ी को प्रभु के विषय में बताया जाएगा.

31वे परमेश्वर की धार्मिकता तथा उनके द्वारा किए गए महाकार्य की घोषणा

उस पीढ़ी के सामने करेंगे,

जो अभी अजन्मी ही है.