स्तोत्र 16 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 16:1-11

स्तोत्र 16

दावीद की मिकताम16:0 शीर्षक: शायद साहित्यिक या संगीत संबंधित एक शब्द गीत रचना.

1परमेश्वर, मुझे सुरक्षा प्रदान कीजिए,

क्योंकि मैंने आप में आश्रय लिया है.

2याहवेह से मैंने कहा, “आप ही प्रभु हैं;

वस्तुतः आपको छोड़ मेरा हित संभव ही नहीं.”

3पृथ्वी पर आपके लोग पवित्र महिमामय हैं,

“वे ही मेरे सुख एवं आनंद का स्रोत हैं.”

4वे, जो अन्य देवताओं के पीछे भागते हैं, उनके क्लेशों में वृद्धि होती जाएगी.

मैं उन देवताओं के लिए न तो रक्त की पेय बलि उंडेलूंगा

और न मैं उनका नाम अपने होंठों पर लाऊंगा.

5याहवेह, आप मेरा हिस्सा हैं, आप ही मेरा भाग हैं;

आप ही मुझे सुरक्षा प्रदान करते हैं.

6माप की डोर ने मेरे लिए रमणीय स्थान निर्धारित किए हैं;

निःसंदेह मेरा भाग आकर्षक है.

7मैं याहवेह को स्तुत्य कहूंगा, जिन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया है;

रात्रि में भी मेरा अंतःकरण मुझे शिक्षा देता है.

8मैंने सदैव ही याहवेह की उपस्थिति का बोध अपने सामने बनाए रखा है.

जब वह नित मेरे दायें पक्ष में रहते हैं, तो भला मैं कैसे लड़खड़ा सकता हूं.

9इसलिये मेरा हृदय आनंदित और मेरी जीभ मगन हुई;

मेरा शरीर भी सुरक्षा में विश्राम करेगा,

10क्योंकि आप मेरे प्राण को अधोलोक में सड़ने नहीं छोड़ देंगे,

और न अपने मनचाहे प्रिय पात्र को मृत्यु के क्षय में.

11आप मुझ पर सर्वदा जीवन का मार्ग प्रकाशित करेंगे;

आपकी उपस्थिति में परम आनंद है,

आपके दाहिने हाथ में सर्वदा सुख बना रहता है.