स्तोत्र 146 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 146:1-10

स्तोत्र 146

1याहवेह का स्तवन हो.

मेरे प्राण, याहवेह का स्तवन करो.

2जीवन भर मैं याहवेह का स्तवन करूंगा;

जब तक मेरा अस्तित्व है, मैं अपने परमेश्वर का स्तुति गान करता रहूंगा.

3प्रधानों पर अपना भरोसा आधारित न करो—उस नश्वर मनुष्य पर,

जिसमें किसी को छुड़ाने की कोई सामर्थ्य नहीं है.

4जब उसके प्राण पखेरू उड़ जाते हैं, वह भूमि में लौट जाता है;

और ठीक उसी समय उसकी योजनाएं भी नष्ट हो जाती हैं.

5धन्य होता है वह पुरुष, जिसकी सहायता का उगम याकोब के परमेश्वर में है,

जिसकी आशा याहवेह, उसके परमेश्वर पर आधारित है.

6वही स्वर्ग और पृथ्वी के,

समुद्र तथा उसमें चलते फिरते सभी प्राणियों के कर्ता हैं;

वह सदा-सर्वदा विश्वासयोग्य रहते हैं.

7वही दुःखितों के पक्ष में न्याय निष्पन्‍न करते हैं,

भूखों को भोजन प्रदान करते हैं.

याहवेह बंदी को छुड़ाते हैं,

8वह अंधों की आंखें खोल दृष्टि प्रदान करते हैं,

याहवेह झुके हुओं को उठाकर सीधा खड़ा करते हैं,

उन्हें नीतिमान पुरुष प्रिय हैं.

9याहवेह प्रवासियों की हितचिंता कर उनकी रक्षा करते हैं

वही हैं, जो विधवा तथा अनाथों को संभालते हैं,

किंतु वह दुष्टों की युक्तियों को नष्ट कर देते हैं.

10याहवेह का साम्राज्य सदा के लिए है,

ज़ियोन, पीढ़ी से पीढ़ी तक तेरा परमेश्वर राजा हैं.

याहवेह का स्तवन करो.