स्तोत्र 140 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 140:1-13

स्तोत्र 140

संगीत निर्देशक के लिये. दावीद का एक स्तोत्र.

1याहवेह, दुष्ट पुरुषों से मुझे उद्धार प्रदान कीजिए;

हिंसक पुरुषों से मेरी रक्षा कीजिए,

2वे मन ही मन अनर्थ षड़्‍यंत्र रचते रहते हैं

और सदैव युद्ध ही भड़काते रहते हैं.

3उन्होंने अपनी जीभ सर्प सी तीखी बना रखी है;

उनके होंठों के नीचे नाग का विष भरा है.

4याहवेह, दुष्टों से मेरी रक्षा कीजिए;

मुझे उन हिंसक पुरुषों से सुरक्षा प्रदान कीजिए,

जिन्होंने, मेरे पैरों को उखाड़ने के लिए युक्ति की है.

5उन अहंकारियों ने मेरे पैरों के लिए एक फंदा बनाकर छिपा दिया है;

तथा रस्सियों का एक जाल भी बिछा दिया है,

मार्ग के किनारे उन्होंने मेरे ही लिए फंदे लगा रखे हैं.

6मैं याहवेह से कहता हूं, “आप ही मेरे परमेश्वर हैं.”

याहवेह, कृपा करके मेरी पुकार पर ध्यान दीजिए.

7याहवेह, मेरे प्रभु, आप ही मेरे उद्धार का बल हैं,

युद्ध के समय आप ही मेरे सिर का आवरण बने.

8दुष्टों की अभिलाषा पूर्ण न होने दें, याहवेह;

उनकी बुरी युक्ति आगे बढ़ने न पाए अन्यथा वे गर्व में ऊंचे हो जाएंगे.

9जिन्होंने इस समय मुझे घेरा हुआ है;

उनके होंठों द्वारा उत्पन्‍न कार्य उन्हीं के सिर पर आ पड़े.

10उनके ऊपर जलते हुए कोयलों की वृष्टि हो;

वे आग में फेंक दिए जाएं,

वे दलदल के गड्ढे में डाल दिए जाएं, कि वे उससे बाहर ही न निकल सकें.

11निंदक इस भूमि पर अपने पैर ही न जमा सकें;

हिंसक पुरुष अति शीघ्र बुराई द्वारा पकड़े जाएं.

12मैं जानता हूं कि याहवेह दुखित का पक्ष अवश्य लेंगे

तथा दीन को न्याय भी दिलाएंगे.

13निश्चयतः धर्मी आपके नाम का आभार मानेंगे,

सीधे आपकी उपस्थिति में निवास करेंगे.