स्तोत्र 137 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 137:1-9

स्तोत्र 137

1बाबेल की नदी के तट पर बैठे हुए

ज़ियोन का स्मरण कर हम रो रहे थे.

2वहां मजनू वृक्षों पर हमने

अपने वाद्य टांग दिए थे.

3क्योंकि जिन्होंने हमें बंदी बनाया था,

वे हमारा गायन सुनना चाह रहे थे और जो हमें दुःख दे रहे थे;

वे हमसे हर्षगान सुनने की चाह कर रहे थे, “हमें ज़ियोन का कोई गीत सुनाओ!”

4प्रवास में हमारे लिए

याहवेह का स्तवन गान गाना कैसे संभव हो सकता था?

5येरूशलेम, यदि मैं तुम्हें भूल जाऊं,

तो मेरे दायें हाथ का कौशल जाता रहेगा.

6यदि मैं तुम्हारा स्मरण न करूं,

यदि मैं येरूशलेम को अपना सर्वोच्च आनंद न मानूं,

मेरी जीभ तालू से जा चिपके.

7याहवेह, वह दिन स्मरण कीजिए जब एदोम के वंशज

येरूशलेम के विरुद्ध एकत्र हो गए थे.

वे कैसे चिल्ला रहे थे, “ढा दो इसे,

इसे नींव तक ढा दो!”

8बाबेल की पुत्री, तेरा विनाश तो निश्चित है,

धन्य होगा वह पुरुष, जो तुझसे उन अत्याचारों का प्रतिशोध लेगा

जो तूने हम पर किए.

9धन्य होगा वह पुरुष,

जो तेरे शिशुओं को उठाकर चट्टान पर पटक देगा.