सर्वश्रेष्ठ गीत 6 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

सर्वश्रेष्ठ गीत 6:1-13

मित्रगण

1स्त्रियों में परम सुंदरी,

कहां चला गया है तुम्हारा प्रेमी?

किस मोड़ पर बढ़ गया है वह,

हमें बताओ कि हम भी तुम्हारे साथ उसे खोजें?

नायिका

2मेरा प्रेमी अपनी वाटिका में है,

जहां बलसान की क्यारियां हैं.

कि वह वहां अपनी भेड़-बकरियों को चराए,

कि वहां वह सोसन के फूल इकट्ठा करे.

3मैं अपने प्रेमी की हो चुकी हूं तथा वह मेरा;

वही, जो अपनी भेड़-बकरियों को सोसन के फूलों के बीच में चरा रहा है.

नायक

4मेरी प्रियतमा, तुम तो वैसी ही सुंदर हो, जैसी तिरज़ाह6:4 तिरज़ाह उत्तरी इस्राएल की एक प्राचीन राजधानी थी,

वैसी ही रूपवान, जैसी येरूशलेम,

वैसी ही प्रभावशाली, जैसी झंडा फहराती हुई सेना.

5हटा लो मुझसे अपनी आंखें;

क्योंकि उन्होंने मुझे व्याकुल कर दिया है.

तुम्हारे बाल वैसे ही हैं, जैसे बकरियों का झुण्ड़,

जो गिलआद से उतरा हुआ है.

6तुम्हारे दांत अभी-अभी ऊन कतरे हुए

भेड़ों के समान हैं,

उन सभी के जुड़वां बच्‍चे होते हैं,

तथा जिनमें से एक भी अकेला नहीं है. 7तुम्हारे गाल ओढ़नी से ढंके हुए

अनार की दो फांक के समान हैं.

8वहां रानियों की संख्या साठ है

तथा उपपत्नियों की अस्सी,

दासियां अनगिनत हैं,

9किंतु मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल सुंदरी, अनोखी है,

अपनी माता की एकलौती संतान,

अपनी जननी की दुलारी.

जैसे ही दासियों ने उसे देखा, उसे धन्य कहा;

रानियों तथा उपपत्नियों ने उसकी प्रशंसा की, उन्होंने कहा:

मित्रगण

10कौन है यह, जो भोर के समान उद्भूत हो रही है,

पूरे चांद के समान सुंदर, सूर्य के समान निर्मल,

वैसी ही प्रभावशाली, जैसे झंडा फहराती हुई सेना?

नायिका

11मैं अखरोट के बगीचे में गयी

कि घाटी में खिले फूलों को देखूं,

कि यह पता करूं कि दाखलता में कलियां लगी हैं या नहीं.

अनार के पेड़ों में फूल आए हैं या नहीं.

12इसके पहले कि मैं कुछ समझ पाती,

मेरी इच्छाओं ने मुझे मेरे राजकुमार के रथों पर पहुंचा दिया.

मित्रगण

13लौट आओ, शुलामी, लौट आओ;

लौट आओ, लौट आओ, कि हम तुम्हें देख सकें!

नायक

तुम लोग शुलामी को क्यों देखोगे,

मानो यह कोई दो समूहों6:13 दो समूहों मूल में माहानाईम उत्प 32:2 देखें का नृत्य है?