सर्वश्रेष्ठ गीत 2 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

सर्वश्रेष्ठ गीत 2:1-17

नायिका

1मैं शारोन का गुलाब हूं,

घाटियों की कुमुदिनी.

नायक

2कन्याओं के बीच

मेरी प्रिया कांटों के बीच कुमुदिनी के समान है.

नायिका

3मेरा प्रियतम जवानों के बीच वैसा ही लगता है,

जैसा जंगली पेड़ों के बीच एक सेब का पेड़.

उसकी छाया में मेरा बैठना सुखद अनुभव था,

मीठा था उसके फल का स्वाद.

4वह मुझे अपने महाभोज के कमरे में ले आया,

तथा प्रेम ही मुझ पर उसका झंडा है.

5अंगूर की टिकियों से मुझमें बल भर दो,

सेब खिलाकर मुझमें नई ताज़गी भर दो,

क्योंकि मुझे प्रेम रोग हो गया है.

6उसका बायां हाथ मेरे सिर के नीचे हो,

तथा दाएं हाथ से वह मेरा आलिंगन करे.

7येरूशलेम की कन्याओ,

तुम्हें मैदान के हिरणों तथा हिरणियों की शपथ, मुझको वचन दो,

जब तक सही समय न आए,

मेरे प्रेम को न जगाना.

8सुनो-सुनो!

मेरा प्रियतम आ रहा है,

पर्वतों को पार कर,

पहाड़ियों पर उछलते हुए.

9मेरा प्रियतम एक चिंकारे अथवा एक हिरण के समान है.

वह देखो, वह हमारी दीवार के पीछे ही खड़ा है,

वह खिड़कियों में से देख रहा है,

वह जाली में से झांक रहा है.

10इसके उत्तर में मेरे प्रियतम ने मुझसे कहा,

“उठो, मेरी प्रियतमा,

मेरी सुंदरी, मेरे साथ चलो.

11क्योंकि देख लो! जाड़ा जा रहा है;

वर्षा ऋतु भी हो चुकी है.

12देश में फूल खिल चुके हैं;

गुनगुनाने का समय आ चुका है,

हमारे देश में कबूतरों का

गीत सुनाई देने लगा है.

13अंजीर के पेड़ में अंजीर पक चुके हैं;

लताओं पर खिले फूल सुगंध फैला रहे हैं.

उठो, मेरी प्रियतमा;

मेरी सुंदरी, मेरे साथ चलो.”

नायक

14चट्टान की दरारों में,

चढ़ाई के रास्ते के गुप्‍त स्थानों में बैठी मेरी कबूतरी,

मैं तुम्हारा मुख देखना चाहता हूं,

मैं तुम्हारी आवाज सुनना चाहता हूं;

क्योंकि मीठी है तुम्हारी आवाज,

सुंदर है तुम्हारा मुखमंडल.

15हमारे लिए उन लोमड़ियों को पकड़ लो,

उन छोटी लोमड़ियों को,

जो हमारे अंगूर के बगीचों को नष्ट कर रही हैं,

जब हमारे अंगूर के बगीचों में फूल खिल रहे हैं.

नायिका

16मेरा प्रियतम सिर्फ मेरा ही है और मैं उसकी;

वह अपनी भेड़-बकरियों को सोसन के फूलों के बीच में चरा रहा है.

17शाम के आने तक

जब छाया मिटने लगती है,

मेरे प्रिय, बतेर पहाड़ों पर

के हिरण के समान,

हां, हिरण के बच्‍चे

के समान लौट आओ.