व्यवस्था 4 – HCV & CCB

Hindi Contemporary Version

व्यवस्था 4:1-49

आदेशों का पालन करना

1हे इस्राएल, उन विधियों और नियमों को ध्यान से सुन लो, जिनका पालन करने की शिक्षा मैं तुम्हें दे रहा हूं, कि तुम जीवित रहते हुए उस देश में प्रवेश कर उस पर अधिकार कर लो, जो तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर याहवेह तुम्हें दे रहे हैं. 2तुम मेरी बातों में, जिसका आदेश मैं तुम्हें आज दे रहा हूं, न तो कुछ जोड़ोगे और न ही घटाओगे, कि तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों का पालन कर सको, जो मैंने भेज रखा है.

3यह तो तुमने खुद ही देख लिया है कि याहवेह ने बाल-पिओर के साथ क्या किया है. जितनों ने बाल-पिओर के पीछे चलने का निश्चय किया, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने उन्हें तुम्हारे बीच से नाश कर दिया, 4मगर तुम, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के प्रति सच्चे बने रहे, तुममें से सबके सब आज भी जीवित हो.

5याद रहे, मैं तुम्हें नियमों और विधियों की शिक्षा दे चुका हूं, ठीक जैसा, मेरे लिए याहवेह, मेरे परमेश्वर का आदेश था, कि तुम्हारा चालचलन उस देश में, जहां तुम उस पर अधिकार के उद्देश्य से प्रवेश करने पर हो, इन्हीं के अनुसार हो. 6तब इनका पालन करो; क्योंकि इनका पालन करना और इन पर चलना ही उन लोगों की दृष्टि में तुम्हारी समझ और बुद्धिमानी होगी, जो इन विधियों का वर्णन सुनेंगे और तब उनके शब्द होंगे, “निश्चय यह सम्पन्‍न राष्ट्र एक बुद्धिमान और ज्ञानवान राष्ट्र है.” 7क्योंकि किस सम्पन्‍न राष्ट्र का ऐसा ईश्वर है, जो उसके ऐसे पास रहता है, जैसे याहवेह, हमारे परमेश्वर उस मौके पर होते हैं, जब हम उन्हें पुकारते हैं? 8अथवा ऐसा कौन सम्पन्‍न राष्ट्र है, जिसकी विधियां और नियम ऐसे रीत हैं जैसे इस सारी व्यवस्था के हैं, जो आज मैं तुम्हारे सामने रखने जा रहा हूं?

9सिर्फ सावधानी बनाए रखो और बड़ी ही चौकसी से अपने भले की सुरक्षा बनाए रखो, कि तुम्हारी आंखों से खुद तुम्हारे द्वारा देखा गया घटनाक्रम गायब न हो जाए, कि आजीवन वे तुम्हारे हृदय से न निकलें, बल्कि तुम अपने पुत्र और पोतों को इन्हें सिखाते रहो. 10वह दिन भूल न जाओ जिस दिन तुम होरेब पर्वत पर याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के सामने उपस्थित हुए थे, जब याहवेह ने मुझे संबोधित किया, “मेरे सामने लोगों को इकट्ठा करो, कि मैं उन्हें अपनी आवाज सुना सकूं, कि फलस्वरूप उनमें आजीवन मेरे प्रति श्रद्धा और भय बना रह जाए; और वे अपनी संतान को इसकी शिक्षा दे सकें.” 11तुम सब पास आकर पर्वत के नीचे इकट्ठा हो गए. पर्वत पर आग की लपटें आकाश चूम रही थीं. हर जगह अंधकार, मेघ और घना धुआं फैल चुका था. 12तब याहवेह ने आग में से तुमसे बातें की. तुम्हें शब्द और आवाज तो सुनाई दे रहे थे, मगर किसी भी प्रकार का स्वरूप दिखाई नहीं दे रहा था-वहां सिर्फ आवाज ही सुनाई दे रही थी. 13वहां याहवेह ने अपनी उस वाचा की घोषणा, जिसके पालन करने का आदेश उन्होंने तुम्हें दिया था, अर्थात् वे दस आदेश. ये आदेश याहवेह ने दो पट्टियों पर उकेर दिए थे. 14उस समय याहवेह का यही आदेश था, कि मैं तुम्हें इन विधियों और नियमों की शिक्षा दूं, कि तुम उस देश में पहुंचकर इनका पालन कर सको, जिस देश में जाकर तुम उस पर अधिकार करने पर हो.

मूर्तिपूजन मत करो

15इसलिये बहुत सावधान रहो, क्योंकि जिस दिन होरेब पर्वत पर याहवेह आग के बीच से तुमसे अभिमुख हुए थे. तुम्हें उनका कोई भी स्वरूप दिखाई नहीं दिया था, 16कि तुम्हारा चरित्र दूषित न हो जाए और तुम अपने लिए किसी भी स्वरूप में मूर्ति न ढाल लो, नर अथवा नारी के रूप में, 17अथवा पृथ्वी तल पर के किसी पशु की मूर्ति, अथवा आकाश में उड़ते पक्षी की, 18या किसी रेंगते जंतु की, किसी मछली की मूर्ति न ढाल लो जो पृथ्वी सतह से नीचे जल में पाई जाती है. 19सावधान रहो, कि तुम अपनी दृष्टि आकाश की ओर उठाकर सूर्य, चंद्रमा और तारों; हां, नक्षत्रों की ओर उठाकर उनकी ओर आकर्षित हो जाओ और उनकी आराधना और स्तुति करना शुरू कर दो. इन्हें तो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने सारी पृथ्वी की जनताओं के हित में प्रदान किए हैं. 20मगर सच यह है कि मिस्र देश में से याहवेह मानो आग की भट्टी से तुम्हें निकालकर लाए हैं, कि तुम जैसा आज देख ही रहे हो, तुम याहवेह ही की संपत्ति होकर रहो.

21तुम्हारे कारण मैं याहवेह के क्रोध का शिकार हो गया! उन्होंने यह शपथ ली, कि मैं यरदन नदी के पार नहीं जा सकूंगा, कि मैं उस उत्तम देश में प्रवेश नहीं करूंगा, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास के रूप में दे रहे हैं. 22मेरी मृत्यु इसी देश में होनी तय है. मैं यरदन नदी के पार नहीं जाऊंगा पर तुम लोग जाओगे और इस श्रेष्ठ भूमि पर अधिकार करोगे. 23इसलिये सावधान रहो; कि तुम उस वाचा को भुला न डालो, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हारे साथ बांधी है. इसलिये अपने लिए उनमें से किसी भी प्रकार की मूर्ति न बनाना, जिसके लिए याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की ओर से मनाही की गई है. 24क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर भस्म करनेवाली आग हैं, एक जलन रखनेवाला परमेश्वर.

25जब तुम्हारे संतान उत्पन्‍न होगी और फिर उनकी भी संतान पैदा होगी और उस देश में तुम पीढ़ी से पीढ़ी तक निवास कर चुके होगे और तब अपना चालचलन बिगाड़कर किसी भी वस्तु की मूर्ति बना लो, जो कि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की दृष्टि में गलत है और इसके द्वारा तुम उनको क्रोध से भर दो, 26तो मैं तुम्हारे विरुद्ध गवाह होने के लिए आज आकाश और पृथ्वी को बुला रहा हूं, कि तुम निःसंदेह उस देश में, जहां तुम यरदन के पार उतरकर उस पर अधिकार करने पर हो, शीघ्र ही पूरी तरह नाश हो जाओगे. 27याहवेह तुम्हें राष्ट्रों के बीच तितर-बितर कर देंगे. याहवेह तुम्हें जिन जनताओं में ठहराएंगे, तुम वहां थोड़ी गिनती में होकर रह जाओगे. 28तुम उन राष्ट्रों में ऐसे देवताओं की उपासना करेंगे, जो लकड़ी और पत्थर की सिर्फ मानव की कलाकृति हैं, जो देख न सकते है, न सुन सकते है, और न ही सूंघने और भोजन करने की क्षमता. 29मगर तुम उसी परिस्थिति में याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के खोजने वाले हो जाओगे; वहां तुम उन्हें पा भी लोगे, यदि तुम सच्चाई से पूरे हृदय से उनकी खोज करोगे. 30जब तुम संकट की स्थिति में जा पड़ो और ये सारी मुसीबतें तुम्हें आ घेरें, तब अंततः तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की ओर लौट आओगे और तुम्हें उनकी आवाज भी सुनाई पड़ेगी. 31क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर दयालु-कृपालु परमेश्वर हैं; न वह तुम्हें छोड़ देंगे, न तुम्हें नाश कर देंगे और न ही वह तुम्हारे पूर्वजों से शपथपूर्वक की गई वाचा को भुला देंगे.

याहवेह ही परमेश्वर

32अच्छा चलो, अब कुछ पहले के युगों के बारे में जान लो, जब परमेश्वर ने पृथ्वी पर मनुष्य को बनाया था. इसके विषय में आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक पूछताछ कर डालो. क्या ऐसे अद्भुत काम कहीं और हुए हैं? या ऐसा कुछ भी कभी सुना गया है? 33क्या किसी भी दूसरे राष्ट्र ने आग के बीच में से परमेश्वर को बातचीत करते हुए सुना और फिर भी जीवित रह गए? 34या क्या याहवेह तुम्हारे परमेश्वर जैसा कोई परमेश्वर भी हुआ है, जिसने विपत्तियों, अद्भुत चिन्हों, चमत्कारों द्वारा, युद्ध द्वारा, अपने भुजबल और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा एक राष्ट्र के बीच में से अपने लिए एक राष्ट्र को तुम्हारे ही देखते-देखते निकालकर लिया हो?

35यह सब तुम्हारे सामने इसलिये दिखाया गया, कि वह, जो याहवेह हैं, वही परमेश्वर हैं; कोई भी नहीं है उनके अलावा. 36वह स्वर्ग से तुमसे बातें करते रहे कि तुम्हें शिक्षा देकर अनुशासित कर सकें. यहां पृथ्वी पर उन्होंने यह सही समझा कि तुम उनकी उस बड़ी आग पर नज़र कर सको. तब तुमने आग के बीच से उनकी बातें सुन लीं. 37यह सिर्फ इसलिये कि तुम्हारे पूर्वजों से याहवेह को प्रेम था, इसलिये उन्होंने उनके वंशजों को उनके बाद अपना लिया. उन्होंने तो व्यक्तिगत रूप से अपनी बड़ी सामर्थ्य के द्वारा तुम्हें मिस्र देश से निकाला है, 38उन्होंने तुम्हारे सामने से ऐसी जनताओं को खदेड़ दिया, जो तुमसे गिनती में भी बहुत थे और शक्ति में तुमसे बहुत बलशाली भी, कि वह तुम्हें मीरास के लिए उनके देश प्रदान कर दें; जैसा आज तुम्हारे सामने साफ़ ही है.

39इसलिये आज यह समझ लो: जो याहवेह हैं, वही ऊपर आकाश और स्वर्ग में और यहां नीचे धरती पर परमेश्वर हैं, दूसरा कोई भी नहीं. 40इसलिये तुम उनके नियमों और उनके आदेशों का पालन करोगे, जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूं, कि तुम्हारा हित होता रहे और तुम्हारे बाद तुम्हारे वंशजों का भी, और तुम उस देश में, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें स्थायी रूप से प्रदान कर रहे हैं, लंबी आयु तक रह सको.

शरण के शहर

41फिर मोशेह ने यरदन के पार पूर्व दिशा में तीन नगरों को इस उद्देश्य से अलग किया, 42कि किसी व्यक्ति से बिना किसी मन मुटाव के असावधानी में किसी की बिना योजना के हत्या हो गई हो, ऐसा व्यक्ति भागकर इनमें से किसी नगर में आकर बस जाए, कि वह जीवित रह सके. 43निर्जन प्रदेश में बेज़र, जो रियूबेन के घराने को दिए गए पठार पर हैं, गाद-वंशजों को दिए गए गिलआद में रामोथ और मनश्शेह-वंशजों का दिया गया बाशान का गोलान.

अधिनियम और आज्ञाओं का परिचय

44इस्राएलियों के सामने, जो विधि मोशेह ने तय की थी, वह यह है. 45जब इस्राएल मिस्र देश से निकलकर यरदन नदी की पूर्व दिशा की घाटी में बेथ-पिओर नगर के सामने आ चुके थे, 46तब मोशेह ने उन्हें ये अध्यादेश अधिनियम और आज्ञाएं दीं. यह वह क्षेत्र था, जहां हेशबोन नगर में अमोरियों के राजा सीहोन का शासन था. मिस्र से आते हुए मोशेह और इस्राएलियों ने उसे हरा दिया था. 47उन्होंने उसके देश का और बाशान के राजा ओग के देश पर अधिकार कर लिया. ये दो अमोरी राजा थे, जो यरदन नदी के पूर्व में रहते थे. 48इस देश की सीमा आरनोन की घाटी की सीमा से शुरू होकर सियोन पर्वत (अर्थात् हरमोन पर्वत) तक फैली थी, 49इसमें यरदन नदी के पूर्व का क्षेत्र भी शामिल था, जो पिसगाह पर्वत के ढलानों से लगे अराबाह सागर तक फैला था.

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

申命记 4:1-49

当守律法

1以色列人啊,要聆听我传授给你们的律例和典章,要切实遵行,以便你们可以存活,并进去占据你们祖先的上帝耶和华赐给你们的那片土地。 2我吩咐你们的,你们不可做任何增减,你们要遵守你们的上帝耶和华的命令。 3你们亲眼看见耶和华在巴力·毗珥事件中的作为,你们的上帝耶和华毁灭了你们中间所有拜巴力·毗珥的人, 4但你们这些信靠你们的上帝耶和华的人至今都还活着。 5看啊,遵照我的上帝耶和华的吩咐,我把律例和典章传授给你们,好让你们在将要进去占领的土地上遵守。 6你们要谨遵这些律例和典章,因为这样就会让外族人看见你们的智慧和聪明。他们听见这些律例后,必说,‘这伟大的民族真有智慧和聪明!’ 7我们的上帝耶和华与我们如此亲近,随时垂听我们的呼求,有哪个伟大民族的神明能与之相比? 8有哪个伟大的民族拥有我今天所传授给你们的如此公义的律例和典章?

9“要谨慎、小心,不可忘记亲眼所见的事,要一生铭记在心,并且告诉子子孙孙。 10那天,你们在何烈山站在你们的上帝耶和华面前,耶和华对我说,‘把民众招聚起来,让他们听我的教诲,学习一生敬畏我,并传授给自己的儿女。’ 11你们来到山脚下,站在那里,山上烈焰冲天、乌云密布、极其幽暗。 12耶和华在火焰中对你们说话,你们只听见祂的声音,却看不见祂的形象。 13祂向你们宣告祂的约,就是祂吩咐你们遵守的十诫,并写在两块石版上。 14那时,耶和华吩咐我把律例和典章传授给你们,好让你们在将要占领的土地上遵守。

不可拜偶像

15“你们要格外小心,耶和华在何烈山的火焰中对你们说话时,你们没有看见任何形象, 16所以不可堕落,去为自己制造任何形状的神像——男人、女人、 17飞禽走兽、 18爬虫或鱼类的像。 19当你们举目观看你们的上帝耶和华赐给天下万民的日、月、星辰等天上万象时,不要受诱惑去跪拜、供奉它们。 20耶和华拯救你们脱离埃及那座铁熔炉,让你们做祂自己的子民,正如今日的情形。 21因你们的缘故,耶和华向我发怒,起誓不让我过约旦河、进入祂赐给你们作产业的那片佳美之地。 22我将死在约旦河这边,过不了约旦河。但你们必过去得到那片佳美之地。 23你们要谨慎,不可忘记你们的上帝耶和华与你们所立的约,不可违背你们上帝耶和华的禁令,去制造任何形状的神像。 24因为你们的上帝耶和华是烈火,是痛恨不贞的上帝。

25“将来,即使你们在那里安顿已久、子孙满堂,也不可堕落、制造任何形状的神像,不可做你们的上帝耶和华视为邪恶的事,惹祂发怒。 26否则,今天我叫天地作证,你们必很快从约旦河对面将要占领的土地上灭亡,你们必被彻底消灭,不得在那里长久居住。 27耶和华必把你们驱散到列邦,使你们在列邦中的人数所剩无几。 28你们必在那里供奉人用木石造的不会看、不会听、不会吃、不会闻的神像。 29但你们若在那里寻求你们的上帝耶和华,全心全意地寻求祂,就必寻见。 30日后,当你们遭遇这些事,受尽苦难的时候,必归向你们的上帝耶和华,听从祂。 31因为你们的上帝耶和华充满怜悯,祂不会抛弃你们,灭绝你们,也不会忘记祂与你们祖先所立的誓约。

独一的上帝

32“你们可以查考历史,自上帝在世上造人以来,这样的奇事,天地之间何曾有过?谁曾听闻? 33有哪个民族像你们一样,听见了上帝在火中说话,还活了下来? 34有哪个神明像你们的上帝耶和华那样在埃及当着你们的面降灾祸、行神迹奇事、发起战争、伸出臂膀、施展大能的手、以伟大而可畏的作为拯救一族脱离异邦? 35耶和华行这样的事,是要叫你们知道祂是上帝,除祂以外,别无他神。 36祂让你们听见祂从天上来的声音,好教导你们,又在地上让你们看见祂的烈火,并听见祂在烈火中说的话。 37因为祂爱你们的祖先,所以拣选他们的子孙,亲自用大能带你们出埃及38赶走比你们强大的民族,领你们进入他们的土地,把他们的土地赐给你们作产业,正如今日的情形。 39所以,今天你们要知道并谨记,耶和华是天上地下的上帝,此外别无他神。 40我今天将祂的律例和诫命传授给你们,你们要遵守,以便你们及子孙都蒙福,在你们上帝耶和华所赐的土地上得享长寿。”

设立避难城

41那时,摩西约旦河东划出三座城作避难城, 42供素无冤仇却误杀他人者逃往避难。 43三座城分别是供吕便人避难的比悉,在旷野高原;供迦得人避难的拉末,在基列;供玛拿西人避难的哥兰,在巴珊

重申律法

44以下是摩西颁布给以色列人的律法, 45即在离开埃及后传授给他们的法度、律例和典章。 46当时他们在约旦河以东伯·毗珥对面的山谷,那里原属于希实本亚摩利西宏摩西以色列人离开埃及后消灭了西宏47占领了他的土地,还占领了巴珊的土地。西宏约旦河东亚摩利人的两个王, 48其国土从亚嫩谷边的亚罗珥一直到西云山,即黑门山, 49包括约旦河东的整个亚拉巴,远至毗斯迦山脚的亚拉巴海。