व्यवस्था 22 – HCV & JCB

Hindi Contemporary Version

व्यवस्था 22:1-30

1तुम अपने इस्राएली भाई के किसी बैल अथवा भेड़ को भटकते देखकर उसकी उपेक्षा नहीं करोगे. निश्चयतः तुम उसे उसके स्वामी के घर पर छोड़ दोगे. 2यदि वह इस्राएली तुम्हारे निकट नहीं रहता, अथवा यदि तुम उससे परिचित नहीं हो, तब तुम उस पशु को अपने ही घर पर ले आओगे और वह उस समय तक तुम्हारी देखरेख में रहेगा, जब तक उसका स्वामी उसकी खोज करता हुआ तुम्हारे घर तक न आ पहुंचे. तब तुम उसे लौटा दोगे. 3यही तुम उसके गधे के साथ, उसके वस्त्र के साथ, उसकी किसी भी खोई हुई वस्तु के साथ करोगे, जो तुम्हें प्राप्‍त हो गई है. तुम इनकी अनदेखी न करो.

4यदि तुम्हारे किसी स्वदेशी का गधा अथवा बैल मार्ग में गिर पड़ा है, तो तुम उसकी उपेक्षा नहीं करोगे. तुम्हें उन्हें उठाकर खड़ा करने में सहायता करनी ही होगी.

5कोई भी स्त्री-पुरुष के वस्त्र धारण नहीं करेगी और न ही कोई पुरुष स्त्री के; क्योंकि जो कोई यह करता है, याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के लिए घृणित है.

6यदि तुम्हें मार्ग में किसी वृक्ष में अथवा भूमि पर किसी पक्षी का नीड़ मिल जाए, जिसमें उसके चूज़े अथवा अंडे हों, और माता पक्षी उन चूज़ों अथवा अण्डों को सहेजे बैठी हो, 7तुम उस माता पक्षी को उसके चूज़ों से अलग नहीं करोगे, ताकि तुम्हारा भला हो और तुम्हारी उम्र बहुत बढ़ जाए.

8जब तुम नए घर का निर्माण करो, तो तुम अपने लिए छत के लिए एक मुण्डेर ज़रूर बनवाना, जिससे कि तुम खुद पर हत्या का दोष न ले आओ, यदि कोई छत से नीचे आ गिरे.

9अपने अंगूर के बगीचे में तुम दो विभिन्‍न प्रकार के बीजों को नहीं बोओगे, नहीं तो उन दोनों बीजों की समग्र उपज दूषित हो जाएगी.

10अपने हल में तुम बैल और गधे को साथ साथ नहीं जोतोगे.

11तुम ऐसा वस्त्र धारण नहीं करोगे, जो ऊन और सन के मिश्रण से तैयार किया गया है.

12तुम अपने बाहरी वस्त्र के चारों कोनों पर फुन्दनों को बनाया करोगे.

नैतिकता संबंधी विधान

13यदि कोई पुरुष विवाह करता, पत्नी से शारीरिक संबंध करता और उससे अलग हो जाता है, 14इसके बाद उस पर निंदनीय कामों का आरोप लगाता है; यहां तक कि वह सार्वजनिक रूप से उस पर ये सारे लांछन भी लगाने लगता है, “मैंने इस स्त्री से विवाह किया मगर संबंध के समय पर मुझे उसमें कुंवारीपन के कोई लक्षण प्राप्‍त न हुए.” 15तब कन्या के माता-पिता कन्या के कुंवारीपन का सबूत लेकर नगर प्रवेश पर नगर पुरनियों के सामने प्रस्तुत करेंगे. 16कन्या का पिता पुरनियों से कहेगा, “मैंने इस पुरुष से अपनी पुत्री का विवाह किया, मगर वह उसे अप्रिय लगने लगी है. 17यह भी देखिए कि वह हमारी पुत्री पर लज्जास्पद लांछन लगा रहा है! वह यहां तक घोषित कर रहा है मुझे आपकी पुत्री में कुंवारीपन का चिह्न प्राप्‍त नहीं हुआ.” मगर यह देखिए: यह है हमारी पुत्री के कुंवारीपन का सबूत. माता-पिता उस वस्त्र को उन पुरनियों के सामने फैला देंगे, 18फिर नगर पुरनिए उस व्यक्ति को प्रताड़ित करेंगे. 19वे उस पुरुष पर चांदी के एक सौ शेकेल का जुर्माना आरोपित करेंगे, जिसे लेकर वे उस कन्या के पिता को सौंप देंगे. कारण यह है कि उस पुरुष ने इस्राएल की उस कुंवारी कन्या को सार्वजनिक रूप से कलंकित किया है. वह आजीवन उसकी पत्नी रहेगी, उनका तलाक कभी न होगा.

20मगर यदि इसके विपरीत उस पुरुष का यह आरोप सत्य साबित हो जाता है, वह कन्या कुंवारी नहीं थी, 21तब वे उस कन्या को उसके पिता के घर के द्वार पर लाएंगे और उस नगर के पुरुष उसको पथराव करके मार डालेंगे, क्योंकि उसने इस्राएल में यह अनाचार किया और अपने पिता के घर में ही वेश्यावृत्ति की है. यह करने के द्वारा तुम अपने बीच से बुराई को दूर कर दोगे.

22यदि कोई पुरुष किसी दूसरे व्यक्ति की पत्नी के साथ संबंध बनाते हुए पाया जाए, तो दोनों ही मृत्यु दंड के योग्य हैं; वह पुरुष, जो उस स्त्री से संबंध बना रहा था और वह स्त्री भी. उस प्रकार तुम इस्राएल में से बुराई को दूर करोगे.

23यदि किसी कुंवारी कन्या जिसकी सगाई हो चुकी है, उससे कोई अन्य पुरुष नगर सीमा के भीतर ही संबंध बनाता है, 24तब तुम उन दोनों को नगर फाटक से बाहर ले जाओगे और दोनों ही को पथराव करके मार दोगे; कन्या का इसलिये कि उसने नगर में होने पर भी सहायता की गुहार नहीं लगाई और पुरुष का इसलिये कि उसने पड़ोसी की स्त्री का शीलभंग किया है. यह करके तुम अपने बीच से अनिष्ट का बहिष्कार कर दोगे.

25मगर इसके विपरीत यदि कोई पुरुष किसी विवाह के लिये वचनबद्ध जवान स्त्री को बाहर खेत में पाकर उसके साथ साथ बलात्कार करता है, तो उस पुरुष को मृत्यु दंड दिया जाए. 26उस कन्या को कोई दंड न दिया जाए; उसने मृत्यु दंड के योग्य कोई अनाचार नहीं किया है. यह स्थिति वैसी है, जिसमें मानो किसी व्यक्ति ने घात लगाकर अपने पड़ोसी की हत्या कर दी हो, 27जब खेत में उसने उस अकेली कुंवारी कन्या को पाया, उसने तो सहायता की गुहार लगाई थी, मगर उसकी रक्षा के लिए वहां कोई भी न था.

28यदि कोई पुरुष ऐसी कुंवारी को पाता है, जिसकी सगाई नहीं हुई है, वह उसे पकड़कर उससे संबंध बनाता है, और यह काम प्रकट हो जाता है, 29तब वह संबंध बनानेवाला व्यक्ति कन्या के पिता को चांदी के पचास शेकेल देगा और वह कन्या उसकी पत्नी हो जाएगी; क्योंकि उस पुरुष ने उसका शीलभंग किया है. वह आजीवन उससे विवाह विच्छेद नहीं कर सकेगा.

30कोई भी पुरुष अपने पिता की पत्नी से विवाह नहीं करेगा; कि वह ऐसा करने के द्वारा अपने पिता के प्रति लज्जा का कारण न हो जाए.

Japanese Contemporary Bible

申命記 22:1-30

22

同族への配慮、性的関係に関する規定等

1迷い牛や羊を見つけたら、そ知らぬふりをせず、持ち主のところへ連れて行きなさい。 2持ち主がわからないときは自分の家で預かり、持ち主が捜しに来たら返してあげなさい。 3このほか、ろばや衣服などを見つけたときも同じようにしなさい。持ち主がわかるまで大事に預かりなさい。

4足をすべらせて荷物の下敷きになった牛やろばを立たせようとしている人を見たら、素通りしてはいけません。すぐに行って手を貸しなさい。

5女が男の格好をしたり、男が女の格好をしたりしてはいけません。主はそのようなことを嫌われます。

6鳥の巣が地面や木の上にあるのを見つけたとき、ひなや卵が母鳥といっしょだったら、全部取ってはいけません。 7母鳥は逃がして、ひなだけを取りなさい。そうすれば、あなたがたも幸せに生きることができます。

8家を新築するときは、人が落ちないように屋上に手すりをつけなさい。そうしておけば、万一だれかが落ちても、その家にも持ち主にも責任がありません。

9ふどう園にはほかの種をまいてはいけません。そんなことをしたら、どちらの実も汚れたものとなり、祭司に没収されます。

10牛とろばを組にして耕してはいけません。 11毛糸と亜麻糸というように、二種の糸で織った衣服を着てはいけません。

12神の律法を思い出すために、外套の四隅に房を縫いつけなさい。

13-14結婚してから夫が、結婚前にほかの男と関係があったと妻に言いがかりをつけ、『妻は処女ではなかった』と訴えたら、 15その妻の両親は町の長老たち(裁判官)のもとに、娘が処女であった証拠を持って来なさい。 16-18まず父親が裁判官に、『この男に娘を嫁がせましたが、娘が処女でなかったと言いがかりをつけるのです。しかし、ごらんください。ちゃんと処女のしるしがあります』と言い、裁判官の目の前でシーツを見せなさい。それが認められれば、裁判官は夫をむち打ちの刑にし、 19彼に銀百シェケルの罰金を科し、妻の父親に与えなさい。イスラエル人の処女に対して悪口を言いふらした罰です。彼は生涯、妻を離縁することができません。 20しかし、夫の訴えどおり、妻が処女でなかったことがはっきりしたら、 21裁判官は彼女を父親の家の戸口に引き出し、町の者が石を投げつけて殺しなさい。両親のもとにいながら淫行の罪を犯し、イスラエルの名を汚したからです。このような罪悪は除き去らなければなりません。

22また、夫のある女と男が寝て見つかった場合、男も相手の人妻も殺されます。こうして、イスラエルから罪悪を除き去りなさい。 23-24婚約中の娘が町の城壁内(町の中)で男に誘惑された場合、娘も男も町の外に連れ出して石で打ち殺しなさい。娘は町の中にいながら助けを求めず、男は他人の婚約者を奪ったからです。 25-27罪悪は除き去らなければなりません。ただし町の外であれば、殺されるのは男だけです。その娘は死刑に当たる罪は問われません。叫び声を上げたのに、町から遠かったのでだれも助けに来なかったとみなされます。 28-29ある男が婚約前の娘に暴行して捕まった場合は、娘の父親に罰金五十シェケルを払い、娘と結婚しなければなりません。絶対に離婚はできません。

30また、義理の母は自分の父の妻なのですから、父が死んでからも関係を持ってはいけません。