योनाह 2 – HCV & NRT

Hindi Contemporary Version

योनाह 2:1-10

1तब मछली के पेट में से योनाह ने याहवेह अपने परमेश्वर से प्रार्थना की. 2उसने कहा:

“अपने संकट में मैंने याहवेह को पुकारा,

और उन्होंने मुझे उत्तर दिया.

मृत्युलोक की गहराई में से मैंने सहायता की याचना की,

और आपने मेरी याचना सुन ली.

3आपने मुझे गहराई में,

समुद्र के गहराई में डाल दिया,

मैं समुद्र के जल प्रवाह में समा गया;

आप ही की लहरें टकराकर

मेरे ऊपर से प्रवाहित होती रहीं.

4मैंने कहा, ‘मुझे आपके सामने से

निकाल दिया गया है;

फिर भी मैं आपके पवित्र मंदिर की ओर

फिर ताकूंगा.’

5डुबानेवाला पानी मुझे डरा रहा था,

गहराई मेरे चारों तरफ थी;

समुद्री घांसपात से मेरा सिर लिपटा हुआ था.

6समुद्र में मैं तो पर्वतों के जड़ तक उतर गया;

पृथ्वी के तल ने मुझे सदा के लिए जकड़ लिया था.

किंतु आपने, हे याहवेह मेरे परमेश्वर,

मुझे गड्ढे में से निकाल लिया.

7“जब मेरे जीवन का अंत हो रहा था,

हे याहवेह, मैंने आपको स्मरण किया,

और मेरी प्रार्थना आपके पास,

आपके पवित्र मंदिर में पहुंची.

8“वे जो बेकार की मूर्तियों पर मन लगाते हैं

वे अपने आपको परमेश्वर के प्रेम से दूर रखते हैं.

9पर मैं कृतज्ञता से भरे प्रशंसा के ऊंचे शब्दों के साथ,

आपके लिये बलिदान चढ़ाऊंगा.

जो मन्नत मैंने मानी है, उसे मैं पूरी करूंगा.

मैं कहूंगा, ‘उद्धार याहवेह ही से होता है.’ ”

10तब याहवेह ने उस मछली को आज्ञा दी, और उसने योनाह को सूखी भूमि पर उगल दिया.

New Russian Translation

Иона 2:1-11

Молитва Ионы

1Господь сделал так, что Иону проглотила огромная рыба, и Иона пробыл в желудке рыбы три дня и три ночи. 2Находясь в желудке рыбы, Иона помолился Господу, своему Богу. 3Он сказал:

«В горе я к Господу воззвал,

и Он ответил мне.

Я закричал — и Ты услышал мой крик

из глубин мира мертвых2:3 Евр. шео́л — место, где пребывают души умерших..

4Ты в пучину меня вверг,

в самое сердце морей;

окружили меня потоки.

Все Твои волны, все Твои валы

надо мной прошли.

5Я сказал: „Изгнан я от глаз Твоих;

однако я вновь увижу святой храм Твой“.

6Воды надо мной сомкнулись,

бездна меня обступила,

и водоросли голову оплели.

7На дно, к самым корням гор я нисшел,

засовы земли закрылись за мной навек,

но Ты, Господи, Бог мой,

извлек меня из ямы живым!

8Когда жизнь угасала во мне,

я Господа вспомнил,

и дошла молитва моя к Тебе,

в святой храм Твой.

9Те, кто ничтожных идолов чтит,

лишились милости, что могли получить.

10А я с хвалебными песнями

буду жертвы Тебе приносить.

Что обещал — исполню.

Спасение — от Господа!»

11Господь повелел рыбе, и она изрыгнула Иону на сушу.