येरेमियाह 31 – HCV & CCB

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 31:1-40

1“उस समय,” यह याहवेह की वाणी है, “मैं इस्राएल के सारे परिवारों का परमेश्वर हो जाऊंगा तथा वे मेरी प्रजा ठहरेंगी.”

2यह याहवेह की वाणी है:

“वे लोग, जो तलवार प्रहार से उत्तरजीवित रह गए,

जब इस्राएल ने चैन की खोज की;

उन्हें निर्जन क्षेत्र में आश्रय प्राप्‍त हो गया.”

3सुदूर देश में याहवेह उसके समक्ष प्रकट हुए, याहवेह ने उससे यह बात की:

“मैंने तुम्हें, मेरे लोगों को, अनश्वर प्रेम से प्रेम किया है,

इसलिये मैंने तुम्हें अत्यंत प्रेमपूर्वक अपनी ओर आकर्षित किया है.

4तब मैं पुनः तुम्हारा निर्माण करूंगा,

और तुम निर्मित हो जाओगी, कुंवारी इस्राएल तुम पुनः

खंजरी उठाओगी तथा उनमें सम्मिलित हो जाओगी,

जो आनन्दमग्न हो रहे होंगे.

5शमरिया की पहाड़ियों पर पुनः

द्राक्षालता रोपण प्रारंभ हो जाएगा;

रोपक इन्हें रोपेंगे

ओर उनका सेवन करेंगे.

6क्योंकि एक दिन ऐसा भी आएगा

जब एफ्राईम के पर्वतों से प्रहरी पुकारेंगे,

‘चलो-चलो, हमें याहवेह हमारे परमेश्वर के समक्ष

ज़ियोन को जाना है.’ ”

7क्योंकि अब याहवेह का यह आदेश है:

“हर्षोल्लास में याकोब के लिए गायन किया जाए;

तथा राष्ट्रों के प्रमुख के लिए जयघोष किया जाए.

स्तवन के साथ यह वाणी की जाए,

‘याहवेह, अपनी प्रजा को उद्धार प्रदान कीजिए,

उनको, जो इस्राएल के बचे हुए लोग हैं.’

8यह देखना, कि मैं उन्हें उत्तरी देश से लेकर आऊंगा,

मैं उन्हें पृथ्वी के दूर क्षेत्रों से एकत्र करूंगा.

उनमें ये सभी होंगे: नेत्रहीन, अपंग,

गर्भवती स्त्री तथा वह जो प्रसूता है;

एक साथ यह विशाल जनसमूह होगा, जो यहां लौट आएगा.

9वे रोते हुए लौटेंगे;

तथा वे प्रार्थना करेंगे और मैं उनका मार्गदर्शन करूंगा.

मैं उन्हें जलधाराओं के निकट से लेकर आऊंगा,

उनका मार्ग सीधा समतल होगा, जिस पर उन्हें ठोकर नहीं लगेगी,

क्योंकि मैं इस्राएल के लिए पिता हूं,

तथा एफ्राईम मेरा पहलौठा पुत्र है.

10“राष्ट्रों, याहवेह का संदेश सुनो, दूर तटवर्ती क्षेत्रों में घोषणा करो;

जिसने इस्राएल को छिन्‍न-भिन्‍न कर दिया है:

वही उन्हें एकत्र भी करेगा, वह उन्हें इस प्रकार सहेजेगा,

जिस प्रकार चरवाहा अपनी भेड़-बकरियों को.

11क्योंकि याहवेह ने मूल्य चुका कर याकोब को छुड़ा लिया है

तथा उसे उसके बंधन से विमुक्त कर दिया है, जो उससे सशक्त था.

12वे लौटेंगे तथा ज़ियोन की ऊंचाइयों पर आकर हर्षोल्लास करेंगे;

याहवेह की कृपादृष्टि के कारण वे आनंदित हो जाएंगे—

अन्‍न, नई दाखमधु तथा प्रचूर तेल के कारण,

भेड़ों एवं पशुओं के बच्चों के कारण.

उनका जीवन सिंचित उद्यान सदृश होगा,

वे पुनः अंत न होंगे.

13तब कुंवारी कन्या का हर्ष नृत्य में फूट पड़ेगा इसमें जवान एवं प्रौढ़,

दोनों ही सम्मिलित हो जाएंगे.

क्योंकि मैं उनकी छाया को उल्लास में परिवर्तित कर दूंगा;

मैं उनके शोक को आनंद में ढाल कर उन्हें सांत्वना प्रदान करूंगा.

14मेजवानी ऐसी होगी कि पुरोहितों के प्राण तृप्‍त हो जाएंगे,

तथा मेरी प्रजा मेरे द्वारा किए गए कल्याण पर संतुष्ट हो जाएगी,”

यह याहवेह की वाणी है.

15याहवेह की बात यह है:

“रामाह नगर में एक शब्द सुना गया,

रोना तथा घोर विलाप!

राहेल अपने बालकों के लिए रो रही है.

धीरज उसे स्वीकार नहीं

क्योंकि अब वे हैं ही नहीं.”

16याहवेह का आदेश है:

“अपने रुदन स्वर को नियंत्रित करो

तथा अपनी अश्रुधारा को प्रतिबद्ध करो,

क्योंकि तुम्हारे श्रम को पुरस्कृत किया जाएगा,”

यह याहवेह की वाणी है.

“वे शत्रु के देश से लौट आएंगे.

17तुम्हारा सुखद भविष्य संभव है,”

यह याहवेह की वाणी है.

“तुम्हारे वंशज निज भूमि में लौट आएंगे.

18“वस्तुस्थिति यह है कि मैंने एफ्राईम का विलाप करना सुना है:

‘जिस प्रकार उद्दंड बछड़े को प्रताड़ित किया जाता है उसी प्रकार आपने मुझे भी प्रताड़ित किया है,

और मैंने इससे शिक्षा ग्रहण की है.

मुझे अपनी उपस्थिति में ले आइए, कि मैं पूर्ववत हो जाऊं,

क्योंकि याहवेह, आप ही मेरे परमेश्वर हैं.

19जब मैं आपसे दूर हो गया था,

तब मैंने लौटकर पश्चात्ताप किया;

जब मेरी समझ में आ गया,

तब मैंने अपनी छाती पीटी; मुझे लज्जित होना पड़ा.

तथा मेरी प्रतिष्ठा भी भंग हो गई

क्योंकि मैं अपनी जवानी की लांछना लिए हुए चल रहा था.’

20क्या एफ्राईम मेरा प्रिय पुत्र है,

क्या वह सुखदायक संतान है?

वस्तुतः जब-जब मैंने उसके विरोध में कुछ कहा,

मैंने उसे प्रेम के साथ ही स्मरण किया.

इसलिये मेरा हृदय उसकी लालसा करता रहता है;

इसमें कोई संदेह नहीं कि मैं उस पर अनुकम्पा करूंगा,”

यह याहवेह की वाणी है.

21“अब अपने लिए मार्ग निर्देश नियत कर लो;

अपने लिए तोड़ सूचक खड़े कर लो.

तुम्हारा ध्यान राजपथ की ओर लगा रहे,

उसी मार्ग पर, जिससे तुम गए थे.

कुंवारी इस्राएल, लौट आओ,

लौट आओ अपने इन्हीं नगरों में.

22हे भटकने वाली कन्या,

कब तक तुम यहां वहां भटकती रहोगी?

याहवेह ने पृथ्वी पर एक अपूर्व परिपाटी प्रचलित कर दी है—

अब पुरुष के लिए स्त्री सुरक्षा घेरा बनेगी.”

23इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह की यह वाणी है: “जब मैं उनकी समृद्धि लौटा दूंगा, तब यहूदिया देश में तथा उसके नगरों में पुनः ‘उनके मुख से ये वचन निकलेंगे, पवित्र पर्वत, पूर्वजों के आश्रय, याहवेह तुम्हें आशीष दें.’ 24यहूदिया के सभी नगरों के निवासी, किसान तथा चरवाहे अपने पशुओं सहित वहां एक साथ निवास करेंगे. 25क्योंकि मैं थके हुए व्यक्ति में संतोष, तथा हताश व्यक्ति में उत्साह का पुनःसंचार करता हूं.”

26यह सुन मैं जाग पड़ा. उस समय मुझे यह बोध हुआ कि मेरी निद्रा मेरे लिए सुखद अनुभूति छोड़ गई है.

27“यह देखना, वे दिन आ रहे हैं,” यह याहवेह की वाणी है, “जब मैं इस्राएल के परिवार में तथा यहूदिया के परिवार में मनुष्य का तथा पशु का बीज रोपित करूंगा. 28जिस प्रकार मैं उनके उखाड़ने में, उनके तोड़ने में, उनके पराभव करने में, उनके नष्ट करने में तथा उन पर सर्वनाश लाने में मैं उन पर नजर रखता आया, उसी प्रकार मैं उनका परिरक्षण भी करता रहूंगा, जब वे निर्माण करेंगे तथा रोपण करेंगे,” यह याहवेह की वाणी है. 29“उन दिनों में उनके मुख से ये शब्द पुनः सुने नहीं जाएंगे,

“ ‘खट्टे अंगूर तो पूर्वजों ने खाए थे,

किंतु दांत खट्टे हुए वंशजों के.’

30किंतु हर एक की मृत्यु का कारण होगा स्वयं उसी की पापिष्ठता; हर एक व्यक्ति, जो खट्टे अंगूर खाएगा, दांत उसी के खट्टे होंगे.

31“यह देख लेना, वे दिन आ रहे हैं,” यह याहवेह की वाणी है,

“जब मैं इस्राएल वंश के साथ

तथा यहूदिया वंश के साथ

एक नयी वाचा स्थापित करूंगा.

32उस वाचा के सदृश नहीं,

जो मैंने उस समय उनके पूर्वजों के साथ स्थापित की थी,

जब मैंने उनका हाथ पकड़कर

उन्हें मिस्र देश से उनका निकास किया था,

यद्यपि मैं उनके लिए पति-सदृश था,

उन्होंने मेरी वाचा भंग कर दी,”

यह याहवेह की वाणी है.

33“किंतु उन दिनों के बाद इस्राएल वंश के साथ मैं

इस वाचा की स्थापना करूंगा,” यह याहवेह की वाणी है.

“उनके अंतर्मन में मैं अपना व्यवस्था-विधान संस्थापित कर दूंगा

तथा उनके हृदय पर मैं इसे लिख दूंगा.

मैं उनका परमेश्वर हो जाऊंगा,

तथा वे मेरी प्रजा.

34तब हर एक व्यक्ति अपने पड़ोसी को, हर एक व्यक्ति अपने सजातीय को पुनः

यह कहते हुए यह शिक्षा नहीं देने लगेगा, ‘याहवेह को जान लो,’

क्योंकि वे सभी मुझे जान जाएंगे,

छोटे से बड़े तक,”

यह याहवेह की वाणी है.

“क्योंकि मैं उनकी पापिष्ठता क्षमा कर दूंगा

तथा इसके बाद उनका पाप मैं पुनः स्मरण ही न करूंगा.”

35यह याहवेह की वाणी है,

जिन्होंने दिन को प्रकाशित करने के लिए

सूर्य को स्थित किया है,

जिन्होंने चंद्रमा तथा तारों के क्रम को

रात्रि के प्रकाश के लिए निर्धारित कर दिया,

जो समुद्र को हिलाते हैं

कि उसकी लहरों में गर्जन आए—

उनका नाम है सेनाओं के याहवेह:

36“यदि यह व्यवस्थित विन्यास मेरे समक्ष से विघटित होता है,”

यह याहवेह की वाणी है,

“तब एक राष्ट्र के रूप में इस्राएल के वंशजों का अस्तित्व भी

मेरे समक्ष से सदा-सर्वदा के लिए समाप्‍त हो जाएगा.”

37यह याहवेह की वाणी है:

“यदि हमारे ऊपर विस्तीर्ण आकाशमंडल का मापा जाना संभव हो जाए

तथा भूतल में पृथ्वी की नीवों की खोज निकालना संभव हो जाए,

तो मैं भी इस्राएल द्वारा किए गए उन सारे कार्यों के कारण

इस्राएल के सभी वंशजों का परित्याग कर दूंगा,”

यह याहवेह की वाणी है.

38देखना, “वे दिन आ रहे हैं,” यह याहवेह की वाणी है, “जब हनानेल स्तंभ से लेकर कोने के प्रवेश द्वार तक याहवेह के लिए नगर को पुनर्निर्माण किया जाएगा. 39मापक डोर आगे बढ़ती हुई सीधी गारेब पर्वत तक पहुंच जाएगी, तत्पश्चात वह और आगे बढ़कर गोआह की ओर मुड़ जाएगी. 40शवों तथा भस्म से आच्छादित संपूर्ण घाटी तथा किद्रोन सरिता तक विस्तृत खेत, पूर्व तोड़ के घोड़े-द्वार के कोण तक का क्षेत्र याहवेह के निमित्त पवित्र ठहरेगा. यह क्षेत्र तब सदा-सर्वदा के लिए न तो उखाड़ा जाएगा और न ही ध्वस्त किया जाएगा.”

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

耶利米书 31:1-40

以色列人必回归

1耶和华说:“那时,我要做以色列各宗族的上帝,他们必做我的子民。

2“逃脱刀兵之灾的以色列人必在旷野蒙恩,

找到安息之所。

这是耶和华说的。”

3从前,耶和华向以色列显现,说:

“我以永远不变的爱爱你,

我以慈爱吸引你到我身边。

4以色列人啊,

我要重建你们的家园,

你们要再次拿起铃鼓与欢乐的人一同跳舞。

5你们将在撒玛利亚的山上重新栽种葡萄园,

享受园中的果实。

6有一天,看守园子的人要在以法莲的山上呼喊,

‘我们上锡安朝见我们的上帝耶和华吧!’”

7耶和华说:

“你们要为雅各欢呼歌唱,

向列国之首喝采。

你们要传扬颂赞,说,

‘耶和华啊,

求你拯救以色列剩余的子民!’

8看啊,我要从北方,

从地极招聚他们,

其中有瞎子、跛子、孕妇和产妇,

他们要成群结队地回到这里。

9我必引领他们回来,

他们必一路含泪祷告。

我要使他们走在溪水边,

行在平坦的路上,

他们必不会跌倒,

因为我是以色列的父亲,

以法莲是我的长子。

10“列国啊,你们要听耶和华的话,

要在远方的海岛宣扬,

‘祂从前驱散以色列人,

如今必再聚集、保护他们,

好像牧人看守自己的羊群一样。’

11耶和华必拯救雅各的子孙,

从强敌手中救出他们。

12他们必来到锡安山上欢呼,

为耶和华所赐的五谷、新酒、

油、羔羊和牛犊而欢欣。

他们就像水源充足的田园,

一无所缺。

13那时,少女要欢然起舞,

老人和青年要一起快乐。

我要使他们转忧为喜,

我要安慰他们,使他们欢喜,

不再忧愁。

14我要使祭司有充足的供应,

使我的子民饱享美物。

这是耶和华说的。”

15耶和华说:

“在拉玛有痛哭哀号的声音,

拉结在为儿女哀痛,

不肯接受安慰,

因为他们都死了。”

16耶和华说:

“不要哭泣,不要流泪,

因为你的劳苦必有回报,

你的儿女必从敌国回来。

这是耶和华说的。

17你将来必有盼望,

你的儿女必重返家园。

这是耶和华说的。

18我听见以法莲31:18 以法莲”是北国以色列的主要支派,常用来代指北国以色列。在为自己悲叹,

‘我们就像未经驯服的牛犊,

你管教我们,使我们顺服,

求你使我们回到你身边,

重新复兴,

因为你是我们的上帝耶和华。

19我们曾经离开你,

但我们后悔了;

我们醒悟之后捶胸顿足,

痛悔不已,

因早年的所作所为而羞愧难当。’”

20耶和华说:“以法莲不是我的爱子吗?

他不是我喜悦的孩子吗?

我虽然常常责备他,

但仍然惦记着他。

我深深地想念他,

我必怜悯他。

21以色列人啊,

你们要为自己设置路标,

竖起路牌,

牢记你们走过的大道。

以色列人啊,

回来吧!回到你们的城邑吧!

22不忠贞的子民啊!

你们四处流浪要到何时呢?

耶和华在地上行了一件新事——女子将要护卫男子。”

23以色列的上帝——万军之耶和华说:“我使被掳的犹大人回到故乡后,他们要在犹大各城邑再次呼喊,

“‘公义的居所啊,

圣山啊,愿耶和华赐福给你!’

24“农夫和牧人必住在犹大的各城邑。 25我要使疲乏的人振作起来,使苦闷的人快乐起来。”

26这时,我醒过来,觉得这一觉实在香甜。

27耶和华说:“看啊,时候将到,我要使以色列犹大人丁兴旺,牲畜繁多。 28我曾决意铲除、拆毁、推翻、剿灭他们,降灾给他们,将来我必塑造、栽培他们。这是耶和华说的。 29那时,人再不会说,

“‘父亲吃酸葡萄,

儿子的牙酸倒了。’

30因为各人都要承担自己的罪,谁吃酸葡萄,谁的牙酸倒。” 31耶和华说:“看啊,时候将到,我要与以色列家和犹大家另立新约, 32这约不同于我与他们祖先所立的约,就是我牵着他们祖先的手领他们离开埃及时所立的。虽然我是他们的丈夫,他们却违背了我的约。这是耶和华说的。”

33耶和华说:“那些日子以后,我将与以色列家立这样的约,我要把我的律法放在他们脑中,写在他们心上。我要做他们的上帝,他们要做我的子民。 34谁都无需再教导他的邻居和弟兄,说,‘你要认识耶和华’,因为他们无论尊卑都必认识我。我要赦免他们的过犯,忘掉他们的罪恶。这是耶和华说的。”

35使阳光白天照耀、

星月晚上发光、

大海波涛汹涌的万军之耶和华说:

36“只要天地之律还在,

以色列邦国必永续不断。

这是耶和华说的。”

37耶和华说:

“正如无人能量度高天,

探测大地的根基,

同样我也决不会因以色列人的所作所为而弃绝他们。

这是耶和华说的。”

38耶和华说:“看啊,时候将到,从哈楠业楼直到角门,整个耶路撒冷城要重建起来归给耶和华。 39城界要向外延伸到迦立山,再转到歌亚40甚至抛尸、倒灰的整个山谷,以及从汲沦溪到东边马门拐角的所有田地都要归给耶和华作圣地,永不再被倾覆、毁灭。”