येरेमियाह 17 – HCV & CCB

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 17:1-27

1“यहूदिया का पाप लौह लेखनी से

लिख दिया गया,

हीरक-नोक से उनके हृदय-पटल पर

तथा उनकी वेदियों के सींगों पर भी.

2वे अपनी वेदियों तथा अशेराओं का

स्मरण हरे वृक्षों के नीचे,

उच्च पहाड़ियों पर उसी रीति से करते हैं,

जिस रीति से वे अपनी संतान को स्मरण करते हैं.

3नगर से दूर मेरे पर्वत,

पाप के लिए निर्मित तुम्हारी सीमा में प्रतिष्ठित तुम्हारे पूजा स्थलों के कारण

मैं तुम्हारी संपदा तथा तुम्हारे सारे निधियों को,

लूट की सामग्री बनाकर दे दूंगा.

4तुम स्वयं ही अपने इस निज भाग को

जो मैंने ही तुम्हें दिया है,

अपने हाथों से निकल जाने दोगे; मैं ऐसा करूंगा कि तुम्हें एक ऐसे देश में

जो तुम्हारे लिए सर्वथा अज्ञात है अपने शत्रुओं की सेवा करनी पड़ेगी,

क्योंकि तुमने मेरे क्रोध में एक ऐसी अग्नि प्रज्वलित कर दी है,

जो सदैव ही प्रज्वलित रहेगी.”

5याहवेह ने यह कहा है:

“शापित है वह मनुष्य, जिसने मानव की क्षमताओं को अपना आधार बनाया हुआ है,

जिनका भरोसा मनुष्य की शक्ति में है

तथा जो मुझसे विमुख हो चुका है.

6क्योंकि वह उस झाड़ी के सदृश है,

जो मरुभूमि में उगी हुई है. समृद्धि उससे दूर ही रहेगी.

वह निर्जन प्रदेश की गर्मी से झुलसने वाली भूमि में निवास करेगा. उस भूमि की मिट्टी लवणमय है,

वहां किसी भी मनुष्य का निवास नहीं है.

7“धन्य है वह मनुष्य जिसने याहवेह पर भरोसा रखा है,

तथा याहवेह ही जिसका भरोसा हैं.

8वह व्यक्ति जल के निकट रोपित वृक्ष के सदृश है,

जो जल प्रवाह की ओर अपनी जड़ें फैलाता जाता है.

ग्रीष्मकाल का उसे कोई भय नहीं होता;

उसकी पत्तियां सदैव हरी ही रहेंगी.

अकाल उसके लिए चिंता का विषय न होगा

और इसमें समय पर फल लगना बंद नहीं होगा.”

9अन्य सभी से अधिक कपटी है हृदय,

असाध्य रोग से संक्रमित.

कौन है उसे समझने में समर्थ?

10“मैं याहवेह, हृदय की विवेचना करता हूं.

मैं मस्तिष्क का परीक्षण करता हूं,

कि हर एक व्यक्ति को उसके आचरण के अनुरूप प्रतिफल दूं,

उसके द्वारा किए कार्यों के परिणामों के अनुरूप.”

11जिस प्रकार तीतर उन अण्डों को सेती है जो उसके द्वारा दिए हुए नहीं होते,

उस व्यक्ति की स्थिति भी इसी तीतर के सदृश होती है जो धन जमा तो कर लेता है.

किंतु अनुचित रीति से ऐसा धन असमय ही उसके हाथ से निकल जाएगा,

तथा अपने जीवन के अंत में वह स्वयं मूर्ख प्रमाणित हो जायेगा.

12प्रारंभ ही से उच्च स्थल पर प्रतिष्ठित आपका वैभवशाली सिंहासन

हमारा आश्रय रहा है.

13याहवेह, आप में ही निहित है इस्राएल की आशा;

लज्जित उन्हें होना पड़ेगा जिन्होंने आपका परित्याग किया है.

जो आपसे विमुख होते हैं उनका नामांकन उनमें होगा जो अधोलोक के लिए तैयार हैं,

क्योंकि उन्होंने जीवन्त जल के बहते झरने का,

अर्थात् याहवेह का ही परित्याग कर दिया है.

14याहवेह, यदि आप मुझे सौख्य प्रदान करें, तो मैं वास्तव में निरोगी हो जाऊंगा;

यदि आप मेरी रक्षा करें तो मैं सुरक्षित ही रहूंगा,

कारण आप ही मेरे स्तवन का विषय हैं.

15सुनिए, वे यह कहते हुए मुझ पर व्यंग्य-बाण छोड़ते रहते हैं,

“कहां है याहवेह का संदेश?

हम भी तो सुनें!”

16किंतु मैं आपका चरवाहा होने के दायित्व से भागा नहीं;

और न ही मैंने उस घातक दिवस की कामना ही की.

आपकी उपस्थिति में मेरे मुख से मुखरित उच्चारण आपको ज्ञात ही हैं.

17मेरे लिए आप आतंक का विषय न बन जाइए;

संकट के अवसर पर आप ही मेरे आश्रय होते हैं.

18मेरे उत्पीड़क लज्जित किए जाएं,

किंतु मुझे लज्जित न होना पड़ें;

निराश उन्हें होना

पड़ें; मुझे नहीं.

विनाश का दिन उन पर टूट पड़ें, दो गुने विध्वंस से उन्हें कुचल दीजिए.

शब्बाथ की पवित्रता रखना

19याहवेह ने मुझसे यह कहा: “जाकर जनसाधारण के लिए निर्धारित प्रवेश द्वार पर खड़े हो जाओ, यह वही द्वार है जिसमें से यहूदिया के राजा आते जाते हैं; और येरूशलेम के अन्य द्वारों पर भी जाना. 20वहां तुम्हें यह वाणी करनी होगी, ‘याहवेह का संदेश सुनो, यहूदिया के राजाओं, सारे यहूदिया तथा येरूशलेम वासियों, जो इन प्रवेश द्वारों में से प्रवेश करते हो. 21यह याहवेह का आदेश इसी प्रकार है: अपने विषय में सावधान हो जाओ, शब्बाथ17:21 शब्बाथ सातवां दिन जो विश्राम का पवित्र दिन है पर कोई भी बोझ न उठाना अथवा येरूशलेम के प्रवेश द्वारों से कुछ भी लेकर भीतर न आना. 22शब्बाथ पर अपने आवासों से बोझ बाहर न लाना और न किसी भी प्रकार के कार्य में संलग्न होना, बल्कि शब्बाथ को पवित्र रखना, जैसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को आदेश दिया था. 23न तो उन्होंने मेरे आदेशों का पालन किया और न उन पर ध्यान ही दिया; बल्कि उन्होंने हठ में अपनी-अपनी गर्दनें कठोर कर लीं, कि वे इन्हें न तो सुनें अथवा अपना आचरण सुधार लें. 24किंतु होगा यह यदि तुम सावधानीपूर्वक मेरी बात सुनोगे, यह याहवेह की वाणी है, कि तुम इस नगर के प्रवेश द्वार से शब्बाथ पर कोई बोझ लेकर प्रवेश न करोगे, बल्कि शब्बाथ को पवित्र रखने के लिए तुम इस दिन कोई भी कार्य न करोगे, 25तब इस नगर के प्रवेश द्वारों से राजा तथा उच्च अधिकारी प्रवेश करेंगे, जो दावीद के सिंहासन पर विराजमान होंगे, जो रथों एवं घोड़ों पर चला फिरा करेंगे. वे तथा उनके उच्च अधिकारी, यहूदिया तथा येरूशलेमवासी, तब यह नगर स्थायी रूप से बस जाएगा. 26वे यहूदिया के नगरों से, येरूशलेम के परिवेश से, बिन्यामिन प्रदेश से, तराई से, पर्वतीय क्षेत्र से तथा नेगेव से बलि, होमबलि, अन्‍नबलि तथा सुगंधधूप अपने साथ लेकर प्रवेश करेंगे. वे याहवेह के भवन में आभार-बलि लेकर भी आएंगे. 27किंतु यदि तुम शब्बाथ को पवित्र रखने, बोझ न उठाने, शब्बाथ पर येरूशलेम के प्रवेश द्वारों से प्रवेश न करने के मेरे आदेश की अवहेलना करो, तब मैं इन द्वारों के भीतर अग्नि प्रज्वलित कर दूंगा. यह अग्नि येरूशलेम में महलों को भस्म करने के बाद भी अलग न होगी.’ ”

Chinese Contemporary Bible 2022 (Simplified)

耶利米书 17:1-27

犹大的罪与罚

1犹大人的罪是用铁笔记录的,用钻石镌刻的,写在了他们心坎上和祭坛角上。 2-3他们的儿女念念不忘他们在绿树下、高岗上和山野间的祭坛和亚舍拉神像。因为他们境内罪恶泛滥,我必使敌人掳掠他们的财宝和丘坛。 4他们必失去我赐给他们的产业,被敌人掳到陌生的异乡做奴隶,因为他们激起了我的怒火,永难熄灭。”

5耶和华说:

“信靠世人、倚靠血肉之躯、

心中背叛耶和华的人该受咒诅!

6这样的人毫无福乐,

像沙漠中的灌木。

他要住在旷野的干旱之处,

住在无人的盐碱地。

7信靠耶和华、倚靠耶和华的人有福了!

8这样的人像一棵栽在水边的树,

根扎入溪水旁,

不怕炎热,不怕干旱,

绿叶如荫,不断结果。

9“人心比什么都诡诈,

无可救药,

谁能识透呢?

10我耶和华鉴察人心,

察看人的意念,

按照各人的所作所为报应人。”

11谋取不义之财的人就像孵其他鸟蛋的鹧鸪,

他中年便会失去不义之财,

最后成了愚昧之人。

12我们的圣殿是从太初就矗立在高处的荣耀宝座。

13耶和华啊,你是以色列的盼望。

凡背弃你的人必蒙羞,

背叛你的人必像写在尘土上的名字一样消逝,

因为他们背弃了活水的源泉耶和华。

14耶和华啊,

求你医治我,我好痊愈;

求你拯救我,我好得救,

因为你是我所赞美的。

15人们常讥讽我说:“耶和华说的那些事在哪里?

快应验吧!”

16但我并没有逃避做你的牧人,

也没有盼着灾祸临到他们。

你知道我说的每一句话。

17你是我患难中的避难所,

求你不要使我恐惧。

18愿你使那些迫害我的人蒙羞,

不要使我蒙羞;

愿你使他们惊慌,

不要使我惊慌。

求你使他们大祸临头,

彻底毁灭他们。

遵守安息日

19耶和华对我说:“你去站在犹大君王出入的人民门门口和耶路撒冷的各城门口, 20向他们宣告,‘从这些城门进出的犹大君王、所有百姓以及耶路撒冷的居民啊,你们都要听耶和华的话。 21耶和华说,如果你们想保住性命,就要小心,不要在安息日带货物进耶路撒冷的城门, 22也不要从家中运出货物,不要在安息日做任何工作。要按照我对你们祖先的吩咐守安息日为圣日。 23然而,他们却不理不听,顽固不化,不肯听从和受教。

24“‘耶和华说,你们要留心听我的话,在安息日不可运货物进耶路撒冷的城门,不可做任何工作,要守安息日为圣日。 25这样,坐大卫宝座的君王及其官员必乘车骑马和犹大人以及耶路撒冷的居民进入城门。这城必永远有人居住。 26人们必带着燔祭、平安祭、素祭、乳香和感恩祭从犹大的城邑、耶路撒冷四周、便雅悯地区、丘陵、山区和南地去耶和华的殿。 27但如果你们不听我的话,不守安息日为圣日,仍在安息日运货物进耶路撒冷的城门,我必在各城门点起无法扑灭的大火,烧毁耶路撒冷的宫殿。’”