विद्रोही इस्राएल का प्रायश्चित करना
1सातवें वर्ष के पांचवें महीने के दसवें दिन, इस्राएल के कुछ अगुए याहवेह की इच्छा जानने के लिये आये और वे मेरे सामने बैठ गये.
2तब याहवेह का वचन मेरे पास आया: 3“हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के अगुओं से बात करो और उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: क्या तुम मेरी इच्छा जानने आए हो? मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, मैं तुम्हें अपनी इच्छा नहीं बताऊंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’
4“क्या तुम उनका न्याय करोगे? हे मनुष्य के पुत्र, क्या तुम उनका न्याय करोगे? तब उनके पूर्वजों के द्वारा किए घृणित कार्य उन्हें बताओ 5और उनसे कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: जिस दिन मैंने इस्राएल को चुन लिया, मैंने अपना हाथ उठाकर याकोब के वंशजों से शपथ खाई और अपने आपको मिस्र देश में उन पर प्रकट किया. हाथ उठाकर मैंने उनसे कहा, “मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.” 6उस दिन मैंने उनसे शपथ खाई कि मैं उन्हें मिस्र देश से निकालकर एक ऐसे देश में ले आऊंगा, जिसे मैंने उनके लिये खोजा था, एक ऐसा देश जिसमें दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और जो सब देशों से सुंदर है. 7और मैंने उनसे कहा, “तुममें से हर एक उन निकम्मे मूर्तियों को निकाल फेंको, जिन पर तुम्हारी दृष्टि लगी रहती है, और मिस्र की मूर्तियों से अपने आपको अशुद्ध मत करो. मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.”
8“ ‘परंतु उन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया और मेरी बातें नहीं सुनी; उन्होंने उन निकम्मी मूर्तियों को नहीं फेंका, जिन पर उनकी दृष्टि लगी हुई थी, और न ही उन्होंने मिस्र की मूर्तियों का परित्याग किया. इसलिये मैंने कहा कि मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और मिस्र देश में उनके विरुद्ध अपना क्रोध दिखाऊंगा. 9पर अपने नाम के निमित्त मैं उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया. मैंने ऐसा इसलिये किया ताकि मेरा नाम उन जातियों के दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके बीच वे रहते थे और जिनके देखते में मैंने अपने आपको इस्राएलियों पर प्रकट किया था. 10इसलिये मैं उन्हें मिस्र देश से निकालकर निर्जन प्रदेश में ले आया. 11मैंने उन्हें अपने नियम दिये और उन्हें अपना कानून बताया, जिनका यदि कोई व्यक्ति पालन करता है, तो वह जीवित रहेगा. 12मैंने उनके लिये अपने शब्बाथ20:12 शब्बाथ सातवां दिन जो विश्राम का पवित्र दिन है भी ठहराए, जो मेरे और उनके बीच एक चिन्ह हो, ताकि वे जानें कि मैं याहवेह ने उन्हें पवित्र बनाया है.
13“ ‘तो भी इस्राएल के लोगों ने निर्जन प्रदेश में मेरे विरुद्ध विद्रोह किया. वे मेरे नियमों पर नहीं चले और मेरे कानूनों को अस्वीकार किया—जिनका यदि कोई व्यक्ति पालन करता है, तो वह जीवित रहेगा—और उन्होंने पूरी तरह से मेरे विश्राम दिन को अपवित्र किया. इसलिये मैंने कहा कि मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और निर्जन प्रदेश में उन्हें नाश कर दूंगा. 14पर अपने नाम के निमित्त मैंने वह किया जिससे मेरा नाम उन जनताओं की दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके देखते मैं उन्हें निकाल लाया था. 15अपना हाथ उठाकर निर्जन प्रदेश में, मैंने शपथ भी खाई कि मैं उन्हें उस देश में नहीं लाऊंगा, जिसे मैंने उन्हें दिया था—एक ऐसा देश जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, जो सब देशों से सुंदर है— 16इसका कारण यह था कि उन्होंने मेरे कानूनों को अस्वीकार किया और मेरे नियमों पर नहीं चले और मेरे विश्राम दिन को अपवित्र किया. क्योंकि उनका मन उनकी मूर्तियों पर लगा हुआ था. 17तौभी मैंने उन पर दया की और उन्हें नाश नहीं किया या निर्जन प्रदेश में उनका अंत नहीं किया. 18निर्जन प्रदेश में मैंने उनके बच्चों से कहा, “अपने माता-पिता के विधियों पर या उनके कानूनों पर मत चलो या उनके मूर्तियों से अपने आपको अशुद्ध मत करो. 19मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं; मेरे नियमों पर चलो और ध्यानपूर्वक मेरे कानूनों का पालन करो. 20मेरे विश्राम दिनों को पवित्र मानो, कि वे मेरे और तुम्हारे बीच एक चिन्ह ठहरें. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.”
21“ ‘परंतु उनके बच्चों ने भी मेरे विरुद्ध विद्रोह किया: वे मेरे नियमों पर नहीं चले, उन्होंने मेरे कानूनों का पालन करने में सावधानी नहीं बरती, जिनके बारे में मैंने कहा था, “वह व्यक्ति जो उनका पालन करेगा, वह जीवित रहेगा,” और उन्होंने मेरे विश्राम दिनों को अपवित्र किया. इसलिये मैंने कहा मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और निर्जन प्रदेश में उनको अपना क्रोध दिखाऊंगा. 22परंतु मैंने अपना हाथ रोके रखा, और अपने नाम के निमित्त मैंने वह किया, जिससे मेरा नाम उन जनताओं के दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके देखते में, मैं उन्हें निकाल लाया था. 23निर्जन प्रदेश में, मैंने अपना हाथ उठाकर उनसे शपथ भी खाई कि मैं उन्हें जाति-जाति के लोगों के बीच छितरा दूंगा और विभिन्न देशों में तितर-बितर कर दूंगा, 24क्योंकि उन्होंने मेरे कानूनों का पालन नहीं किया और मेरे नियमों को अस्वीकार किया और मेरे विश्राम दिनों को अपवित्र किया, और उनकी आंखें उनके माता-पिता के मूर्तियों पर लगी रहीं. 25इसलिये मैंने उन्हें दूसरे विधि विधान दिये जो अच्छे नहीं थे और उन्हें ऐसे कानून दिये जिसके द्वारा वे जीवित नहीं रह सकते थे; 26मैंने उन्हें उनके ही उपहारों के द्वारा अशुद्ध किया—हर पहलौठा का बलिदान किया जाना—जिससे वे अत्यंत भयभीत हों और वे जानें कि मैं याहवेह हूं.’
27“इसलिये, हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के लोगों से बात करो और उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: इस पर भी तुम्हारे पूर्वजों ने मुझसे विश्वासघात करके मेरी निंदा की. 28जब मैं उन्हें उस देश में ले आया, जिसे मैंने उन्हें देने की शपथ खाई थी तो वे किसी ऊंची पहाड़ी या किसी पत्तीवाले पेड़ को देखकर, वहां अपना बलिदान और भेंट चढ़ाने लगे, और अपना सुगंधित धूप जलाकर पेय बलिदान देने लगे, जिससे मेरा क्रोध भड़का. 29तब मैंने उनसे कहा: यह ऊंचा स्थान क्या है जो तुम वहां जाते हो?’
विद्रोही इस्राएल का नवीकरण
30“इसलिये इस्राएलियों से कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: क्या तुम लोग अपने पूर्वजों की तरह अपने आपको अशुद्ध करोगे और उनकी निकम्मी मूर्तियों के पीछे भागोगे? 31जब तुम अपनी भेटें चढ़ाते हो—अपने बच्चों का आग में बलिदान करते हो—तो ऐसा करने के द्वारा तुम आज तक अपने आपको अपनी सब मूर्तियों के द्वारा अशुद्ध करते आ रहे हो. तो हे इस्राएलियो, क्या मैं तुमको मुझसे पूछताछ करने दूंगा? मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, मैं तुमको मुझसे पूछताछ करने नहीं दूंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
32“ ‘तुम कहते हो, “हम उन जाति-जाति और संसार के लोगों के समान होना चाहते हैं, जो लकड़ी और पत्थर की सेवा करते हैं.” पर तुम्हारे मन में जो है, वह कभी पूरा न होगा. 33मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, मैं शक्तिशाली हाथ और बढ़ाए हुए भुजा और भड़के हुए कोप से तुम्हारे ऊपर शासन करूंगा. 34मैं तुम्हें उन जाति-जाति के लोगों और देशों से लाकर इकट्ठा करूंगा, जहां तुम बिखरे हुए हो—मैं तुम्हें शक्तिशाली हाथ और बढ़ाए हुए भुजा और भड़के हुए कोप से इकट्ठा करूंगा. 35मैं तुम्हें जनताओं के निर्जन प्रदेश में ले आऊंगा और वहां, आमने-सामने मैं तुम्हारा न्याय करूंगा. 36जैसा कि मैंने मिस्र देश के निर्जन प्रदेश में तुम्हारे पूर्वजों का न्याय किया था, वैसा ही मैं तुम्हारा न्याय करूंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. 37जब तुम मेरी लाठी के अधीन चलोगे, तो मेरा ध्यान तुम पर रहेगा, और मैं तुम्हें वाचा के बंधन में लाऊंगा. 38मैं तुम्हें उनमें से हटाकर शुद्ध करूंगा, जो मेरे विरुद्ध विद्रोह और अपराध करते हैं. यद्यपि मैं उन्हें उस देश से निकालकर लाऊंगा, जहां वे रह रहे हैं, तौभी वे इस्राएल देश में प्रवेश न कर पाएंगे. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.
39“ ‘हे इस्राएल के लोगों, जहां तक तुम्हारा संबंध है, परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: तुममें से हर एक जन जाए और अपनी-अपनी मूर्तियों की सेवा करे! परंतु बाद में तुम निश्चित रूप से मेरी सुनोगे और फिर मेरे पवित्र नाम को अपने उपहारों और मूर्तियों से अशुद्ध नहीं करोगे. 40क्योंकि परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, मेरे पवित्र पर्वत, इस्राएल के ऊंचे पर्वत पर, वहां देश में, इस्राएल के सारे लोग मेरी सेवा करेंगे, और वहां मैं उन्हें स्वीकार करूंगा. तब वहां मैं तुम्हारी भेंट और उत्तम उपहारों20:40 उत्तम उपहारों पहले फल का उपहार को तुम्हारे सब पवित्र बलिदानों सहित ग्रहण करूंगा. 41मैं तुम्हें एक सुगंधित धूप के रूप में ग्रहण करूंगा जब मैं तुम्हें जनताओं के बीच से निकाल लाऊंगा और उन देशों से तुम्हें इकट्ठा करूंगा, जहां तुम तितर-बितर हो गये हो, और मैं जाति-जाति के लोगों के दृष्टि में तुम्हारे द्वारा पवित्र ठहराया जाऊंगा. 42तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं, जब मैं तुम्हें इस्राएल देश में ले आऊंगा, वह देश जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को देने की हाथ उठाकर शपथ खाई थी. 43वहां तुम अपने चालचलन और उन सब कामों को याद करोगे, जिनके द्वारा तुमने अपने आपको अशुद्ध किया है, और अपने द्वारा किए गए सब बुरे कामों के कारण, तुम अपने आपसे घृणा करोगे. 44हे इस्राएल के लोगों, जब मैं तुम्हारे बुरे कार्यों और तुम्हारे भ्रष्ट आचरण के अनुसार नहीं, परंतु अपने नाम के निमित्त तुमसे व्यवहार करूंगा, तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’ ”
दक्षिण के विरुद्ध भविष्यवाणी
45याहवेह का वचन मेरे पास आया: 46“हे मनुष्य के पुत्र, अपना चेहरा दक्षिण की ओर करो; दक्षिण के विरुद्ध प्रचार करो और दक्षिण देश के बंजर भूमि के विरुद्ध भविष्यवाणी करो. 47दक्षिण के बंजर भूमि से कहो: ‘याहवेह के वचन को सुनो. परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं तुम पर आग लगाने ही वाला हूं, और यह तुम्हारे हरे और सूखे सब पेड़ों को जलाकर नष्ट कर देगी. धधकती ज्वाला नहीं बुझेगी, और दक्षिण से लेकर उत्तर तक हर चेहरा इससे झुलस जाएगा. 48हर एक जन देखेगा कि मैं याहवेह ने ही यह आग लगायी है; यह नहीं बुझेगी.’ ”
49तब मैंने कहा, “हे परम प्रधान याहवेह, वे लोग मेरे विषय में कह रहे हैं, ‘क्या वह मात्र दृष्टांत नहीं कह रहे हैं?’ ”
اسرائيل خيانتكار
1هفت سال و پنج ماه و ده روز از تبعيد ما میگذشت، كه عدهای از رهبران اسرائيل آمدند تا از خداوند هدايت بطلبند. ايشان مقابل من نشستند و منتظر جواب ماندند.
2آنگاه خداوند اين پيغام را به من داد:
3«ای انسان خاكی، به رهبران اسرائيل بگو كه خداوند چنين میفرمايد:
«چگونه جرأت كردهايد كه بياييد و از من هدايت بطلبيد؟ به حيات خود قسم كه هدايتی از من نخواهيد يافت!
4«ای انسان خاكی، ايشان را محكوم كن. گناهان اين قوم را، از زمان پدرانشان تاكنون، به یادشان بياور. 5-6به ايشان از قول من چنين بگو:
«وقتی قوم اسرائيل را انتخاب كردم و خود را در مصر بر ايشان آشكار ساختم، برای آنان قسم خوردم كه ايشان را از مصر بيرون آورده، به سرزمينی بياورم كه برای ايشان در نظر گرفته بودم، يعنی به سرزمينی كه شير و عسل در آن جاريست و بهترين جای دنياست.
7«پس به ايشان گفتم كه بتهای نفرتانگيز و مورد علاقهشان را از خود دور كنند و خود را با پرستش خدايان مصری نجس نسازند، زيرا من خداوند، خدای ايشان هستم. 8اما آنان ياغی شده، نخواستند به من گوش فرا دهند و از پرستش بتهای خود و خدايان مصر دست بكشند. پس خواستم كه خشم و غضب خود را همانجا در مصر بر ايشان نازل كنم. 9-10اما برای حفظ حرمت نام خود، اين كار را نكردم، مبادا مصریها خدای اسرائيل را تمسخر كرده، بگويند كه نتوانست ايشان را از آسيب و بلا دور نگاه دارد. پس در برابر چشمان مصریها، قوم خود اسرائيل را از مصر بيرون آوردم و به بيابان هدايت كردم. 11در آنجا احكام و قوانين خود را به ايشان اعطا نمودم تا مطابق آنها رفتار كنند و زنده بمانند؛ 12و روز سَبَت را به ايشان دادم تا در هفته يک روز استراحت كنند. اين علامتی بود بين من و ايشان، تا به ياد آورند كه اين من هستم كه ايشان را تقديس و جدا كرده، قوم خود ساختهام.
13«اما بنیاسرائيل در بيابان نيز از من اطاعت نكردند. آنان قوانين مرا زير پا گذاشتند و از احكام حياتبخش من سرپيچی كردند، و حرمت روز سبت را نگاه نداشتند. پس خواستم كه خشم و غضب خود را همانجا در بيابان بر ايشان نازل كنم و نابودشان سازم. 14اما باز برای حفظ حرمت نام خود، از هلاک كردن ايشان صرفنظر نمودم، مبادا اقوامی كه ديدند من چگونه بنیاسرائيل را از مصر بيرون آوردم، بگويند: ”چون خدا نتوانست از ايشان محافظت كند، ايشان را از بين برد.“ 15اما در بيابان قسم خوردم كه ايشان را به سرزمينی كه به آنان داده بودم، نياورم به سرزمينی كه شير و عسل در آن جاريست و بهترين جای دنياست. 16زيرا از احكام من سرپيچی كرده، قوانين مرا شكستند و روز سبت را بیحرمت كرده، به سوی بتها كشيده شدند. 17با وجود اين، بر آنان ترحم نمودم و ايشان را در بيابان به طور كامل هلاک نكردم و از بين نبردم.
18«بنابراين، در بيابان به فرزندان ايشان گفتم: ”به راه پدران خود نرويد و به سنن آنها عمل نكنيد و خود را با پرستش بتهای ايشان نجس نسازيد، 19چون خداوند، خدای شما، من هستم؛ پس فقط از قوانين من پيروی كنيد و احكام مرا بجا آوريد؛ 20و حرمت روزهای سبت را نگاه داريد، زيرا روز سبت، نشان عهد بين ماست تا به یادتان آورد كه من خداوند، خدای شما هستم.“
21«اما فرزندان ايشان هم نافرمانی كردند. آنان قوانين مرا شكستند و از احكام حياتبخش من سرپيچی كردند و حرمت روز سبت را نيز نگاه نداشتند. پس خواستم كه خشم و غضب خود را همانجا در بيابان بر ايشان نازل كنم و همه را از بين ببرم. 22اما باز هم برای حفظ حرمت نام خود در ميان اقوامی كه قدرت مرا به هنگام بيرون آوردن بنیاسرائيل از مصر ديده بودند، ايشان را از بين نبردم. 23اما همان زمان كه در بيابان بودند، قسم خوردم كه ايشان را در سراسر جهان پراكنده سازم، 24زيرا احكام مرا بجا نياوردند و قوانين مرا شكستند و روز سبت را بیحرمت كرده، به سوی بتهای پدرانشان بازگشتند. 25پس من نيز اجازه دادم قوانين و احكامی را پيروی كنند كه حيات در آنها نبود. 26بلی، گذاشتم فرزندان خود را به عنوان قربانی برای بتهايشان بسوزانند و با اين كار، خود را نجس سازند. بدين ترتيب ايشان را مجازات كردم تا بدانند كه من خداوند هستم.
27-28«ای انسان خاكی، به قوم اسرائيل بگو كه وقتی پدرانشان را به سرزمين موعود آوردم، در آنجا نيز به من خيانت ورزيدند، چون روی هر تپهٔ بلند و زير هر درخت سبز، برای بتها قربانی میكردند و بخور میسوزاندند؛ عطر و بخور خوشبو و هدايای نوشيدنی خود را میآوردند و به آنها تقديم میكردند، و با اين كارها، خشم مرا برمیانگيختند. 29به ايشان گفتم: ”اين مكان بلند كه برای قربانی به آنجا میرويد، چيست؟“ به همين جهت تا به حال آن محل را مكان بلند مینامند.20:29 عبارت عبری که برای «مکان بلند» بکار میرود، مشابه عبارت «کجا میرويد» میشد.»
30آنگاه خداوند فرمود كه به آنانی كه نزد من آمده بودند، از جانب او چنين بگويم:
«آيا شما نيز میخواهيد مانند پدرانتان، با بتپرستی، خود را نجس سازيد؟ 31شما هنوز هم برای بتها هديه میآوريد و پسران كوچک خود را برای آنها قربانی كرده، میسوزانيد؛ پس چگونه انتظار داريد كه به دعاهای شما گوش دهم و شما را هدايت نمايم؟ به حيات خود قسم كه هيچ هدايت و پيغامی به شما نخواهم داد.
32«آنچه در فكرتان هست، هرگز عملی نخواهد شد. شما میخواهيد مثل قومهای مجاور شويد و مانند آنها، بتهای چوبی و سنگی را بپرستيد. 33به حيات خود سوگند كه من خود، با مشتی آهنين و قدرتی عظيم و با خشمی برافروخته، بر شما سلطنت خواهم نمود! 34با قدرت و قهری عظيم، شما را از سرزمینهایی كه در آنجا پراكنده هستيد، بيرون خواهم آورد. 35-36شما را به بيابان امتها آورده،20:35و36 منظور از «بيابان امتها»، صحرايی است ميان بابل و سوريه که قوم اسرائيل به هنگام بازگشت از اسارت، از آن عبور کرد. در آنجا شما را داوری و محكوم خواهم نمود، همانگونه كه پدرانتان را پس از بيرون آوردن از مصر، در بيابان داوری و محكوم كردم. 37شما را به دقت خواهم شمرد تا فقط عده كمی از شما بازگردند، 38و بقيه را كه ياغیاند و به من گناه میكنند، از ميان شما جدا خواهم نمود. ايشان را از سرزمینهایی كه در آنها تبعيد شدهاند بيرون خواهم آورد، ولی نخواهم گذارد وارد سرزمين اسرائيل گردند. وقتی اينها اتفاق افتاد، خواهيد دانست كه من خداوند هستم.
39«اما اگر اصرار داريد كه به بتپرستی خود ادامه دهيد، من مانع شما نمیشوم! ولی بدانيد كه پس از آن، مرا اطاعت خواهيد نمود و ديگر نام مقدس مرا با تقديم هدايا و قربانی به بتها، بیحرمت نخواهيد ساخت. 40زيرا در اورشليم، روی كوه مقدس من، همه اسرائيلیها مرا پرستش خواهند نمود. در آنجا از شما خشنود خواهم شد و قربانیها و بهترين هدايا و نذرهای مقدس شما را خواهم پذيرفت. 41وقتی شما را از تبعيد بازگردانم، برايم همچون هدايای خوشبو خواهيد بود و قومها خواهند ديد كه در دل و رفتار شما چه تغيير بزرگی ايجاد شده است. 42زمانی كه شما را به وطن خودتان بازگردانم، يعنی به سرزمينی كه وعده آن را به پدرانتان دادم، خواهيد دانست كه من خداوند هستم. 43آنگاه تمام گناهان گذشتهٔ خود را به یاد آورده، به سبب همهٔ كارهای زشتی كه كردهايد، از خود متنفر خواهيد شد. 44ای قوم اسرائيل، وقتی با وجود تمام بديها و شرارتهايتان، به خاطر حرمت نام خود، شما را بركت دهم، آنگاه خواهيد دانست كه من خداوند هستم.»
نبوت عليه جنوب
45سپس اين پيغام از جانب خداوند به من رسيد:
46«ای انسان خاكی، به سوی اورشليم نگاه كن و كلام مرا بر ضد آن، و بر ضد دشتهای پوشيده از جنگل جنوب، اعلام نما. 47درباره آن نبوت نما و بگو كه ای جنگل انبوه، به كلام خداوند گوش بده! خداوند میفرمايد: من در تو آتشی میافروزم كه تمام درختان سبز و خشک تو را بسوزاند. شعلههای مهيب آن خاموش نخواهد شد و همه مردم حرارت آن را احساس خواهند كرد. 48آنگاه همه خواهند دانست كه من، خداوند، آن را افروختهام و خاموش نخواهد شد.»
49گفتم: «ای خداوند، آنها به من میگويند كه چرا با معما با ايشان سخن میگويم!»