यहेजकेल 19 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 19:1-14

इस्राएल के राजकुमारों के लिए एक विलापगीत

1“इस्राएल के राजकुमारों के संबंध में एक विलापगीत लो 2और कहो:

“ ‘सिंहों के मध्य

क्या ही एक सिंहनी थी तुम्हारी माता!

वह उनके बीच रहती थी

और अपने बच्चों (शावकों) का पालन पोषण करती थी.

3उसने अपने बच्चों में से एक को पालकर बड़ा किया,

और वह एक बलवान सिंह हो गया.

वह शिकार को फाड़ डालना सीख गया

और वह एक नर-भक्षी बन गया.

4जाति-जाति के लोगों ने उसके बारे में सुना,

और वह उनके द्वारा खोदे गए गड्ढे में गिरकर फंस गया.

वे उस पर नकेल डालकर

मिस्र देश ले गये.

5“ ‘जब सिंहनी ने देखा कि उसकी आशा पूरी नहीं हुई,

और उसकी उम्मीद जाती रही,

तो उसने अपने एक और बच्‍चे को लिया

और उसे एक बलवान सिंह बनाया.

6वह अन्य सिंहों के बीच चलने फिरने लगा,

क्योंकि अब वह एक बलवान सिंह बन चुका था.

वह शिकार को फाड़ डालना सीख गया

और वह एक नर-भक्षी बन गया.

7उसने उनके एक दृढ़ गढ़ को तोड़ डाला

और उनके नगरों को उजाड़ दिया.

पूरा देश और उसमें रहनेवाले सबके सब

उसके गर्जन से भयभीत होते थे.

8तब उसके चारों तरफ के

जाति-जाति के लोग उसके विरुद्ध हो गए.

उन्होंने उसके लिये जाल बिछाया,

और वह उनके द्वारा खोदे गए गड्ढे में फंस गया.

9उन्होंने नकेल डालकर उसे ऊपर खींचा और उसे एक पिंजरे में डाल दिया

और उसे बाबेल के राजा के पास ले आए.

उन्होंने उसे बंदी बनाकर रखा,

जिससे उसका गर्जन इस्राएल देश के पर्वतों पर

फिर कभी सुनाई नहीं दिया.

10“ ‘तुम्हारी माता पानी के किनारे लगाये गए अंगूर की बारी में

अंगूर की एक लता की तरह थी;

पानी की अधिकता के कारण

उसमें फल लगते थे और वह शाखाओं से भरी हुई थी.

11उसकी शाखाएं मजबूत थी,

और एक शासन करनेवाले के राजदंड के लिये उपयुक्त थी.

घने पत्तियों के ऊपर

यह बहुत ऊंची थी,

अपनी ऊंचाई और बहुत सी शाखाओं के कारण

यह महत्वपूर्ण थी.

12परंतु उसे क्रोध में उखाड़ दिया गया

और भूमि पर फेंक दिया गया.

पूर्वी हवा ने उसे सूखा दिया,

उसके फल गिर गये;

उसकी मजबूत शाखाएं सूख गईं

और आग ने उन्हें जलाकर नष्ट कर दिया.

13अब उसे निर्जन प्रदेश में लगाया गया है,

एक सूखी और प्यासी भूमि पर.

14उसकी एक मुख्य शाखा से आग फैली

और उसके फलों को जलाकर नष्ट कर दिया.

उसमें और कोई मजबूत शाखा नहीं बची

जो शासन करनेवाले के राजदंड के लिये उपयुक्त हो.’

यह एक विलापगीत है और इसे एक विलापगीत के रूप में उपयोग करना है.”