यशायाह 9 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

यशायाह 9:1-21

1यद्यपि दुःख का समय हटेगा. पहले उसने ज़ेबुलून और नफताली से घृणा की थी, किंतु भविष्य में वह समुद्र के रास्ते यरदन के उस पार, अन्यजातियों का गलील प्रदेश सम्मानित किया जायेगा—

2अंधकार में चल रहे लोगों ने

एक बड़ी ज्योति को देखा;

गहन अंधकार के निवासियों पर

ज्योति चमकी.

3जैसे फसल कटनी के समय

आनंदित होती है,

और जैसे लोग लूट बांटने के समय

मगन होते हैं;

वैसे तूने जाति को बढ़ाया

और आनंदित किया.

4क्योंकि परमेश्वर ने उनके जूए

और भारी बोझ को दूर किया,

जो मिदियान के द्वारा दिया गया था.

5युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के जूते

और खून से भरे हुए कपड़े जला दिए जाएंगे.

6क्योंकि हमारे लिए एक पुत्र का जन्म हुआ है,

प्रभुता उनके कंधों पर स्थित होगी,

और उनका नाम होगा

अद्भुत युक्ति करनेवाला, पराक्रमी,

अनंत काल का पिता, और शांति का राजकुमार होगा.

7दावीद के सिंहासन और उनके राज्य पर उनके अधिकार

तथा उनकी शांति का अंत न होगा.

इसलिये दावीद की राजगद्दी हमेशा न्याय

और धर्म के साथ स्थिर रहेगी. सेनाओं के याहवेह का जोश इसे पूरा करेगा.

इस्राएल के खिलाफ याहवेह का गुस्सा

8याहवेह ने याकोब के पास एक संदेश भेजा;

जो इस्राएल पर पूरा हुआ.

9यह एफ्राईम और शमरिया के

सभी लोगों को मालूम हो जाएगा—

जो घमंड

और कठोरता से बोलते हैं,

10“ईंटें तो गिर गई हैं,

लेकिन हम गिरे हुए पत्थरों से घर बनाएंगे,

गूलर-वृक्ष तो काट दिए गए हैं,

तब हम उनके स्थान पर देवदार उगाएंगे.”

11तब याहवेह रेज़िन की ओर से उसके विरुद्ध शत्रु खड़े करेंगे

और उसके अन्य शत्रुओं को उकसाएंगे.

12पूर्व से अरामी और पश्चिम से फिलिस्तीनी

जो मुंह खोलकर इस्राएल को निगल जाएंगे.

यह सब होने पर भी उनका क्रोध शांत न होगा,

और उनका हाथ उठा रहेगा.

13फिर भी लोग उनकी ओर नहीं फिरे,

और न ही उन्होंने सर्वशक्तिमान याहवेह की ओर ध्यान दिया.

14इसलिये याहवेह एक ही दिन में इस्राएल से सिर और पूंछ,

तथा खजूर के सरकंडे को काट डालेंगे;

15सिर तो वह प्रतिष्ठित और बुज़ुर्ग व्यक्ति है,

और पूंछ वह भविष्यद्वक्ता जो झूठी बात सिखाता है.

16क्योंकि वे ही, उनको मार्ग बताकर भटका देते थे,

और जो उनकी अगुवाई करते थे नाश हो गये.

17इसलिये प्रभु उनके जवानों से खुश नहीं थे,

और उनके अनाथ और विधवाओं पर कोई दया नहीं करता,

क्योंकि सब श्रद्धाहीन और कुकर्मी थे,

उनमें सब की बातें मूर्खता की होती थी.

इतना सब होने पर भी उनका क्रोध शांत न हुआ,

और उनका हाथ उठा रहा.

18दुष्ट आग के समान जलता है;

जो ऊंटकटारों तथा कंटीली झाड़ियों को जला देती है,

वन के झुरमुट को जला देती है,

और उसका धुआं ऊपर उठता है.

19सर्वशक्तिमान याहवेह के क्रोध से

देश झुलस गया है

और प्रजा आग में जल गई है;

भाई ने भाई को नहीं छोड़ा.

20वे दायीं ओर से छीन झपटकर खाने पर भी भूखे ही रहते हैं,

और वह भी खा जाते हैं;

जो बाएं ओर होता है,

फिर भी तृप्‍त नहीं होते.

उनमें से हर एक अपनी ही बांह के मांस को खा जाता है:

21एफ्राईम मनश्शेह को खाता है और मनश्शेह एफ्राईम को;

वे एक साथ होकर यहूदाह के विरुद्ध हो गए हैं.

इतना सब होने पर भी उनका क्रोध शांत न होगा,

और उनका हाथ उठा रहेगा.

New Arabic Version

إشعياء 9:1-21

يولد لنا ولد

1وَلَكِنْ لَنْ يُخَيِّمَ ظَلامٌ عَلَى الَّتِي تُعَانِي مِنَ الضِّيقِ، فَكَمَا أَذَلَّ اللهُ فِي الزَّمَنِ الْغَابِرِ أَرْضَ زَبُولُونَ وَنَفْتَالِي، فَإِنَّهُ فِي الزَّمَنِ الأَخِيرِ يُكْرِمُ طَرِيقَ الْبَحْرِ وَعَبْرَ الأُرْدُنِّ، جَلِيلَ الأُمَمِ. 2الشَّعْبُ السَّالِكُ فِي الظُّلْمَةِ أَبْصَرَ نُوراً عَظِيماً، وَالْمُقِيمُونَ فِي أَرْضِ ظِلالِ الْمَوْتِ أَضَاءَ عَلَيْهِمْ نُورٌ. 3كَثَّرْتَ الأُمَّةَ وَزِدْتَهَا فَرَحاً، ابْتَهَجُوا فِي حَضْرَتِكَ كَمَا يَبْتَهِجُونَ فِي أَوَانِ الْحَصَادِ وَكَمَا يَبْتَهِجُ الَّذِينَ يَتَقَاسَمُونَ الْغَنَائِمَ. 4لأَنَّكَ قَدْ حَطَّمْتَ، كَمَا فِي يَوْمِ مِدْيَانَ، نِيرَ ثِقْلِهِ وَعَصَا كَتِفِهِ وَقَضِيبَ مُسَخِّرِهِ. 5إِذْ كُلُّ سِلاحِ الْمُتَسَلِّحِ فِي الْوَغَى، وَكُلُّ رِدَاءٍ مُلَطَّخٍ بِالدِّمَاءِ، يُطْرَحُ وَقُوداً لِلنَّارِ وَيُحْرَقُ. 6لأَنَّهُ يُوْلَدُ لَنَا وَلَدٌ وَيُعْطَى لَنَا ابْنٌ يَحْمِلُ الرِّيَاسَةَ عَلَى كَتِفِهِ، وَيُدْعَى اسْمُهُ عَجِيباً، مُشِيراً، إِلَهاً قَدِيراً، أَباً أَبَدِيًّا، رَئِيسَ السَّلامِ. 7وَلا تَكُونُ نِهَايَةٌ لِنُمُوِّ رِيَاسَتِهِ وَلِلسَّلامِ اللَّذَيْنِ يَسُودَانِ عَرْشَ دَاوُدَ وَمَمْلَكَتَهُ، لِيُثَبِّتَهَا وَيَعْضُدَهَا بِالْحَقِّ وَالْبِرِّ، مِنَ الآنَ وَإِلَى الأَبَدِ. إِنَّ غَيْرَةَ الرَّبِّ الْقَدِيرِ تُتَمِّمُ هَذَا.

غضب الرب على إسرائيل

8لَقَدْ أَصْدَرَ الرَّبُّ قَضَاءَهُ عَلَى يَعْقُوبَ فَوَقَعَ فِي إِسْرَائِيلَ، 9فَيَعْلَمُ الشَّعْبُ كُلُّهُ: أَفْرَايِمُ وَسُكَّانُ السَّامِرَةِ الْقَائِلُونَ بِزَهْوٍ وَكِبْرِيَاءِ قَلْبٍ: 10«قَدْ تَسَاقَطَ اللِّبْنُ وَلَكِنَّنَا سَنَبْنِي بِحِجَارَةٍ مَنْحُوتَةٍ. قَدْ قُطِعَ الْجُمَّيْزُ وَلَكِنَّنَا نَسْتَبْدِلُهُ بِخَشَبِ الأَرْزِ!» 11ولَكِنَّ الرَّبَّ يُثِيرُ عَلَيْهِمْ خُصُومَهُمْ وَيُثِيرُ عَلَيْهِمْ أَعْدَاءَهُمْ، 12فَيَنْقَضُّ الأَرَامِيُّونَ مِنَ الشَّرْقِ، وَالْفِلِسْطِينِيُّونَ مِنَ الْغَرْبِ لِيَلْتَهِمُوا إِسْرَائِيلَ بِمِلْءِ الْفَمِ، وَمَعَ كُلِّ هَذَا فَإِنَّ غَضَبَهُ لَمْ يَرْتَدَّ، وَيَدَهُ مَا بَرِحَتْ مَمْدُودَةً لِلْعِقَابِ.

13إِنَّ الشَّعْبَ لَمْ يَرْجِعْ تَائِباً إِلَى مَنْ عَاقَبَهُ، وَلا طَلَبَ الرَّبَّ الْقَدِيرَ. 14لِذَلِكَ سَيَقْطَعُ الرَّبُّ مِنْ إِسْرَائِيلَ فِي يَوْمٍ وَاحِدٍ الرَّأْسَ وَالذَّنَبَ، النَّخْلَةَ وَالْقَصَبَةَ. 15إِنَّ الشَّيْخَ وَالْوَجِيهَ هُوَ الرَّأْسُ، وَالنَّبِيَّ الَّذِي يُلَقِّنُ الْكَذِبَ هُوَ الذَّنَبُ 16فَمُرْشِدُو هَذَا الشَّعْبِ يُضِلُّونَهُ، وَالْمُرْشَدُونَ يُبْتَلَعُونَ. 17لِذَلِكَ لَا يُسَرُّ الرَّبُّ بِشُبَّانِهِمْ، وَلا يَتَرَأَّفُ عَلَى أَيْتَامِهِمْ وَأَرَامِلِهِمْ، لأَنَّ جَمِيعَهُمْ مُنَافِقُونَ وَفَاعِلُو شَرٍّ، كُلُّ فَمٍ يَنْطِقُ بِالْحَمَاقَةِ، وَمَعَ كُلِّ هَذَا فَإِنَّ غَضَبَهُ لَمْ يَرْتَدْ، وَمَا بَرِحَتْ يَدُهُ مَمْدُودَةً لِلْعِقَابِ.

18لأَنَّ الفُجُورَ يَحْرِقُ كَالنَّارِ فَتَلْتَهِمُ الشَّوْكَ وَالْحَسَكَ بَلْ تُشْعِلُ أَجَمَاتِ الغَابَةِ فَتَتَصَاعَدُ مِنْهَا سُحُبُ الدُّخَانِ. 19إِنَّ الأَرْضَ تَحْتَرِقُ بِغَضَبِ الرَّبِّ الْقَدِيرِ، وَالشَّعْبَ كَوَقُودٍ لِلنَّارِ. لَا يَرْحَمُ وَاحِدٌ أَخَاهُ. 20يَلْتَهِمُونَ ذَاتَ الْيَمِينِ وَلَكِنْ يَظَلُّونَ جِيَاعاً، وَيَفْتَرِسُونَ ذَاتَ الشِّمَالِ وَلا يَشْبَعُونَ. كُلُّ وَاحِدٍ مِنْهُمْ يَأْكُلُ لَحْمَ أَخِيهِ. 21مَنَسَّى ضِدَّ أَفْرَايِمَ، وَأَفْرَايِمُ ضِدَّ مَنَسَّى، وَلَكِنَّهُمَا يَتَّحِدَانِ ضِدَّ يَهُوذَا. مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ كُلِّهِ لَمْ يَرْتَدَّ غَضَبُهُ، وَمَا بَرِحَتْ يَدُهُ مَمْدُودَةً لِلْعِقَابِ!