यशायाह 65 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

यशायाह 65:1-25

न्याय और उद्धार

1“मैंने अपने आपको उन लोगों में प्रकट किया, जिन्होंने मेरे विषय में पूछताछ ही नहीं की;

मैंने अपने आपको उन लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया, जिन्होंने मुझे खोजने की कोशिश भी न की थी.

वह देश जिसने मेरे नाम की दोहाई ही न दी थी,

मैं उसका ध्यान इस प्रकार करता रहा, ‘देख मैं यहां हूं.’

2एक विद्रोही जाति के लिए

मैं सारे दिन अपने हाथ फैलाए रहा,

जो अपनी इच्छा से बुरे रास्तों पर

चलते हैं,

3जो ईंटों पर धूप जलाकर तथा बागों में बलि चढ़ाकर,

मुझे क्रोधित करते हैं;

4जो कब्रों के बीच बैठे रहते

तथा सुनसान जगहों पर रात बिताते हैं;

जो सूअर का मांस खाते,

और घृणित वस्तुओं का रस अपने बर्तनों में रखते हैं;

5वे कहते हैं, ‘अपने आप काम करो; मत आओ हमारे पास,

तुमसे अधिक पवित्र मैं हूं!’

मेरे लिए तो यह मेरे नाक में धुएं व उस आग के समान है,

जो सारे दिन भर जलती रहती है.

6“देखो, यह सब मेरे सामने लिखा है:

मैं चुप न रहूंगा, किंतु मैं बदला लूंगा;

वरन तुम्हारे और तुम्हारे पूर्वजों के भी अधर्म के कामों का बदला तुम्हारी गोद में भर दूंगा.

7क्योंकि उन्होंने पर्वतों पर धूप जलाया है

और पहाड़ियों पर उन्होंने मेरी उपासना की है,

इसलिये मैं उनके द्वारा

पिछले कामों का बदला उन्हीं की झोली में डाल दूंगा.”

8याहवेह कहते हैं,

“जिस प्रकार दाख के गुच्छे में ही नया दाखमधु भरा होता है

जिसके विषय में कहा जाता है, ‘इसे नष्ट न करो,

यही हमें लाभ करेगा,’

इसी प्रकार मैं भी अपने सेवकों के लिये काम करूंगा;

कि वे सबके सब नष्ट न हो जाएं.

9मैं याकोब के वंश को जमा करूंगा,

और यहूदिया से मेरे पर्वतों का उत्तराधिकारी चुना जायेगा;

वे मेरे चुने हुए वारिस होंगे,

और वहां मेरे सेवक बस जायेंगे.

10शारोन में उसकी भेड़-बकरियां चरेंगी,

और गाय-बैल आकोर घाटी में विश्राम करेंगे,

क्योंकि मेरी प्रजा मेरी खोज करने लगी है.

11“परंतु तुम जिन्होंने याहवेह को छोड़ दिया हैं

और जो मेरे पवित्र पर्वत को भूल जाते हैं,

वे भाग्य देवता के लिए मेज़ पर खाना सजाते हैं

और भावी देवी के लिये मसाला मिला दाखमधु रखते हैं,

12मैं तुम्हारे लिए तलवार लाऊंगा,

तुम सभी वध होने के लिए झुक जाओगे;

क्योंकि तुमने मेरे बुलाने पर उत्तर न दिया,

जब मैंने कहा तुमने न सुना.

तुमने वही किया, जो मेरी दृष्टि में गलत है

तथा वही करना चाहा जो मुझे नहीं भाता.”

13तब प्रभु याहवेह ने कहा:

“देखो, मेरे सेवक तो भोजन करेंगे,

पर तुम भूखे रह जाओगे;

कि मेरे सेवक पिएंगे,

पर तुम प्यासे रह जाओगे;

मेरे सेवक आनंदित होंगे,

पर तुम लज्जित किए जाओगे.

14मेरे सेवक आनंद से

जय जयकार करेंगे,

पर तुम दुःखी दिल से रोते

और तड़पते रहोगे.

15मेरे चुने हुए लोग

तुम्हारा नाम लेकर शाप देंगे;

और प्रभु याहवेह तुमको नाश करेंगे,

परंतु अपने दासों का नया नाम रखेंगे.

16क्योंकि वह जो पृथ्वी पर धन्य है

वह सत्य के परमेश्वर द्वारा आशीषित किया गया है;

वह जो पृथ्वी पर शपथ लेता है

वह सत्य के परमेश्वर की शपथ लेगा.

क्योंकि पुरानी विपत्तियां दूर हो जायेंगी,

वह मेरी आंखों से छिप गया है.

नया आकाश और नयी पृथ्वी

17“क्योंकि देखो,

मैं नया आकाश और पृथ्वी बनाऊंगा.

पुरानी बातें न सोची,

और न याद की जायेंगी.

18इसलिये मैं जो कुछ बना रहा हूं

उसमें सर्वदा मगन और खुश रहो,

क्योंकि देखो मैं येरूशलेम को मगन

और आनंदित बनाऊंगा.

19मैं येरूशलेम में खुशी मनाऊंगा

तथा अपनी प्रजा से मैं खुश रहूंगा;

फिर येरूशलेम में न तो रोने

और न चिल्लाने का शब्द सुनाई देगा.

20“अब वहां ऐसा कभी न होगा

कि कुछ दिन का बच्चा,

या किसी वृद्ध की अचानक मृत्यु हो जाए;

क्योंकि जवान ही की मृत्यु

एक सौ वर्ष की अवस्था में होगी;

तथा वह, जो अपने जीवन में एक सौ वर्ष न देख पाए,

उसे शापित माना जाएगा.

21वे घर बनाकर रहेंगे;

वे दाख की बारी लगायेंगे और उसका फल खाएंगे.

22ऐसा कभी न होगा कि घर तो वे बनाएंगे तथा उसमें कोई और रहने लगेगा;

या वे बीज बोए, और दूसरे फसल काटे.

क्योंकि जितना जीवनकाल वृक्ष का होगा,

उतनी ही आयु मेरी प्रजा की होगी;

मेरे चुने हुए अपने कामों का

पूरा लाभ उठाएंगे.

23उनकी मेहनत बेकार न होगी,

न उनके बालक कष्ट के लिए उत्पन्‍न होंगे;

क्योंकि वे याहवेह के धन्य वंश होंगे,

और उनके बच्‍चे उनसे अलग न होंगे.

24उनके पुकारते ही मैं उन्हें उत्तर दूंगा;

और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा.

25भेड़िये तथा मेमने साथ साथ चरेंगे,

बैल के समान सिंह भूसा खाने लगेगा,

तथा सांप का भोजन धूल होगा.

मेरे पवित्र पर्वत पर

किसी प्रकार की हानि और कष्ट न होगा,”

यह याहवेह का वचन है.