यशायाह 57 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

यशायाह 57:1-21

1धर्मी व्यक्ति नाश होते हैं,

और कोई इस बात की चिंता नहीं करता;

भक्त उठा लिये जाते हैं,

परंतु कोई नहीं सोचता.

धर्मी जन आनेवाली परेशानी से

बचने के लिये उठा लिये जाते हैं.

2वे शांति पहचानते हैं,

वे अपने बिछौने57:2 बिछौने मृत्यु का भी हो सकता है पर आराम पाते हैं;

जो सीधी चाल चलते हैं.

3“परंतु हे जादूगरनी,

व्यभिचारी और उसकी संतान यहां आओ!

4तुम किस पर हंसते हो?

किसके लिए तुम्हारा मुंह ऐसा खुल रहा है

किस पर जीभ निकालते हो?

क्या तुम अत्याचार

व झूठ की संतान नहीं हो?

5सब हरे वृक्ष के नीचे कामातुर होते हो और नालों में

तथा चट्टानों की गुफाओं में अपने बालकों का वध करते रहते हो.

6तुम्हारा संबंध तो चट्टान के उन चिकने पत्थरों से है;

वही तुम्हारा भाग और अंश है.

तुम उन्हीं को अन्‍नबलि और पेय बलि चढ़ाते हो.

क्या इन सबसे मेरा मन शांत हो जाएगा?

7ऊंचे पर्वत पर तुमने अपना बिछौना लगाया है;

और तुमने वहीं जाकर बलि चढ़ाई है.

8द्वार तथा द्वार के चौखट के पीछे

तुमने अपने अन्य देवताओं का चिन्ह बनाया है, तुमने अपने आपको मुझसे दूर कर लिया है.

तुमने वहां अपनी देह दिखाई,

तब तुमने अपने बिछौने के स्थान को बढ़ा लिया;

तुमने उनके साथ अपने लिए एक संबंध बना लिया,

तुम्हारे लिए उनका बिछौना प्रिय हो गया,

और उनकी नग्न शरीरों पर आसक्ति से नज़र डाली!

9राजा से मिलने के लिए तुमने यात्रा की

तथा सुगंध द्रव्य से श्रृंगार कर उसे तेल भेंट किया.

तुमने दूर देशों

और अधोलोक में अपना दूत भेजा!

10तुम तो लंबे मार्ग के कारण थक चुके थे,

फिर भी तुमने यह न कहा कि, ‘व्यर्थ ही है यह.’

तुममें नए बल का संचार हुआ,

तब तुम थके नहीं.

11“कौन था वह जिससे तुम डरती थी

जब तुमने मुझसे झूठ कहा,

तथा मुझे भूल गई,

तुमने तो मेरे बारे में सोचना ही छोड़ दिया था?

क्या मैं बहुत समय तक चुप न रहा

तुम इस कारण मेरा भय नहीं मानती?

12मैं तुम्हारे धर्म एवं कामों को बता दूंगा,

लेकिन यह तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा.

13बुलाने पर,

तुम्हारी मूर्तियां ही तुम्हारी रक्षा करें!

किंतु होगा यह कि हवा उन्हें उड़ा ले जाएगी,

केवल श्वास उन्हें दूर कर देगी.

परंतु वे जो मुझ पर भरोसा रखते हैं,

वह देश के अधिकारी होंगे,

तथा वह मेरे पवित्र पर्वत का स्वामी हो जाएगा.”

भग्न हृदयों को याहवेह की शांति

14तब यह कहा जाएगा:

“निर्माण करो, निर्माण करो, पांति बांधकर राजमार्ग बनाओ!

हर एक रुकावट मेरी प्रजा के मार्ग से हटाई जाए.”

15क्योंकि जो महान, उत्तम और सदा-सर्वदा जीवित रहते हैं—

जिनका नाम ही पवित्र है, वे यों कहते हैं:

“मैं ऊंचे एवं पवित्र स्थान में निवास करता हूं,

और दुःखी तथा नम्र लोगों के साथ भी रहता हूं,

ताकि मैं नम्र और दुःखी

लोगों के मन को खुशी दूं.

16क्योंकि मैं सदा-सर्वदा वाद-विवाद करता न रहूंगा,

न ही मैं सर्वदा रुठा रहूंगा,

क्योंकि वे आत्माएं मेरी बनायी हुई हैं—

और जीव मेरे सामने मूर्छित हो जाते हैं.

17उसके लालच के कारण मैं उससे क्रोधित होकर;

उसको दुःख दिया और मुंह छिपाया था,

पर वह अपनी इच्छा से दूर चला गया था.

18मैंने उसका चालचलन देखा है, फिर भी अब उसको चंगा करूंगा;

मैं उसे ले चलूंगा तथा उसके शोक करनेवालों को शांति दूंगा,

19मैं उनके होंठों के फल का रचनेवाला हूं.

जो दूर हैं उन्हें शांति, और पास हैं उन्हें भी मैं शांति दूंगा,”

यह याहवेह का वचन है, “मैं उसे चंगा करूंगा.”

20परंतु दुष्ट लहराते हुए सागर समान है,

जो स्थिर रह ही नहीं सकता,

उसकी तरंगें कचरे और कीचड़ को उछालती रहती हैं.

21मेरे परमेश्वर का वचन है, “दुष्टों के लिए शांति नहीं.”

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

以賽亞書 57:1-21

1沒有人關心義人的死亡,

沒有人明白虔誠人的去世。

其實義人去世是脫離災難。

2這些正直的人得享平安,

在墳墓裡得到安息。

3耶和華說:「你們這些巫婆的兒子,

姦夫和妓女的孩子,

上前來吧!

4你們在嘲笑誰,

向誰吐舌頭呢?

你們難道不是悖逆的兒女、

詭詐的子孫嗎?

5你們在橡樹下,在青翠樹下以淫亂的方式祭拜假神,

在山谷中和石縫間殺兒女作祭物。

6你們把谷中光滑的石頭當神明敬奉,

效忠於它們,

向它們澆奠獻祭。

我豈能容忍?

7你們在高山上淫亂、獻祭,

8在門後供奉神像。

你們背棄我,

脫衣上床跟它們肆意苟合,

與它們立約,

迷戀它們的床,

愛看它們的淫態。

9你們帶著橄欖油和許多香料去拜假神,

差遣使者到遠方,

甚至去陰間尋找神明。

10雖然遙遠的路途使你們疲倦,

你們卻從不放棄。

你們找到了新的力量,

所以沒有暈倒。

11「你們懼怕誰,

以致對我說謊,

不把我放在心上,忘記我?

你們不再敬畏我,

是因為我長期沉默嗎?

12我要揭露你們的所謂公義行為,

它們對你們毫無益處。

13當你們呼求的時候,

讓你們收集的神像來救你們吧!

風會把它們颳去,

就是一口氣也會把它們吹走。

但投靠我的必承受這片土地,

擁有我的聖山。」

主安慰痛悔者

14耶和華說:

「要修路,修路,鋪平道路,

清除我子民路上的障礙。」

15那至高至上、永遠長存的聖者說:

「我住在至高至聖之處,

但我也跟痛悔、

謙卑的人同住,

使他們心靈振作。

16我不會永遠指責,

也不會一直發怒,

以免世人——我所造的生靈昏倒。

17他們貪婪的罪惡使我發怒,

我懲罰他們,憤怒地轉臉不理他們,

他們卻怙惡不悛。

18我看見了他們的所作所為,

但我還是要醫治他們,

引領他們,

使他們和那些哀傷的人得安慰,

19使他們開口讚美。

願遠近各方的人都得到平安!

我要醫治他們。

這是耶和華說的。

20然而,惡人就像波濤洶湧、

難以平靜的大海,

海浪中湧出淤泥和汙物。」

21我的上帝說:「他們必得不到平安。」