यशायाह 35 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

यशायाह 35:1-10

मुक्ति पाये हुओं का आनंद

1वह निर्जन स्थान

तथा वह मरुस्थल भूमि खुश होंगे,

मरुस्थल आनंदित होकर केसर समान खिल उठेंगे.

2वह अत्यंत आनंदित होगी

तथा जय जयकार और उसे लबानोन का शौर्य दिया जायेगा

उसकी समृद्धि कर्मेल तथा शारोन के समान हो जाएगी,

वे याहवेह की महिमा, परमेश्वर के प्रताप को देखेंगे.

3जो उदास है उन्हें उत्साहित करो,

तथा जो निर्बल हैं उन्हें दृढ़ करो;

4घबराने वाले व्यक्तियों से कहो,

“साहस बनाए रखो, भयभीत न हो;

स्मरण रखो, तुम्हारा परमेश्वर पलटा लेने

और प्रतिफल देने आ रहा है.”

5तब अंधों की आंखें खोली जायेंगी

तथा बहरों के कान खोल दिये जायेंगे.

6तब लंगड़ा हिरण के समान उछलेगा,

गूंगे अपनी जीभ से जय जयकार करेंगे.

सुनसान जगह पर सोता फूट निकलेगा

तथा मरुस्थल में नदियां बहेंगी.

7सूखी हुई भूमि पोखर सोते में बदल जायेगी,

तथा धारा झरनों में बदलेगी.

तथा तृषित धरा झरनों में; जिस जगह पर कभी सियारों का बसेरा था,

वहां हरियाली हो जायेगी.

8वहां एक मार्ग होगा;

उसका नाम पवित्र मार्ग होगा.

अशुद्ध उस पर न चल पाएंगे;

निर्धारित लोग (परमेश्वर के पवित्र लोग) ही उस पर चला करेंगे;

न ही मूर्ख वहां आएंगे.

9उस मार्ग पर सिंह नहीं होगा,

न ही कोई जंगली पशु वहां आयेगा;

इनमें से कोई भी उस मार्ग पर नहीं चलेगा.

10इसलिये वे जो याहवेह द्वारा छुड़ाए गए हैं,

जय जयकार के साथ ज़ियोन में आएंगे;

उनके सिर पर आनंद के मुकुट होंगे

और उनका दुःख तथा उनके आंसुओं का अंत हो जायेगा,

तब वे सुख तथा खुशी के अधिकारी हो जाएंगे.