यशायाह 32 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

यशायाह 32:1-20

धार्मिकता का राज्य

1देखो, राजा धर्म से शासन करेंगे

और अधिकारी न्याय से शासन करेंगे.

2सब मानो आंधी से छिपने

का स्थान और बौछार के लिये आड़ के समान होगा,

मरुभूमि में झरने

एक विशाल चट्टान की छाया के समान होंगे.

3तब जो देखते हैं, उनकी आंख कमजोर न होगी,

और जो सुनते हैं वे सुनेंगे.

4उतावले लोगों के मन ज्ञान की बातें समझेंगे,

और जो हकलाते हैं वे साफ़ बोलेंगे.

5मूर्ख फिर उदार न कहलायेगा

न कंजूस दानी कहलायेगा.

6क्योंकि एक मूर्ख मूढ़ता की बातें ही करता है,

और उसका मन व्यर्थ बातों पर ही लगा रहता है:

वह कपट और याहवेह के विषय में झूठ बोलता है

जिससे वह भूखे को भूखा और प्यासे को प्यासा ही रख सके.

7दुष्ट गलत बात सोचता है,

और सीधे लोगों को भी अपनी बातों में फंसा देता है.

8किंतु सच्चा व्यक्ति तो अच्छा ही करता है,

और अच्छाईयों पर स्थिर रहता है.

येरूशलेम की स्त्रियां

9हे आलसी स्त्रियों तुम जो निश्चिंत हो,

मेरी बात को सुनो;

हे निश्चिंत पुत्रियो उठो,

मेरे वचन पर ध्यान दो!

10हे निश्चिंत पुत्रियो एक वर्ष

और कुछ ही दिनों में तुम व्याकुल कर दी जाओगी;

क्योंकि दाख का समय खत्म हो गया है,

और फल एकत्र नहीं किए जाएंगे.

11हे निश्चिंत स्त्रियो, कांपो;

कांपो, हे निश्चिंत पुत्रियो!

अपने वस्त्र उतारकर

अपनी कमर पर टाट बांध लो.

12अच्छे खेतों के लिए

और फलदार अंगूर के लिये रोओ,

13क्योंकि मेरी प्रजा,

जो बहुत खुश और आनंदित है,

उनके खेत में झाड़

और कांटे उग रहे हैं.

14क्योंकि राजमहल छोड़ दिया जायेगा,

और नगर सुनसान हो जायेगा;

पर्वत और उनके पहरेदारों के घर जहां है,

वहां जंगली गधे मौज करेंगे, पालतू पशुओं की चराई बन जाएंगे.

15जब तक हम पर ऊपर से आत्मा न उंडेला जाए,

और मरुभूमि फलदायक खेत न बन जाए,

और फलदायक खेत वन न बन जाए.

16तब तक उस बंजर भूमि में याहवेह का न्याय रहेगा,

और फलदायक खेत में धर्म रहेगा.

17धार्मिकता का फल है शांति, उसका परिणाम चैन;

और हमेशा के लिए साहस!

18तब मेरे लोग शांति से,

और सुरक्षित एवं स्थिर रहेंगे.

19और वन विनाश होगा

और उस नगर का घमंड चूर-चूर किया जाएगा,

20क्या ही धन्य हो तुम,

जो जल के स्रोतों के पास बीज बोते हो,

और गधे और बैल को आज़ादी से चराते हो.