यशायाह 25 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

यशायाह 25:1-12

परमेश्वर के लिए स्तवन गीत

1याहवेह, आप ही मेरे परमेश्वर हैं;

मैं आपकी प्रशंसा करूंगा और आपके नाम की महिमा करूंगा,

क्योंकि आपने बड़े अद्भुत काम किए हैं,

और उन सनातन योजनाओं को

पूरी विश्वस्तता एवं सच्चाई से आपने पूरा किया है.

2आपने नगरों को गिरा दिया,

और खंडहर कर दिया,

परदेशियों का अब कोई नगर नहीं;

और न ही उन्हें फिर बसाया जाएगा.

3इसलिये बलवंत प्रजा आपकी महिमा करेगी;

और निर्दयी आपका भय मानेंगे.

4दीनों के लिए आप शरणस्थान,

और विपत्ति के समय आप उनके लिए ढाल होंगे,

दरिद्रों के लिये

उनके शरण और रक्षक होंगे.

5जैसे निर्जल देश में बादल से ठंडक होती है;

वैसे ही परदेशियों का कोलाहल,

और निर्दयी लोगों का जय जयकार शांत हो जाएगा.

6इसी पर्वत पर सर्वशक्तिमान याहवेह

सब लोगों को भोजन खिलाएंगे,

जिसमें पुराना दाखरस—

और उत्तम से उत्तम चिकना भोजन जो अच्छा और स्वादिष्ट होगा.

7इस पर्वत पर आकर सब जातियों

और देशों के बीच जो पर्दा,

और दीवार है तोड़ देगा;

8वह सदा-सर्वदा के लिए मृत्यु को नाश करेंगे.

और प्रभु याहवेह सभी के चेहरों से

आंसुओं को पोंछ देंगे;

वह अपने लोगों की निंदा को

दूर कर देंगे.

याहवेह का यह संदेश है.

9उस दिन लोग यह कहेंगे,

“कि, यही हैं हमारे परमेश्वर;

यही हैं वह याहवेह जिनका हमने इंतजार किया.

आओ, हम उनके उद्धार में आनंद मनाएं

और प्रसन्‍न रहेंगे.”

10क्योंकि याहवेह का हाथ सदा बना रहेगा;

मोआब उनके द्वारा रौंद दिया जाएगा

जिस प्रकार गोबर-कुण्ड में एक तिनके को रौंद दिया जाता है.

11जिस प्रकार एक तैराक अपने हाथों को फैलाता है,

उसी प्रकार मोआब भी अपने हाथों को फैलाएगा.

किंतु याहवेह उसके घमंड को चूर-चूर

और उसके हाथों की कुशलता को कमजोर कर देंगे.

12याहवेह उसकी दृढ़ शहरपनाह को गिरा देंगे

वह उन्हें भूमि पर फेंक देंगे;

उन्हें मिट्टी में मिला देंगे.