यशायाह 18 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

यशायाह 18:1-7

कूश के विरोध में भविष्यवाणी

1हाय कूश नदी के दूसरी

ओर के देश पर जहां पंखों की फड़फड़ाहट की आवाज सुनाई देती है,

2वह जो पानी में पपीरस नौकाओं में समुद्र के द्वारा दूत भेजता है,

तुम जो स्वस्थ और लंबे डीलडौल के हो,

उस देश में उन लोगों के पास जाओ,

जहां दूर-दूर तक जिनका डर मन में है,

तथा जो देश सिद्ध एवं सुंदर है,

और जिनके बीच से नदियां बहती हैं.

3हे सारी पृथ्वी के लोगों सुनो,

जब पर्वतों पर झंडा ऊंचा किया जाए

और जब तुरही फूंकी जायेगी,

4तब याहवेह ने मुझसे कहा,

“सूर्य की तेज धूप तथा कटनी के समय ओस के बादल में रहकर मैं चुपचाप देखूंगा.”

5क्योंकि जैसे ही कलियां खिल जाएं

और फूल पके हुए दाख बन जाएं,

तब याहवेह टहनी से वह अंकुरों को छांटेंगे,

और बढ़ती हुई डालियों को काटकर अलग कर देंगे.

6जो मांसाहारी पक्षियों

और पृथ्वी के पशुओं के लिए होगा;

मांसाहारी पक्षी इन पर धूप में,

तथा पृथ्वी के पशु इस पर सर्दी में बैठेंगे.

7स्वस्थ और लंबे डीलडौल के

लोग जो अजीब भाषा का, आक्रामक राष्ट्र हैं, जिन्हें दूर और पास के सब लोग डरते हैं,

और जो देश सिद्ध एवं सुंदर है,

जिसके बीच से नदियां बहती हैं—

उनकी ओर से उस समय सेनाओं के याहवेह के नाम में प्रतिष्ठित ज़ियोन पर्वत पर भेंट लाई जाएगी.