यशायाह 10 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

यशायाह 10:1-34

1हाय उन पर जो गलत न्याय करते

और उन पर दबाव डालने की आज्ञा लिख देते हैं,

2कि वे कंगालों को न्याय से दूर कर दें

और गरीबों के अधिकारों को छीन लें,

जिससे वे विधवाओं को लूट सकें

और अनाथों को अपना शिकार बना सकें.

3क्या करोगे तुम दंड और विनाश के दिन पर,

जो दूर से आएगा?

तब सहायता के लिए तुम दौड़कर किसके पास जाओगे?

और कहां छिपाओगे अपने आपको?

4बंदियों के बीच चापलूसी और मरे हुओं के बीच छिपने के सिवा

कोई भी रास्ता नहीं रह जाएगा.

इतना सब होने पर भी, उनका क्रोध नहीं हटेगा,

और उनका हाथ उठा रहेगा.

अश्शूर पर दण्डाज्ञा

5“अश्शूर पर हाय,

जो मेरे क्रोध का सोंटा तथा लाठी है!

6मैं उसको एक श्रद्धाहीन जाति के विरुद्ध भेजूंगा,

और उन लोगों के विरुद्ध जिनसे मैं क्रोधित हूं,

उसे आज्ञा दे रहा हूं कि वह इसे उजाड़ दे,

लूट ले और गलियों के कीचड़-समान रौंद डाले.

7किंतु फिर भी उसकी इच्छा यह नहीं

और न ही उसके हृदय में ऐसी कोई युक्ति है;

परंतु उसका यह उद्देश्य है,

कि वह अनेक देशों को नष्ट करे और मिटा डाले.

8क्योंकि वह यह कहता है, ‘क्या मेरे सब हाकिम राजा नहीं?

9क्या कलनो कर्कमीश व हामाथ अरपाद के

और शमरिया दमेशेक के समान नहीं है?

10इसलिये कि मेरा हाथ मूर्तियों के राज्य में पहुंच गया है,

जिनकी गढ़ी हुई मूर्ति येरूशलेम और शमरिया से अधिक थी—

11क्या मैं येरूशलेम और उसकी मूर्तियों के साथ वही करूंगा

जैसा मैंने शमरिया और उसकी मूर्तियों के साथ किया था?’ ”

12तब अब ऐसा होगा जब प्रभु ज़ियोन पर्वत और येरूशलेम में अपना सब काम पूरा कर चुके होंगे, तब वे अश्शूर के राजा को उसके विचारों और घमंड को तोड़ देंगे. 13क्योंकि उनका यह मानना था:

“ ‘अपनी ही समझ और बल से राज्य की सीमाओं को मैंने हटाया

और उनके धन को लूट लिया.

14देश के लोगों की धन-संपत्ति इस प्रकार कब्जे में की,

जिस प्रकार चिड़िया घोंसलों को

और बचे हुए अण्डों को इकट्ठा करती है.’ ”

15क्या कुल्हाड़ी अपनी प्रशंसा करेगी,

या आरी स्वयं को जो उसे खींचता है अच्छा होने का दावा करेगी?

यह तो उसी प्रकार है जैसे लाठी उसे उठाए जो काठ है ही नहीं,

या मुगदर अपने प्रयोक्ता को चलाए!

16तब सर्वशक्तिमान याहवेह,

उनके बलवान योद्धाओं को कमजोर कर देंगे;

और उनके ऐश्वर्य के नीचे आग की

सी जलन होगी.

17इस्राएल की ज्योति आग

और पवित्र ज्वाला होगी;

और उसके झाड़ आग में जल जाएंगे.

18वे उसके वन और फलदायक उद्यान के वैभव को ऐसे नष्ट कर देंगे, जैसे एक रोगी की देह

और प्राण कमजोर होते हैं.

19उसके वन में शेष रह गए वृक्षों की संख्या इतनी अल्प हो जाएगी

कि कोई बालक भी इसकी गणना कर लेगा.

इस्राएल का शेषांश

20उस दिन इस्राएल के बचे हुए लोग,

और याकोब वंश के भागे हुए लोग,

अपने मारने वाले पर

फिर विश्वास नहीं करेंगे,

बल्कि याहवेह इस्राएल के पवित्र परमेश्वर पर भरोसा रखेंगे.

21याकोब में से बचे हुए लोग

पराक्रमी परमेश्वर के पास लौट आएंगे.

22क्योंकि हे इस्राएल, चाहे तुम्हारी प्रजा समुद्र के बालू के समान भी हो,

किंतु उनमें से कुछ ही बच पाएंगे.

लेकिन विनाश पूरे

न्याय के साथ होगा.

23क्योंकि विनाश करने का निर्णय

प्रभु, सेनाओं के याहवेह ने ले लिया है.

24इसलिये प्रभु, सेनाओं के याहवेह यों कहते हैं:

“हे ज़ियोन में रहनेवाले, अश्शूरियों से न डरना;

चाहे वे सोंटे से और लाठी से तुम्हें मारें.

25क्योंकि कुछ ही समय में तुम पर मेरा गुस्सा शांत हो जाएगा

और मैं उनको नाश कर दूंगा.”

26सर्वशक्तिमान याहवेह उनको चाबुक से ऐसा मारेंगे,

जैसा उन्होंने ओरेब की चट्टान पर मिदियान को मारा था.

उनकी लाठी समुद्र पर होगी और वे इसे ऐसे उठा लेंगे,

जैसे उन्होंने मिस्र में किया था.

27उस दिन उनका बोझ तुम्हारे कंधों से हट जाएगा,

और उनका जूआ तुम्हारी गर्दन से;

यह जूआ अभिषेक के साथ

तोड़ दिया जाएगा.

28उन्होंने अय्याथ पर हमला कर दिया है;

और वे मिगरोन में से होकर निकल गये हैं;

मिकमाश में उन्होंने अपने हथियार रखे हैं.

29वे घाटी पार करके,

“वे गेबा में रात रुकेंगे.”

रामाह डरा हुआ है;

शाऊल का गिबियाह भाग गया है.

30हे गल्लीम की पुत्री, ऊंचे स्वर में चिल्लाओ!

हे लयशाह के लोगों, सुनो!

हे अनाथोथ, ध्यान दो!

31मदमेनाह भाग गया है;

गीबाम के लोग जाने के लिये तैयार हैं.

32वे आज नोब में रुकेंगे;

वे ज़ियोन की पुत्री के पर्वत

अर्थात् येरूशलेम की पहाड़ी को,

अपनी ताकत दिखाएंगे.

33देखो, प्रभु, सर्वशक्तिमान याहवेह,

भयानक रूप से डालियों को काट डालेंगे.

और वे जो ऊंचे हैं,

नीचे किए जाएंगे.

34वे घने वन के झुरमुटों को काट डालेंगे;

और सर्वसामर्थ्यी परमेश्वर लबानोन को नाश कर देंगे.