मत्तियाह 24 – HCV & HHH

Hindi Contemporary Version

मत्तियाह 24:1-51

ज़ैतून पर्वत का प्रवचन

1येशु मंदिर से निकलकर जा रहे थे कि शिष्यों ने उनका ध्यान मंदिर परिसर की ओर आकर्षित किया. 2येशु ने उनसे कहा, “तुम यह मंदिर परिसर देख रहे हो? सच तो यह है कि एक दिन इन भवनों का एक भी पत्थर दूसरे पर रखा न दिखेगा—हर एक पत्थर ज़मीन पर बिखरा होगा.”

3येशु ज़ैतून पर्वत पर बैठे हुए थे. इस एकांत में उनके शिष्य उनके पास आए और उनसे यह प्रश्न किया, “गुरुवर, हमें यह बताइए कि ये घटनाएं कब घटित होंगी, आपके आने तथा जगत के अंत का चिह्न क्या होगा?”

4येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “इस विषय में सावधान रहना कि कोई तुम्हें भरमाने न पाए 5क्योंकि मेरे नाम में अनेक यह दावा करते आएंगे, ‘मैं ही मसीह हूं’ और इसके द्वारा अनेकों को भरमा देंगे. 6तुम युद्धों के विषय में तो सुनोगे ही साथ ही उनके विषय में उड़ते-उड़ते समाचार भी. ध्यान रहे कि तुम इससे घबरा न जाओ क्योंकि इनका होना अवश्य है—किंतु इसे ही अंत न समझ लेना. 7राष्ट्र-राष्ट्र के तथा, राज्य-राज्य के विरुद्ध उठ खड़ा होगा. हर जगह अकाल पड़ेंगे तथा भूकंप आएंगे, 8किंतु ये सब घटनाएं प्रसववेदना का प्रारंभ मात्र होंगी.

9“तब वे तुम्हें क्लेश देने के लिए पकड़वाएंगे और तुम्हारी हत्या कर देंगे क्योंकि मेरे कारण तुम सभी देशों की घृणा के पात्र बन जाओगे. 10इसी समय अनेक विश्वास से हट जाएंगे तथा त्याग देंगे, वे एक दूसरे से विश्वासघात करेंगे, वे एक दूसरे से घृणा करने लगेंगे. 11अनेक झूठे भविष्यवक्ता उठ खड़े होंगे. वे अनेकों को भरमा देंगे. 12अधर्म के बढ़ने के कारण अधिकांश का प्रेम ठंडा पड़ता जाएगा; 13किंतु उद्धार उसी का होगा, जो अंतिम क्षण तक विश्वास में स्थिर रहेगा. 14पूरे जगत में सारे राष्ट्रों के लिए प्रमाण के तौर पर राज्य के विषय में सुसमाचार का प्रचार किया जाएगा और तब जगत का अंत हो जाएगा.

15“इसलिये जब तुम उस विनाशकारी घृणित वस्तु को,24:15 दानि 9:27; 11:13; 12:11 जिसकी चर्चा भविष्यवक्ता दानिएल ने की थी, पवित्र स्थान में खड़ा देखो—पाठक ध्यान दे— 16तो वे, जो यहूदिया प्रदेश में हों पर्वतों पर भागकर जाएं, 17वह, जो घर की छत पर हो, घर में से सामान लेने नीचे न आए. 18वह, जो खेत में हो, अपना कपड़ा लेने पीछे न लौटे. 19दयनीय होगी गर्भवती और शिशुओं को दूध पिलाती स्त्रियों की स्थिति! 20प्रार्थनारत रहो, ऐसा न हो कि तुम्हें जाड़े या शब्बाथ पर भागना पड़े 21क्योंकि वह महाक्लेश का समय होगा—ऐसा, जो न तो सृष्टि के प्रारंभ से आज तक देखा गया, न ही इसके बाद दोबारा देखा जाएगा.

22“यदि यह आनेवाले दिन घटाए न जाते, कोई भी जीवित न रहता. कुछ चुने हुए विशेष लोगों के लिए यह अवधि घटा दी जाएगी. 23उस समय यदि कोई आकर तुम्हें सूचित करे, ‘सुनो-सुनो, मसीह यहां हैं!’ या, ‘वह वहां हैं!’ तो विश्वास न करना. 24क्योंकि अनेक झूठे मसीह तथा अनेक झूठे भविष्यवक्ता उठ खड़े होंगे. वे प्रभावशाली चमत्कार चिह्न दिखाएंगे तथा अद्भुत काम करेंगे कि यदि संभव हुआ तो परमेश्वर द्वारा चुने हुओं को भी भटका दें. 25ध्यान दो कि मैंने पहले ही तुम्हें इसकी चेतावनी दे दी है.

26“कि यदि वे तुम्हारे पास आकर यह कहें, ‘देखो, देखो; वह बंजर भूमि में हैं,’ तो उसे देखने चले न जाना; या यदि वे यह कहें, ‘आओ, देखो, वह कोठरी में हैं,’ तो उनका विश्वास न करना.” 27जैसे बिजली पूर्व दिशा से चमकती हुई पश्चिम दिशा तक चली जाती है, ठीक ऐसा ही होगा मनुष्य के पुत्र का आगमन. 28गिद्ध वहीं इकट्ठा होते हैं, जहां शव होता है.

29“उन दिनों के क्लेश के तुरंत बाद

“ ‘सूर्य अंधियारा हो जाएगा और

चंद्रमा का प्रकाश न रहेगा.

आकाश से तारे गिर जाएंगे.

आकाश की शक्तियां हिलायी जाएंगी.’24:29 यशा 13:10; 34:4

30“तब आकाश में मनुष्य के पुत्र का चिह्न प्रकट होगा. पृथ्वी के सभी गोत्र शोक से भर जाएंगे और वे मनुष्य के पुत्र को आकाश में बादलों पर सामर्थ्य और प्रताप के साथ आता हुआ देखेंगे.24:30 दानि 7:13-14 31मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को तुरही के ऊंचे शब्द के साथ भेजेगा, जो चारों दिशाओं से, आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक जाकर उनके चुने हुओं को इकट्ठा करेंगे.

32“अंजीर के पेड़ से शिक्षा लो: जब उसमें कोंपलें फूटने लगती हैं, पत्तियां निकलने लगती हैं तो तुम जान लेते हो कि गर्मी का समय पास है. 33इसी प्रकार तुम जब भी इन सभी घटनाओं को होते देखो तो समझ लेना कि वह पास हैं—परंतु द्वार पर ही हैं. 34सच्चाई तो यह है कि इन घटनाओं के हुए बिना इस युग का अंत नहीं होगा. 35आकाश तथा पृथ्वी खत्म हो जाएंगे किंतु मेरे कहे हुए शब्द कभी नहीं.

दिन और समय से अनजान

36“वैसे उस दिन तथा उस समय के विषय में किसी को भी मालूम नहीं है—न स्वर्ग के दूतों को और न ही पुत्र को—परंतु मात्र पिता को ही यह मालूम है.24:36 36 कुछ पाण्डुलिपियों मूल हस्तलेखों में और न ही पुत्र शब्द नहीं पाए जाते.

37“ठीक नोहा के दिनों जैसा होगा मनुष्य के पुत्र का आगमन: 38जल-बाढ़ के पहले उन दिनों में लोग तब तक खाते-पीते रहे और उनमें विवाह होते रहे जब तक नोहा ने जहाज़ में प्रवेश न किया. 39लोग तब तक कुछ न समझे जब तक बाढ़ ने आकर उन्हें डुबो न दिया. ऐसा ही होगा मनुष्य के पुत्र का आगमन. 40उस समय दो व्यक्ति खेत में कार्य कर रहे होंगे; एक उठा लिया जाएगा, दूसरा रह जाएगा. 41दो स्त्रियां चक्की पर अनाज पीस रही होंगी; एक उठा ली जाएगी, दूसरी रह जाएगी.

42“इसलिये हमेशा सावधान रहो क्योंकि तुम यह नहीं जानते कि तुम्हारे प्रभु का आगमन किस दिन होगा. 43याद रखो कि यदि घर के स्वामी को यह पता हो कि चोर रात में किस समय आएगा तो वह सावधान हो जाएगा तथा घर में सेंध लगने न देगा. 44तुम्हारा भी इसी प्रकार सावधान रहना ज़रूरी है क्योंकि मनुष्य के पुत्र का आगमन ऐसे समय पर होगा जिसकी तुम कल्पना तक नहीं कर सकते.

45“कौन है वह विश्वासयोग्य और समझदार सेवक, जिसे घर का मालिक अपने परिवार की ज़िम्मेदारी सौंप दे कि वह समय के अनुसार सबके लिए भोजन-व्यवस्था करे? 46धन्य है वह सेवक, जिसे घर का स्वामी लौटने पर यही करते हुए पाए. 47सच्चाई तो यह है कि घर का स्वामी उस सेवक के हाथों में अपनी सारी संपत्ति की ज़िम्मेदारी सौंप देगा. 48किंतु यदि वह सेवक बुरा हो और अपने मन में यह विचार करने लगे: ‘स्वामी के लौटने में तो बड़ी देरी हो रही है’ 49और वह सहसेवकों के साथ मार-पीट आरंभ कर दे, पियक्कड़ों की संगति में जाकर खाए-पिए और 50उसका स्वामी एक ऐसे दिन लौटेगा, जिसकी उसने कल्पना ही न की थी और एक ऐसे क्षण में, जिसके विषय में उसे मालूम ही न था, 51तो स्वामी उसके टुकड़े-टुकड़े कर24:51 टुकड़े-टुकड़े कर अलंकारिक रूप से सबसे बड़ी सजा उसकी गिनती कपट करनेवालों में कर देगा जहां हमेशा रोना तथा दांत पीसना होता रहेगा.

Habrit Hakhadasha/Haderekh

הבשורה על-פי מתי 24:1-51

1כשיצא ישוע מבית־המקדש, באו אליו תלמידיו להראות לו את מבני המקדש.

2אולם ישוע אמר להם: ”כל המבנים האלה ייהרסו ואף אבן לא תישאר במקומה.“ 3מאוחר יותר, כשישב ישוע על מדרון הר הזיתים, שאלו אותו התלמידים: ”מתי יקרה הדבר הזה? אילו מאורעות יסמנו את שובך ואת סוף העולם?“

4”אל תניחו לאיש לרמות אתכם“, השיב להם ישוע, 5”כי אנשים רבים יבואו ויטענו כל אחד ’אני המשיח‘, ויטעו אנשים רבים. 6כאשר תשמעו על מהומות ומלחמות – אל תיבהלו. אמנם תפרוצנה מלחמות ותתחוללנה מהומות, אבל הקץ לא יבוא מיד. 7מדינות וממלכות תילחמנה זו בזו, ובמקומות רבים יהיו רעידות אדמה ורעב. 8אולם כל אלה יציינו רק את ראשית הצרות והסבל העתידים לבוא.

9”לאחר מכן יענו אתכם, יהרגו אתכם והעולם כולו ישנא אתכם, משום שאתם שייכים לי. 10רבים ישובו לחטוא, יבגדו זה בזה וישנאו איש את אחיו. 11נביאי שקר רבים יופיעו ויוליכו שולל אנשים רבים. 12החטא והרשע יתפשטו בכל מקום וידכאו את אהבתם של רבים. 13אולם אלה שיחזיקו מעמד עד הסוף יינצלו.

14”הבשורה הטובה על דבר המלכות תתפשט בעולם כולו – כך שכל האומות תשמענה אותה – ולבסוף יגיע הקץ.

15”לכן, כאשר תראו בבית־המקדש את חילול הקודש, שעליו דיבר דניאל הנביא24‏.15 כד 15 דניאל ט 27; יא 31 (הקורא – שים לב!) 16על כל תושבי יהודה לברוח להרים. 17אלה שעל הגגות – שלא ייכנסו הביתה לארוז את חפציהם. 18אלה שבשדה – שלא יחזרו הביתה לקחת את בגדיהם.

19”אוי לנשים ההרות ולמניקות באותם ימים! 20התפללו שבריחתכם לא תהיה בחורף ולא בשבת. 21כי תהיה צרה שכמוה טרם הייתה בתולדות העולם, וכמוה לא תהיה עוד!

22”למעשה אם אלוהים לא יקצר את הימים הנוראים האלה, כולם יאבדו. אולם אלוהים יקצר ימים אלה למען עמו הנבחר.

23”אם מישהו יאמר לכם באותם ימים: ’ראיתי את המשיח במקום פלוני!‘ או ’המשיח נמצא בכפר הסמוך!‘ אל תאמינו לו. 24כי משיחי־שקר ונביאי־שקר יקומו ויחוללו נסים ונפלאות אשר יתעו את האנשים, ואם יוכלו, הם יתעו אפילו את הנבחרים. 25זיכרו, הזהרתי אתכם!

26”על כן, אם יאמרו לכם שהמשיח אי־שם במדבר – אל תטריחו את עצמכם ללכת ולראות, ואם יאמרו לכם שהמשיח מסתתר במקום כלשהו – אל תאמינו. 27כי כשם שהברק במזרח מאיר למערב, כך יהיה גם שובו של בן־האדם. 28במקום שבו נמצא הפגר, שם יתאספו הנשרים.

29”מיד לאחר הצרות של אותם ימים תחשך השמש, הירח ישחיר, הכוכבים יפלו מהשמים וכוחות השמים יתמוטטו.

30”לבסוף ייראה בשמים אות בן־האדם ואבל כבד ירד על העולם כולו. כל אומות העולם יראו את בן־האדם בא על ענני השמים, בגבורה ובכבוד רב. 31ואז הוא ישלח את מלאכיו בקול תרועת השופר, והם יאספו את בחיריו מכל קצוות תבל.

32”עץ התאנה ישמש לכם כדוגמה: כאשר הענפים מלבלבים והעלים ירוקים, אתם יודעים שהקיץ קרב. 33כאשר כל מה שסיפרתי לכם יתחיל להתרחש, דעו לכם שזה קרוב, שאני עומד בפתח. 34אני אומר לכם: כל הדברים האלה יתרחשו לפני שיחלוף הדור הזה. 35השמים והארץ יחלפו, אבל דברי לא יחלפו.

36”איש אינו יודע את היום והשעה של התרחשויות אלה; המלאכים בשמים אינם יודעים זאת, ואפילו אני עצמי איני יודע את המועד המדויק. רק אבי שבשמים יודע זאת.

37”כימי נוח כן יהיה באו של בן־האדם. 38בני־האדם חיו בשלווה; הם אכלו, שתו והתחתנו לפני שפתאום בא המבול. 39בני־האדם סרבו להאמין לשמע מה שעמד לקרות, עד שהמבול אכן בא והטביע את כולם. כך יהיה בואי.

40”באותה עת שני גברים יעבדו יחד בשדה – האחד יילקח והשני יישאר. 41שתי נשים יטחנו בָּרֵחָיִם – אחת תילקח והשנייה תישאר.

42”לכן היו מוכנים, כי אינכם יודעים באיזה יום יבוא אדונכם.

43”אילו ידעו את השעה, היו כולם מתכוננים לבואו, כשם שהיו מתכוננים לבואו של גנב אילו ידעו מתי יבוא. 44כך גם אתם היו מוכנים תמיד, כי בן־האדם יבוא בשעה בלתי צפויה. 45מי מכם משרת נבון ונאמן לאדונכם, שיפקח על משק ביתו ויקבל את שכרו בעתו? 46ברוך תהיה אם בשובי אמצא אותך ממלא את תפקידך בנאמנות. 47אנשים נאמנים כאלה אני אפקיד על כל רכושי.

48”אולם אם אתה רשע ותאמר לעצמך: ’אה, האדון לא ישוב כל כך מהר‘, – 49ותתאכזר ליתר העבדים ותבלה את זמנך במסיבות, בזלילה ובשתייה – 50אדונך יופיע בשעה בלתי צפויה, 51ואז הוא יכה אותך קשות ויקבע את מקומך עם הצבועים; שם יהיה בכי וחריקת שיניים.“