नेहेमियाह 9 – HCV & JCB

Hindi Contemporary Version

नेहेमियाह 9:1-38

इस्राएलियों द्वारा पाप अंगीकार

1इसी महीने की चौबीसवीं तारीख पर इस्राएली इकट्ठा हुए. वे उपवास कर रहे थे, वे टाट पहने हुए थे और उन्होंने अपने-अपने सिरों पर धूल भी डाल ली थी. 2इस्राएलियों ने अपने आपको सभी परदेशियों से अलग कर लिया था, वे खड़े हो गए और उन्होंने वहां अपने पाप और अपने पूर्वजों के पापों को भी अंगीकार किया. 3जब वे अपनी-अपनी जगह पर ही खड़े थे, वे छः घंटे याहवेह, अपने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक को पढ़ते रहे और बाकी छः घंटे वे याहवेह, अपने परमेश्वर के सामने पाप अंगीकार और उनकी स्तुति करते रहे. 4इसके बाद येशुआ, बानी, कदमिएल, शेबानियाह, बुन्‍नी, शेरेबियाह, बानी और केनानी लेवियों के लिए ठहराई गई चौकी पर खड़े हो गए और ऊंची आवाज में याहवेह, अपने परमेश्वर की दोहाई दी. 5इसके बाद लेवियों, येशुआ, कदमिएल, बानी, हशबनेइयाह, शेरेबियाह, होदियाह, शेबानियाह और पेथाइयाह ने भीड़ को आज्ञा दी: “उठो, याहवेह, अपने परमेश्वर की हमेशा स्तुति करते रहो!”

“आपका महिमामय नाम धन्य कहा जाए और यह सारी प्रशंसा और स्तुति से ऊपर ही बनी रहे! 6वह याहवेह तो सिर्फ आप ही हैं. आकाशमंडल के बनानेवाले आप ही हैं. आकाशमंडल और सारे नक्षत्र, यह पृथ्वी और उस पर की सारी वस्तुएं, सागर और उनमें की सारी वस्तुएं, आपने उन सबको जीवन दिया है. आकाश की शक्तियां आपके सामने झुककर आपको दंडवत करती हैं.

7“आप ही वह याहवेह परमेश्वर हैं जिन्होंने अब्राम को चुना और उन्हें कसदियों के ऊर में से निकाला और उन्हें वह नाम अब्राहाम दिया. 8आपने यह जान लिया था कि उनका हृदय आपके प्रति विश्वासयोग्य है. इसलिये आपने उनके साथ वाचा बांधी कि आप उन्हें कनानियों, हित्तियों, अमोरियों, परिज्ज़ियों, यबूसियों गिर्गाशियों का देश उनके वंशजों को देंगे. आपने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की, क्योंकि आप धर्मी परमेश्वर हैं.

9“मिस्र में हमारे पूर्वजों का दुःख आपने देखा था, लाल सागर तट पर आपने उनकी विनती सुन ली. 10तब आपने फ़रोह के विरोध में चिन्ह और अद्भुत चमत्कार दिखाए. यह सब आपने फ़रोह के सेवकों और मिस्र देश की प्रजा के विरुद्ध किया, क्योंकि आप यह देख रहे थे, कि वे यह सब हमारे पूर्वजों के विरुद्ध कर रहे थे. ऐसा करके आपने अपने लिए बड़ा नाम किया है, जो आज तक बना है. 11आपने उनके सामने सागर को दो भाग कर दिया. वे सागर के बीच में से सूखी ज़मीन पर चलते हुए चले गए. जो उनका पीछा कर रहे थे, आपने उन्हें गहराइयों में ऐसा ड़ाल दिया जैसे उफ़नते हुए समुद्र में पत्थर डाला जाए. 12दिन में आप उनका मार्गदर्शन बादल के खंभे से और रात में आग के खंभे से करते थे, कि जिस मार्ग पर उन्हें चलना था उस पर उजाला बना रहे.

13“तब आपने सीनायी पहाड़ पर उतरकर स्वर्ग से उनसे बातें की; आपने उनके लिए सच्ची व्यवस्था और अच्छी आज्ञाएं दी, आदर्श व्यवस्था और आज्ञा. 14आपने उन्हें अपने पवित्र शब्बाथ9:14 शब्बाथ सातवां दिन जो विश्राम का पवित्र दिन है के बारे में बताया, आपने उनकी भलाई में अपने सेवक मोशेह के द्वारा आज्ञाएं, विधियां और व्यवस्था दीं. 15आपने उनकी भूख मिटाने के लिए स्वर्ग से भोजन दिया, उनकी प्यास बुझाने के लिए चट्टान से पानी निकाला. आपने उन्हें आज्ञा दी कि उस देश में प्रवेश कर उस पर अधिकार करें, जिसे देने की आपने उनसे प्रतिज्ञा की थी.

16“मगर उन्होंने, हमारे पूर्वजों ने घमण्ड़ किया; वे हठीले बन गए और उन्होंने आपके आदेशों को न माना. 17उन्होंने आपकी आवाज को सुनना ही न चाहा. उन्होंने आपके द्वारा किए गए अद्भुत चमत्कारों को भुला दिया, जो आपने उनके बीच में किए थे; इसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने मिस्र की बंधुआई में लौट जाने के लक्ष्य से अपने लिए एक प्रधान चुन लिया. किंतु आप क्षमा करनेवाले परमेश्वर हैं, अनुग्रहकारी और दयालु, क्रोध करने में धीमे और प्रेम करने में अपार. आपने उन्हें अकेला न छोड़ा. 18उस मौके पर भी नहीं, जब उन्होंने अपने लिए बछड़े की मूर्ति बनायी थी और यह घोषित कर दिया था: ‘यही है तुम्हारा परमेश्वर, जिसने तुम्हें मिस्र से निकाला है,’ इस प्रकार उन्होंने परमेश्वर का बहुत अपमान किया.

19“अपनी अद्भुत दया में आपने उन्हें बंजर भूमि में अकेला न छोड़ा; दिन में न तो बादल के खंभे ने उनका साथ छोड़ा कि उन्हें मार्गदर्शन मिलता रहे, न ही रात में उस आग के खंभे ने, कि उनके रास्ते में उजाला रहे, जिस पर उन्हें आगे बढ़ना था. 20आपने अपना भला आत्मा उनके लिए दे दिया, कि वह उन्हें समझाते जाएं. आपने उन्हें मन्‍ना खिलाना न छोड़ा और उनकी प्यास बुझाने के लिए पानी हमेशा बना रहा. 21सच तो यह है, कि बंजर भूमि में आप उनकी आवश्यकताओं को पूरा करते रहें, उन्हें किसी प्रकार की कोई कमी न हुई; न उनके कपड़े ही फटे और न ही उनके पैरों में सूजन आई.

22“आपने राज्य और लोग उनके वश में कर दिए और उन्हें क्षेत्र का हर एक कोना भी दे दिया. उन्होंने हेशबोन के राजा सीहोन के देश पर अधिकार कर लिया और बाशान के राजा ओग के देश पर भी. 23आपने उनके वंशजों की गिनती आकाश के तारों के समान अनगिनत कर दी और उन्हें उस देश में ले आए, जिसमें प्रवेश कर उस पर अधिकार कर लेने का आदेश आपने उनके पूर्वजों को दिया था. 24तब उनके वंशजों ने उस देश में प्रवेश किया और उस पर अधिकार कर लिया. आपने ही उनके सामने से उस देश के निवासी कनानियों को उनके अधीन कर दिया. उस देश के राजा और प्रजा को आपने उनके हाथ में दे दिया, कि वे उनके साथ अपनी इच्छा अनुसार व्यवहार करें. 25उन्होंने गढ़ नगरों और उपजाऊ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया. उन्होंने उन सभी घरों को अपने अधिकार में कर लिया, जिनमें सब प्रकार के अच्छे-अच्छे सामान भरे हुए थे: चट्टानों में खोदा गया हौद, अंगूर के बगीचे, ज़ैतून के बगीचे और बहुल फलदाई पेड़. वे उनको खाते थे, वे तृप्‍त हुए, वे अच्छी तरह से पोषित होते चले गए और आपकी बड़ी भलाई के प्रति वे खुशी मनाते रहे.

26“फिर भी वे आपसे फिर गए और उन्होंने आपसे विद्रोह किया. उन्होंने तो आपकी व्यवस्था को अपने पीठ पीछे फेंक दिया, वे उन भविष्यवक्ताओं का वध कर देते थे, जो उन्हें इस उद्देश्य से चेतावनी और झिड़कियां देते थे, कि वे आपकी ओर लौट जाएं, वे परमेश्वर की घोर निन्दाएं करते चले गए. 27यही कारण था कि आपने उन्हें उनके सतानेवालों के अधीन कर दिया, जो उन्हें सताते रहे; मगर जब अपने दुःख के समय में उन्होंने आपकी दोहाई दी, आपने अपनी बड़ी करुणा के अनुसार स्वर्ग से उनकी सुन ली, आपने उनके लिए छुड़ानेवाले भी भेजे.

28“मगर जैसे ही उन्हें यह छुटकारा मिलता था, वे आपके सामने दोबारा बुराई करने लगते थे; फलस्वरूप आपने उन्हें उनके शत्रुओं के अधीन कर दिया कि वे उन पर शासन करें. जब उन्होंने आपकी दोहाई दी, आपने स्वर्ग से उनकी सुन ली. बहुत बार आपने अपनी करुणा के अनुसार उन्हें छुड़ाया.

29“उन्हें अपनी व्यवस्था की ओर फेरने के उद्देश्य से आप उन्हें चेतावनी पर चेतावनी देते रहें. मगर वे अपने हठ में ही अड़े रहें, आपके आदेशों को न मानते थे और आपके नियमों के विरुद्ध पाप करते रहें, जिनका पालन करने में ही मानव का जीवन है. अपने हठ में वे आपकी आज्ञा को ठुकराते चले गए. 30फिर भी, सालों तक आप उनकी सहते रहे. आप उन्हें अपनी आत्मा के द्वारा अपने भविष्यवक्ताओं के माध्यम से चेतावनी देते रहे; मगर तब भी उन्होंने आपकी न सुनी. इसलिये आपने उन्हें उन देशों के निवासियों के अधीन कर दिया. 31फिर भी, अपनी अपार दया में आपने उन्हें मिटा नहीं दिया और न ही उन्हें अकेला छोड़ दिया; क्योंकि आप दयालु और अनुग्रहकारी परमेश्वर हैं.

32“इसलिये, हमारे परमेश्वर, आप जो महान, सर्वशक्तिमान और भय-योग्य हैं, जो अपनी वाचा को स्थिर रखते हैं, जो करुणा से भरपूर हैं, आपकी नज़रों में हमारी सारी कठिनाइयां छोटी न जानी जाएं. वे सभी कठिनाइयां हम पर, हमारे राजाओं पर, हमारे शासकों पर, हमारे पुरोहितों पर, हमारे भविष्यवक्ताओं पर, हमारे पूर्वजों पर और आपके सभी लोगों पर अश्शूर के राजाओं के समय से आज तक आती रही हैं. 33फिर भी, जो कुछ आपने हम पर भेजा है, उसमें आप न्यायी ही हैं; क्योंकि आपका व्यवहार विश्वासयोग्य था, मगर हमने ही दुष्टता की है. 34क्योंकि हमारे राजाओं ने, हमारे पुरोहितों ने और हमारे पूर्वजों ने आपकी व्यवस्था का पालन नहीं किया और न ही उन्होंने आपके आदेशों की ओर ध्यान दिया है, न आपकी चेतावनियों पर. 35वह राज्य, जो आपने उन्हें अपनी भलाई में दिया था, वह देश, जो विशाल और फलवंत देश था, जो उन्हें आपकी दी हुई भेंट थी, उसमें उन्होंने न तो आपकी सेवा की और न ही अपने बुरे कामों से दूर हुए.

36“देख लीजिए: हम आज भी दास ही हैं. हम उसी देश में दास होकर रह रहे हैं, जिसे आपने हमारे पूर्वजों को यह कहते हुए दिया था: ‘इसकी अच्छी उपज को खाओ!’ 37इसकी उपज अब उन राजाओं की होकर रह गई है, जिन्हें आपने ही हमारे पापों के कारण हम पर अधिकारी बना दिया है. वे तो हमारे शरीर और हमारे पशुओं तक पर अपनी इच्छा के अनुसार कर रहे हैं. इसके कारण हम बहुत दर्द में पड़े हैं.

नई वाचा का आना

38“यह सब देख हम अब एक वाचा लिखकर बना रहे हैं; इस पर हमारे नायकों, लेवियों और पुरोहितों के नाम की मोहर भी लगा देते हैं.”

Japanese Contemporary Bible

ネヘミヤ 記 9:1-38

9

罪を告白する人々

1-2その月の二十四日になると、人々は別の儀式のために集まりました。この日は、断食をし、荒布をまとい、頭に土をかぶることになっていました。そして、イスラエル人はすべての外国人と関係を断ちました。 3律法が二、三時間朗読され、その後、数時間にわたって、人々は自分の罪と先祖の罪を告白し、彼らの神、主を礼拝しました。 4レビ人の中には、台の上に立ち、喜びの歌を歌って主をたたえる者もいました。ヨシュア、バニ、カデミエル、シェバヌヤ、ブニ、シェレベヤ、バニ、ケナニの面々でした。

5次いで、レビ人の指導者たちは、大声を張り上げてこう語りかけました。「さあ立って、あなたがたの神、主をほめたたえなさい。主は、永遠から永遠まで生きておられるお方だからです。その輝かしいお名前をたたえなさい。主のお名前は、私たちには考えることもできないほど、ことばでは表せないほど偉大なのです。」こう叫んだのは、ヨシュア、カデミエル、バニ、ハシャブネヤ、シェレベヤ、ホディヤ、シェバヌヤ、ペタヘヤでした。

6エズラは声を出して祈りをささげました。「ただおひとりの神様。神様は天と地と海、そして、その中に存在するすべてのものをお造りになり、すべてのものを支えておられます。天の御使いたちもみな、ひれ伏しています。 7あなたは、アブラムを選んで、カルデヤのウルから連れ出し、アブラハムと命名なさいました。 8さらに、この忠実なアブラハムと契約を結び、子々孫々に至るまで、カナン人、ヘテ人、エモリ人、ペリジ人、エブス人、ギルガシ人の地を与えるとお約束なさいました。そして、今、そのお約束は現実となっているのです。神様はご自分のことばを裏切るようなことはなさいません。

9あなたは、かつて私たちの先祖がエジプトでなめた苦しみ悲しみを見過ごしにはならず、紅海のほとりで泣き叫ぶ声を聞き届けてくださいました。 10神様は、エジプトの王とその国民の前で、奇跡を起こされました。エジプト人が彼らをどれほど過酷に扱っていたか、ご存じだったからです。この決して忘れることのできない出来事によって、神様の輝かしい名声はとどろきました。 11神様はご自分の民のために海を分断し、彼らが乾いた地を渡ることができるようにしてくださいました。そして、敵を海の深みでおぼれさせました。激しい流れに投げ込まれた石のように、彼らは沈みました。 12そしてあなたは、人々が道を迷わないように、昼は雲の柱、夜は火の柱を立ち上らせて導いてくださったのです。

13また、天からシナイ山に下り、良いおきてとまことの律法をお示しくださいました。 14そこには、聖なる安息日についての教えもありました。あなたは、それらを完全に守りなさいと、しもべモーセによってお命じになったのです。 15人々が飢えたときには、天からパンを降らせ、のどが渇いたときには、岩から水をほとばしらせてくださいました。それから、約束の地に進入し、征服しなさいとお命じになりました。

16しかし私たちの先祖は高慢で、頑固で、神様の戒めに耳を傾けようとはしませんでした。 17彼らは反抗的で、あなたが起こしてくださった奇跡を何とも思いませんでした。それどころか、神様に刃向かい、指導者を立てて、エジプトの奴隷の身に戻ろうなどと言い始めるしまつでした。しかし、あなたは赦してくださる神です。いつも人々を赦そうとしてくださり、恵みに富み、思いやり深く、すぐにお怒りになることのないお方です。あなたは私たちの先祖をお見捨てにはなりませんでした。 18彼らが子牛の偶像を造って神にまつり上げ、エジプトから連れ出してくれたのはこの神だと言い出した時もそうでした。罪に罪を重ねた彼らなのに、 19あなたは彼らを深い思いやりで包んで、荒野で見殺しにすることはなさいませんでした。毎日、昼も夜も、雲の柱と火の柱で道を示してくださいました。 20また、恵み深い霊を送って彼らを教え導き、天からはマナ(神が天から降らせたパンのような食物)を、のどが渇いたときには水を、与え続けてくださいました。 21そのおかげで、四十年にわたる間、私たちの先祖は荒野で支えられ、欠乏することがなかったのです。衣服もすり切れず、足も腫れませんでした。

22あなたの助けにより、私たちの先祖は、強大な王国をはじめとする国々を次々と征服し、足を踏み入れました。ヘシュボンの王シホンや、バシャンの王オグの国をも、完全に手中に収めました。 23神様はイスラエル人の人口を爆発的に増やし、私たちの先祖を約束してくださった国へと導かれました。 24彼らの前に、すべての国々は勢いを失い、カナンの王や国民でさえ屈服しました。 25神の民は、城壁に囲まれた町々と肥沃な土地を占領し、すばらしい物であふれる家々を攻め取り、掘り井戸、ぶどう園、オリーブ園、果樹もたくさん手に入れました。彼らは満腹するまで食べ、あなたの恵みを楽しむことができました。

26ところが、これほどまでにしていただきながら、人々は不従順になり、あなたに反逆したのです。律法を放り出し、神に立ち返るよう語った預言者を殺すなど、数々の恐るべきことを行いました。 27それで、あなたは彼らを敵の手にお渡しになったのです。しかし、苦しみの中で叫び求める彼らの声を天から聞いて、かわいそうに思い、助け手を送って救い出してくださいました。 28しかし、事態が好転すると、人々はすぐにまた罪に陥り、あなたは彼らを再び敵の手にお渡しになったのです。彼らがそのたびに反省して助けを叫び求めると、天からそれを聞き、再び手を差し伸べてくださいました。全く驚くべきあわれみです。 29あなたは彼らを罰することによって、律法に従う者となるよう導いておられたのに、彼らは従うべき教えを高慢にも鼻であしらい、罪を犯し続けました。 30あなたは長年にわたり、忍耐の限りを尽くし、預言者を遣わして警告をお与えになりました。しかし、いつまでたっても、彼らは耳を傾けませんでした。そこであなたは、もう一度、彼らを異教の国の手中に落とされたのです。 31けれども、あなたは彼らを滅ぼし尽くすことはせず、永遠に見捨てることもなさいませんでした。ああ、あなたはなんと恵みに富んだ、あわれみ深いお方でしょう。

32大いなる、恐るべき神様。あなたは愛と思いやりに満ち、約束をお守りになる方です。私たちが経験してきたすべての困難が、全く無駄だったというようなことになりませんように。アッシリヤの王に初めて征服されてから今日まで、私たちや王、諸侯、祭司、預言者など、私たちの先祖の経験してきた困難は大きなものでした。 33いつでも、あなたは私たちを正しく罰しました。犯した罪の深さからすれば当然の罰です。 34王、諸侯、祭司、私たちの先祖はあなたの律法を無視し、警告に耳を貸そうともしなかったのです。 35神様はどれほど素晴らしいことをしてくださり、どれほど深い恵みを注いでくださったことでしょう。しかし彼らは、神様を礼拝しようとしませんでした。広大で肥沃な国土を与えられたにもかかわらず、悪の道から離れようとしなかったのです。 36私たちは今、私たちの先祖に与えられたこの豊かな国で奴隷となっています。こんなに豊かな土地で奴隷となっているのです。 37あり余る産物は、この地の王のものです。罪を重ねた私たちは征服され、王たちの手に落ちたのです。私たちも家畜も彼らの意のままに支配されています。

38これらすべてのことを顧み、もう一度、主にお仕えすることを約束します。諸侯、レビ人、祭司たちとともに、この誓約書に署名いたします。」