नेहेमियाह 13 – HCV & NASV

Hindi Contemporary Version

नेहेमियाह 13:1-31

नेहेमियाह का अंतिम सुधार

1उस दिन सभा के लिए मोशेह की पुस्तक ऊंची आवाज में पढ़ी गई. इस पुस्तक में यह लिखा हुआ पाया गया कि परमेश्वर की सभा में न तो किसी अम्मोनी के और न किसी मोआबी के प्रवेश की आज्ञा है, 2क्योंकि उन्होंने इस्राएल के लिए भोजन और पानी का इंतजाम करने की बजाय उन पर शाप देने के लक्ष्य से बिलआम को पैसे दिए थे. मगर हमारे परमेश्वर ने शाप को आशीर्वाद में बदल दिया. 3इसलिये जब उन्होंने उस व्यवस्था को सुना, उन्होंने सभी विदेशियों को इस्राएल में से बाहर कर दिया.

4इसके पहले, पुरोहित एलियाशिब, जिसे हमारे परमेश्वर के भवन के कमरों का अधिकारी चुना गया था, वास्तव में तोबियाह का रिश्तेदार था. 5उसने तोबियाह के लिए एक बड़े कमरे को बना रखा था, जहां इसके पहले अन्‍नबलि, लोबान, तरह-तरह के बर्तन और लेवियों, गायकों, द्वारपालों और पुरोहितों के लिए इकट्ठा दानों के ठहराए गए अन्‍न, अंगूर के रस और तेल का दसवां भाग जमा किया जाता था.

6मगर ऐसा हुआ कि इस समय में मैं येरूशलेम में था ही नहीं, क्योंकि बाबेल के राजा, अर्तहषस्ता के समय के बत्तीसवें साल में मैं राजा से मिलने गया हुआ था, मगर यहां कुछ समय रहने के बाद मैंने राजा की आज्ञा ली 7और येरूशलेम आ गया. मुझे उस बुराई के बारे में पता चला, जो एलियाशिब ने तोबियाह के लिए किया—उसने परमेश्वर के भवन के आंगन में तोबियाह के लिए एक कमरा तैयार किया था. 8इससे मैं बहुत नाराज़ हुआ; तब मैंने तोबियाह का सारा सामान उस कमरे के बाहर फेंक दिया. 9तब मेरे आदेश पर वे कमरे शुद्ध किए गए. मैंने परमेश्वर के भवन के बर्तन, अन्‍नबलि और लोबान दोबारा उस कमरे में रखाव दिए.

10तब मुझे यह भी पता चला कि लेवियों के लिए ठहराया हुआ भाग उन्हें दिया ही नहीं गया था, फलस्वरूप तरह-तरह की सेवाओं के लिए चुने गए लेवी और गायक सेवा का काम छोड़कर जा चुके थे-अपने-अपने खेतों में खेती करने. 11इसलिये मैंने अधिकारियों को फटकार लगाई, “परमेश्वर का भवन क्यों छोड़ दिया गया है?” तब मैंने उन सबको वापस बुलाकर उन्हें सेवा के काम पर दोबारा नियुक्त कर दिया.

12तब सारे यहूदिया के लोगों ने भंडार में अनाज, अंगूर का रस और तेल का दसवां भाग रखवा दिया. 13तब मैंने पुरोहित शेलेमियाह को, शासक सादोक को और लेवियों में से पेदाइयाह को भंडारों का अधिकारी ठहरा दिया. उनके अलावा मैंने, मत्तनियाह के पोते ज़क्‍कूर के पुत्र हनान को चुना, क्योंकि ये सभी विश्वासयोग्य पाए गए. इनकी जवाबदारी थी अपने रिश्तेदारों में सामग्री बांटना.

14मेरे परमेश्वर, इस काम के लिए आप मुझे याद रखें. सच्चाई से किए गए मेरे कामों को, जो मैंने परमेश्वर के भवन और इसकी सेवा में किए हैं, आप मिटा न दीजिए.

15उन्हीं दिनों में मेरे सामने यह भी आया कि यहूदिया में कुछ व्यक्ति ऐसे थे, जो शब्बाथ पर अंगूर रौंद रहे थे, कुछ अनाज के बोरे नगर में ला रहे थे, कुछ इन्हें गधों पर लाद रहे थे, सभी प्रकार का सामान शब्बाथ पर येरूशलेम में लाया जा रहा था, वैसे ही अंगूर का रस, अंगूर, अंजीर और सभी प्रकार के बोझ. इसलिये मैंने शब्बाथ पर भोजन बेचने पर उन्हें डांटा. 16येरूशलेम में कुछ सोरवासी भी रहने लगे थे, जो मछली और सब प्रकार का बिकने वाला सामान वहां से बिक्री कर रहे थे. वे यह सब यहूदाह के वंशजों को शब्बाथ पर बेच रहे थे; हां, येरूशलेम ही में! 17तब मैंने यहूदिया के रईसों को फटकार लगाई. मैंने उनसे कहा, “आप लोग शब्बाथ को अपवित्र कर यह कैसी बुराई कर रहे हैं? 18क्या आपके पूर्वजों ने यह नहीं किया था, जिसके फलस्वरूप हमारे परमेश्वर ने हम पर और इस नगर पर यह सारी विपत्ति ड़ाल दी है? यह होने पर भी आप लोग शब्बाथ को अपवित्र करके इस्राएल पर परमेश्वर के क्रोध को बढ़ा रहे हैं.”

19तब यह हुआ कि शब्बाथ शुरू होने के ठीक पहले, जब येरूशलेम के फाटकों पर अंधेरा छा ही रहा था, मैंने आदेश दिया कि फाटक बंद कर दिए जाएं और वे शब्बाथ खत्म होने के पहले बिलकुल न खोले जाएं. इसके बाद मैंने अपने ही कुछ सेवकों को फाटकों पर ठहरा दिया कि शब्बाथ पर किसी भी बोझ को अंदर न आने दिया जाए. 20एक या दो मौके ही ऐसे गए होंगे, जब विभिन्‍न प्रकार के व्यापारियों और बेचने वालों ने येरूशलेम के बाहर रात बिताई थी. 21तब मैंने उन्हें इस प्रकार चेतावनी दी, “क्यों आप लोग शहरपनाह के पास रात बिताते हैं? यदि आप दोबारा यह करते पाए जाएंगे, तो मुझे आप पर ताकत का इस्तेमाल करना पड़ेगा.” इस चेतावनी के बाद वे शब्बाथ पर येरूशलेम कभी नहीं आए. 22तब मैंने लेवियों को आदेश दिया कि शब्बाथ को पवित्र करने के उद्देश्य से वे अपने आपको शुद्ध कर द्वारपाल के समान आया करें.

मेरे परमेश्वर, इस भले काम के लिए भी आप मुझे याद रखिए और अपनी बड़ी करुणा के अनुसार मुझ पर अपनी दया हमेशा बनाए रखिए.

23उन्हीं दिनों में मेरा ध्यान इस सच्चाई की ओर भी गया, कि यहूदियों ने अशदोद, अम्मोन और मोआब की स्त्रियों से विवाह किया हुआ था. 24उनकी संतान के विषय में सच्चाई यह है कि उनकी संतान के आधे लोग अशदोद की भाषा बोलते है, उनमें से कोई भी यहूदिया की भाषा में बातचीत कर ही नहीं सकता, बल्कि वे सिर्फ अपने ही लोगों की भाषा का इस्तेमाल करते हैं. 25इसलिये मैंने उनसे बहस की, उन्हें धिक्कारा, उनमें से कुछ पर तो मैंने हाथ भी छोड़ दिया और कुछ के बाल नोचे. तब मैंने उन्हें परमेश्वर की शपथ दी, “तुम उनके पुत्रों को अपनी पुत्रियां विवाह के लिए नहीं दोगे और न उनकी पुत्रियां को अपने पुत्रों के लिए या खुद अपने विवाह के लिए लोगे. 26क्या इस्राएल के राजा शलोमोन ने इन्हीं विषयों में पाप नहीं किया था? इतना होने पर भी अनेकों देशों में उनके समान राजा कोई न था. उन पर उनके परमेश्वर का प्रेम स्थिर था और परमेश्वर ने उन्हें सारे इस्राएल पर राजा ठहराया दिया; फिर भी, उन विदेशी स्त्रियों ने उन्हें तक पाप करने के लिए फेर दिया था. 27तब क्या यह सही होगा कि हम आपसे सहमत होकर यह बड़ी बुराई करें और विदेशी स्त्रियों से विवाह करने के द्वारा अपने परमेश्वर के विरुद्ध विश्वासघात करें?”

28यहां तक कि महापुरोहित एलियाशिब के पुत्रों में से एक योइयादा, होरोनी के सनबल्लत का दामाद था. मैंने उसे वहां से निकाल दिया.

29मेरे परमेश्वर, आप इन्हें याद रखिए, क्योंकि इन्होंने पुरोहित के पद को और पुरोहित की और लेवियों की वाचा को अशुद्ध किया है.

30इस प्रकार मैंने उन्हें उन सभी से शुद्ध कर दिया, जो कुछ विदेशी था. मैंने पुरोहितों और लेवियों के लिए उनके कामों को ठहरा भी दिया-हर एक के लिए निश्चित काम. 31मैंने ठहराए गए अवसरों के लिए लकड़ी और पहले फलों को देने का भी प्रबंध कर दिया.

मेरे परमेश्वर, मेरी भलाई के लिए मुझे याद रखिये!

New Amharic Standard Version

ነህምያ 13:1-31

ነህምያ በመጨረሻ የወሰደው የተሐድሶ ርምጃ

1በዚያም ቀን የሙሴን መጽሐፍ ከፍ ባለ ድምፅ ለሕዝቡ አነበቡ፤ አሞናዊም ሆነ ሞዓባዊ ወደ እግዚአብሔር ጉባኤ ፈጽሞ እንዳይገባ የሚከለክል ተጽፎ ተገኘ፤ 2ይህ የሆነው እስራኤልን በምግብና ውሃ መስተንግዶ በመቀበል ፈንታ፣ በለዓም እንዲረግምላቸው በገንዘብ ስለ ገዙት ነበር። ይሁን እንጂ አምላካችን ርግማኑን ወደ በረከት ለወጠው። 3ሕዝቡም ይህን ሕግ በሰሙ ጊዜ፣ የባዕድ ወገን የሆኑትን ሁሉ ከእስራኤል ለዩ።

4ቀድሞ የአምላካችን ዕቃ ቤቶች ኀላፊ ሆኖ የተሾመው ካህኑ ኤልያሴብ ነበር፤ እርሱም ከጦብያ ጋር የጠበቀ ወዳጅነት ነበረው፤ 5ከዚህ በፊት የእህል ቍርባኑ፣ ዕጣኑ፣ የቤተ መቅደሱ ዕቃዎች፣ የእህሉ ዐሥራትና፣ ለሌዋውያን፣ ለመዘምራንና ለበር ጠባቂዎች የታዘዘው አዲሱ ወይንና ዘይት፣ ለካህናቱም የሚመጣው ስጦታ ይቀመጥበት የነበረውን ትልቁን የዕቃ ቤት እንዲኖርበት ሰጥቶት ነበር።

6ይህ ሁሉ ሲሆን እኔ በኢየሩሳሌም አልነበርሁም፤ ምክንያቱም በባቢሎን ንጉሥ በአርጤክስስ ሠላሳ ሁለተኛ ዓመት ተመልሼ ወደ ንጉሡ ሄጄ ነበር። ከጥቂት ጊዜም በኋላ የንጉሡን ፈቃድ ጠይቄ 7ወደ ኢየሩሳሌም ተመለስሁ፤ በዚያም ኤልያሴብ በእግዚአብሔር ቤት አደባባይ ለጦብያ አንድ መኖሪያ ክፍል በመስጠት የፈጸመውን ክፉ ድርጊት ተረዳሁ። 8እኔም በጣም ዐዘንሁ፤ የጦብያንም የቤት ዕቃ ሁሉ ከክፍሉ እያወጣሁ ወደ ውጭ ጣልሁ። 9ክፍሎቹንም እንዲያነጹ ትእዛዝ ሰጠሁ፤ ከዚያም የእግዚአብሔርን ቤት ዕቃዎች፣ የእህሉን ቍርባንና ዕጣኑን ጭምር መልሼ አስገባሁ።

10እንዲሁም ለሌዋውያን የተመደበው ድርሻ እንዳልተሰጣቸውና አገልግሎቱን በኀላፊነት የሚመሩ ሌዋውያንና መዘምራን ሁሉ ወደየርስታቸው መመለሳቸውን ተረዳሁ። 11ስለዚህ ሹማምቱን ገሥጬ፣ “ቤተ መቅደሱ እስከዚህ ቸል የተባለው ለምንድን ነው?” ብዬ ጠየቅኋቸው። ከዚያም እነርሱን በአንድነት ሰብስቤ ወደ ምድብ ሥራቸው እንዲመለሱ አደረግሁ።

12ይሁዳም ሁሉ የእህሉን፣ የአዲሱን ወይንና የዘይቱን ዐሥራት ወደ ዕቃ ቤቶቹ አስገቡ። 13ለዕቃ ቤቶቹም ካህኑን ሰሌምያን፣ ጸሓፊውን ሳዶቅንና ፈዳያ የተባለውን ሌዋዊ ኀላፊ አድርጌ ሾምሁ፤ መደብሁ፤ እንዲሁም የመታንያን ልጅ፣ የዘኩርን ልጅ ሐናንን ረዳታቸው አደረግሁ፤ ምክንያቱም እነዚህ ሰዎች ታማኞች ነበሩ። ሥራቸውም ለወንድሞቻቸው የተመደበውን ቀለብ ማከፋፈል ነበረ።

14አምላኬ ሆይ፤ ስለዚህ ነገር አስበኝ፤ ለአምላኬ ቤትና ለአገልግሎቱ ስል በታማኝነት ያከናወንሁትን አታጥፋ።

15በእነዚያ ቀናት በይሁዳ በሰንበት ቀን የወይን መጭመቂያ የሚረግጡ፣ እህል የሚያስገቡና፣ የወይን ጠጅ፣ የወይን ዘለላ፣ የበለስና ሌሎችን የጭነት ዐይነቶች ሁሉ በአህያ ላይ የሚጭኑ ሰዎች አየሁ፤ ይህን ሁሉ ወደ ኢየሩሳሌም ያስገቡ የነበረው በሰንበት ቀን ነበረ። ስለዚህ በዚያን ቀን ምግብ እንዳይሸጡ ከለከልኋቸው። 16በኢየሩሳሌም የሚኖሩ የጢሮስ ሰዎችም ዓሣና ልዩ ልዩ ሸቀጣ ሸቀጥ በሰንበት ቀን እያመጡ ለይሁዳ ሕዝብ በኢየሩሳሌም ይሸጡ ነበር። 17እኔም የይሁዳን መኳንንት በመገሠጽ እንዲህ አልኋቸው፤ “ሰንበትን በማርከስ ይህ የምትፈጽሙት ክፉ ድርጊት ምንድን ነው? 18የቀድሞ አባቶቻችሁ ያደረጉት ይህንኑ አልነበረምን? አምላካችንስ ይህን ሁሉ ጥፋት በእኛና በዚች ከተማ ላይ ያመጣው በዚሁ በደላችን አይደለምን? አሁንም እናንተ ሰንበትን በማርከስ የባሰ መከራ በእስራኤል ላይ ታመጣላችሁ።”

19በሰንበት ዋዜማ በኢየሩሳሌም በሮች ላይ የምሽቱ ጥላ ማረፍ ሲጀምር በሮቹ እንዲዘጉና፣ ሰንበት እስኪያልፍ ድረስ እንዳይከፈቱ አዘዝሁ፤ በሰንበት ቀን ጭነት እንዳይገባም ከራሴ ሰዎች አንዳንዶቹን በየበሩ ላይ አቆምሁ። 20የልዩ ልዩ ሸቀጣ ሸቀጥ ነጋዴዎችና ቸርቻሪዎች ከኢየሩሳሌም ውጭ አንድ ወይም ሁለት ጊዜ ዐድረዋል። 21እኔ ግን፣ “ከቅጥሩ ውጭ የምታድሩት ለምንድን ነው? እንዲህ ያለውን ነገር ዳግመኛ ብታደርጉ እጄን አነሣባችኋለሁ” ስል አስጠነቀቅኋቸው፤ እነርሱም ከዚያን ጊዜ ጀምሮ በሰንበት ቀን አልመጡም። 22ከዚያም ሌዋውያኑ ራሳቸውን እንዲያነጹ፣ ሄደውም የቅጥሩን በር እንዲጠብቁና የሰንበትንም ቀን እንዲቀድሱ አዘዝኋቸው።

አምላኬ ሆይ፤ ስለዚህም ደግሞ አስበኝ፤ እንደ ታላቅ ፍቅርህም ብዛት ምሕረት አድርግልኝ።

23በእነዚያም ቀናት የአሽዶድን፣ የአሞንንና የሞዓብን ሴቶች ያገቡ አይሁድ አገኘሁ። 24ከልጆቻቸውም እኩሌቶቹ የአሽዶድን፣ ወይም ከሌሎቹ ሕዝቦች የአንዱን ቋንቋ እንጂ የአይሁድን ቋንቋ መናገር አይችሉም ነበር። 25እኔም ገሠጽኋቸው፤ ርግማንም አወረድሁባቸው። አንዳንዶቹን መታኋቸው፤ ጠጕራቸውንም ነጨሁ። በእግዚአብሔር ስም እንዲህ ስል አማልኋቸው፤ “ሴቶች ልጆቻችሁን ለወንዶች ልጆቻቸው አትስጡ፤ ሴቶች ልጆቻቸውንም ለወንዶች ልጆቻችሁ አትውሰዱ። 26የእስራኤል ንጉሥ ሰሎሞን ኀጢአት የሠራው እንዲህ ከመሰለው ጋብቻ የተነሣ አይደለምን? በብዙ መንግሥታት መካከል እንደ እርሱ ያለ ንጉሥ አልነበረም፤ በአምላኩም የተወደደ ነበረ፤ እግዚአብሔርም በእስራኤል ሁሉ ላይ ንጉሥ አደረገው። ነገር ግን ባዕዳን ሴቶች ወደ ኀጢአት መሩት። 27እናንተም ደግሞ ባዕዳን ሴቶችን በማግባት ይህን የመሰለ ታላቅ በደል እንደምትፈጽሙና ለአምላካችንም ታማኞች እንዳልሆናችሁ መስማት ይገባናልን?”

28ከሊቀ ካህኑ ከኤልያሴብ ልጅ ከዮአዳ ልጆች አንዱ የሖሮናዊው የሰንባላጥ አማች ነበረ፤ እኔም ከአጠገቤ አባረርሁት።

29አምላኬ ሆይ፤ የክህነትን ማዕረግ፣ የክህነትንና የሌዋውያንን ቃል ኪዳን ስላረከሱ ዐስባቸው።

30ስለዚህ ካህናቱንና ሌዋውያኑን ከማናቸውም ባዕድ ነገር ሁሉ አነጻኋቸው፤ የእያንዳንዱንም ተግባር በመለየት በየሥራ ቦታቸው መደብኋቸው። 31በተወሰነው ጊዜ ስለሚዋጣውም የማገዶ ዕንጨትና ስለ በኵራቱ መመሪያ ሰጠሁ።

አምላኬ ሆይ፤ በቸርነት አስበኝ።