निर्गमन 36 – HCV & NASV

Hindi Contemporary Version

निर्गमन 36:1-38

1बसलेल, ओहोलियाब और उन सारे लोगों को जिन्हें याहवेह ने कौशल, समझ, बुद्धि और ज्ञान दिया है कि वह पवित्र स्थान को बनाने के कार्य को कैसे करना है. वे उन कामों को उसी प्रकार से करेंगे जैसे याहवेह ने आज्ञा दी है.”

2तब मोशेह ने बसलेल, ओहोलियाब और उन सारे लोगों को जिन्हें याहवेह ने कौशल दिया, और जो अपनी इच्छा से सेवकाई करना चाहते थे, बुलवाया. 3इन्होंने मोशेह से इस्राएलियों द्वारा पवित्र स्थान को बनाने के लिये जो भी भेंट लाई गई थी, उन चीज़ों को लिया, और लोग सुबह दर सुबह स्वेच्छा से वस्तुएं लाते गये. 4पवित्र स्थान को बनाने में जितने भी योग्य कारीगर थे वह अपने कार्य को छोड़ मोशेह के पास आये. 5उन्होंने मोशेह से कहा, “पवित्र स्थान, जैसे याहवेह ने कहा है, वैसे बनाने में जितने सामान की ज़रूरत थी, लोग उससे कहीं ज्यादा हमारे पास ला रहे हैं.”

6तब मोशेह ने आज्ञा दी और इस बात की पूरी छावनी में घोषणा हुई कि कोई भी स्त्री या पुरुष अब पवित्र स्थान के लिये भेंट स्वरूप कुछ न लाये. इस प्रकार लोगों को कुछ और न लाने के लिये पाबंद किया गया. 7क्योंकि अब उनके पास ज़रूरत से ज्यादा सामान हो गया था.

निवास-मंडप का निर्माण

8फिर पवित्र स्थान बनाया गया जिसमें दस पर्दे बनाये गये थे, जो बंटी हुई मलमल और नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़ों से बने थे, और इन पर्दों पर कुशल कारीगरों द्वारा करूबों का चित्र बुना हुआ था. 9हर पर्दे की लंबाई बारह मीटर साठ सेंटीमीटर और चौड़ाई एक मीटर अस्सी सेंटीमीटर थी. हर पर्दा एक ही नाप का था. 10उन्होंने पांच पर्दों को एक साथ जोड़कर पांच पांच के दो पर्दे बनाए. 11पहले पांच पर्दों की किनारी पर तथा इसी तरह दूसरे पांच पर्दों की किनारी पर नीले रंग का फंदा बनाया. 12एक पर्दे में पचास फंदे और दूसरे में भी पचास फंदे. वे फंदे एक दूसरे के सामने बनाया. 13फिर सोने की पचास अंकुड़े बनाईं और दोनों पर्दों को एक दूसरे से जोड़ दिया; इस प्रकार पवित्र स्थान बन गया.

14फिर बकरे के रोमों से ग्यारह पर्दे बनाए जो पवित्र स्थान के ऊपर का हिस्सा था. 15हर एक पर्दे की लंबाई साढ़े तेरह मीटर तथा चौड़ाई एक मीटर अस्सी सेंटीमीटर थी. सभी ग्यारह पर्दे एक ही नाप के थे. 16उन्होंने ऐसे पांच पर्दों को एक साथ तथा बाकी छः पर्दों को एक साथ जोड़कर बड़ा कर दिया. 17और दोनों अलग-अलग पर्दों की एक-एक किनारी पर पचास-पचास फंदे लगाए. 18और दोनों पर्दों को जोड़ने के लिए कांसे के पचास अंकुड़े बनाए और उन कड़ों पर पर्दा लगाकर पूरा एक हिस्सा बना दिया. 19तंबू के लिए लाल रंग से रंगी हुई भेडों की खाल का एक ओढ़ना बनाया, और फिर उसके ऊपर लगाने के लिए सूस के चमड़े का एक और ओढ़ना बनाया.

20फिर पवित्र स्थान को खड़ा करने के लिए बबूल की लकड़ी के तख्ते बनाए. 21हर तख्ते की लंबाई साढ़े चार मीटर तथा चौड़ाई साढ़े सड़सठ सेंटीमीटर थी. 22तख्ते को जोड़ने के लिए दो समानांतर चूलें थीं. पवित्र स्थान के सब तख्ते इसी तरह बनवाये. 23उन्होंने पवित्र स्थान के दक्षिण दिशा के लिए बीस तख्ते बनाए. 24उनके नीचे चांदी की चालीस कुर्सियां बनवाईं, जो तख्तों के नीचे रखी गई थीं. हर तख्ते के नीचे उसकी दो चूलों के लिए दो कुर्सियां बनवाईं. 25और इसी प्रकार उत्तर की ओर भी बीस तख्ते बनाये, 26और चांदी की चालीस कुर्सियां हर एक तख्ते के नीचे दो कुर्सियां बनाईं. 27पवित्र स्थान के पीछे पश्चिम की ओर छः तख्ते बनाए. 28और पीछे के भाग के कोनों के लिए दो तख्ते बनाए. 29कोने के दोनों तख्ते एक साथ जोड़ दिए. तले में दोनों तख्तों की खूंटियां चांदी के एक ही आधार में लगाई और दोनों भाग ऊपर से जुड़ा हुआ और नीचे का भाग अलग था. 30इस प्रकार आठ तख्ते बनवाये, जिसके नीचे चांदी की सोलह कुर्सियां थीं, हर तख्ते के नीचे दो कुर्सियां थीं.

31फिर बबूल की लकड़ी की छड़ें बनाए, पवित्र स्थान की एक तरफ के तख्तों के लिए पांच छड़ें बनवाए 32तथा पवित्र स्थान की दूसरी तरफ के तख्तों के लिए पांच कड़े तथा पवित्र स्थान के पश्चिमी दिशा के तख्ते के लिए पांच कड़े बनाए. 33तख्ते के एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए तख्ते के बीच में कड़े बनाए. 34तख्तों के ऊपर सोना लगवाया और कड़े में भी सोना लगवाया. लकड़ी की डंड़ीयों को भी सोना लगवाया.

35फिर नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़ों से और बंटी हुई मलमल से एक बीच वाला पर्दा बनाए, जिस पर कढ़ाई के काम द्वारा करूबों के रूप बनाए. 36उसने बबूल की लकड़ी के चार खंभे बनाए और उसके ऊपर सोना लगाया. इन खंभों पर पर्दों के लिए सोने की कड़ियां और चांदी की चार कुर्सियां बनाए. 37तंबू के द्वार के लिए नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़ों का, तथा बंटी हुई बारीक़ सनी वाले कपड़ों की कढ़ाई का काम किया हुआ एक पर्दा बनवाया. 38और पांच खंभे बनाए. खंभे के ऊपर और नीचे के हिस्से में सोना लगाया, उनकी पट्टियां सोने से बनाई गई तथा उनकी पांचों कुर्सियां कांसे की बनाई.

New Amharic Standard Version

ዘፀአት 36:1-38

1ስለዚህ የመቅደሱን የግንባታ ሥራ ሁሉ እንዴት ማከናወን እንዳለባቸው እግዚአብሔር (ያህዌ) ጥበብንና ችሎታን የሰጣቸው፣ ባስልኤል፣ ኤልያብና ጥበበኛ የሆኑ ሰዎች ሁሉ ሥራውን ልክ እግዚአብሔር (ያህዌ) እንዳዘዘው ይሥሩት።”

2ከዚያም ሙሴ ባስልኤልንና ኤልያብን እንዲሁም እግዚአብሔር (ያህዌ) ችሎታ የሰጣቸውን፣ መጥተው ሥራውን ለመሥራት ፈቃደኛ የሆኑትን ጥበብ ያላቸውን ሰዎች ሁሉ አስጠራ። 3የመቅደሱን የግንባታ ሥራ ለማከናወን እስራኤላውያን ያመጡትን ስጦታ ሁሉ ከሙሴ ተቀበሉ፤ ሕዝቡ የበጎ ፈቃድ ስጦታዎችን በየማለዳው ማምጣታቸውን ቀጠሉ። 4ስለዚህ የመቅደሱን ሥራ ሁሉ ይሠሩ የነበሩ ጥበበኞች የሆኑ ባለሙያዎች ሁሉ ሥራቸውን ትተው መጡ፤ 5ሙሴንም፣ “ሕዝቡ እግዚአብሔር (ያህዌ) እንዲሠራ ላዘዘው ሥራ ከበቂ በላይ እያመጡ ነው” አሉት። 6ከዚያም ሙሴ ትእዛዝ ሰጠ፤ ይህንም ቃል ወደ ሰፈሩ ላኩት፤ “ማንም ወንድ ወይም ሴት ለመቅደሱ ሌላ ምንም ስጦታ ማድረግ የለበትም፤” ስለዚህ ሕዝቡ ትርፍ እንዳያመጡ ተከለከሉ፤ 7ምክንያቱም ሥራውን ሁሉ ለማከናወን በእጃቸው ያለው ከበቂ በላይ ነበረ።

የማደሪያው ድንኳን

36፥8-38 ተጓ ምብ – ዘፀ 26፥1-37

8የሥራ ችሎታ ካላቸው ሰዎች መካከል ጥበበኛ የሆኑ ሰዎች ሁሉ የማደሪያውን ድንኳን በቀጭኑ ከተፈተለ በፍታና ከሰማያዊ፣ ከሐምራዊና ከቀይ ማግ፣ በጥልፍ ዐዋቂ፣ ኪሩቤል ከተጠለፉበት ከዐሥር መጋረጃዎች ሠሩት። 9መጋረጃዎቹም ሁሉ ተመሳሳይ መጠን ያላቸው ሲሆን፣ ቁመታቸው ሃያ ስምንት ክንድ፣ ወርዳቸው አራት ክንድ36፥9 ቁመቱ 12.5 ሜትር፣ ወርዱ 1.8 ሜትር ይህል ማለት ነው። ነበር። 10አምስቱን መጋረጃዎች በአንድ ላይ በማጋጠም ሰፏቸው፤ የቀሩትን አምስቱንም እንዲሁ አደረጉ። 11ተጋጥሞ ከተሰፋው መጋረጃ ጠርዝ ጫፍ ላይ ከሰማያዊ ግምጃ ቀለበቶችን አበጁ፤ ተጋጥሞ በተሰፋው በሌላው መጋረጃ ጫፍ ላይም ተመሳሳይ ነገር አደረጉ። 12በአንደኛው መጋረጃ ላይ አምሳ ቀለበቶችን በሌላው ተጋጥሞ ከተሰፋው በስተ መጨረሻ ካለው መጋረጃ ላይ አምሳ ቀለበቶችን እርስ በርሳቸው ትይዩ በማድረግ ሠሩት። 13ከዚያም አምሳ የወርቅ ማያያዣዎችን ሠሩ፤ የማደሪያው ድንኳን አንድ ወጥ ይሆን ዘንድም ተጋጥመው የተሰፉትን ሁለቱን መጋረጃዎች አያያዙባቸው።

14ከማደሪያው በላይ ለሚሆነው ድንኳን ከፍየል ቈዳ የተሠሩ በጠቅላላ ዐሥራ አንድ መጋረጃዎችን ሠሩ። 15ዐሥራ አንዱ መጋረጃዎች ተመሳሳይ ልክ ሲኖራቸው፣ ቁመታቸው ሠላሳ ክንድ፣ ወርዳቸውም አራት ክንድ36፥15 ቁመቱ 13.5 ሜትር፣ ወርዱ 1.8 ሜትር ያህል ማለት ነው። ነበር። 16አምስቱን መጋረጃዎች በአንድ በኩል፣ ሌሎቹን ስድስት መጋረጃዎች ደግሞ በሌላ በኩል አንድ ላይ አያያዟቸው። 17በስተ መጨረሻ በሚገኘው መጋረጃ ጠርዝ ላይ አምሳ ቀለበቶችን፣ በሌላ በኩል ባለው በስተ መጨረሻ በሚገኘው መጋረጃ ጠርዝ አምሳ ቀለበቶችን አበጁ። 18ድንኳኑን አንድ ወጥ አድርጎ ለማያያዝም አምሳ የናስ ማያያዣዎችን ሠሩ። 19ከዚያም ለድንኳኑ መሸፈኛ የሚሆን ቀይ ከተነከረ የአውራ በግ ቈዳ ሠሩ፤ በላዩ ላይ የሚሆንም የአቆስጣ ቈዳ36፥19 ይህ የባሕር አውሬ ነው፤ አበጁ።

20ለማደሪያው ድንኳን ከግራር ዕንጨት ወጋግራዎችን አበጁ። 21እያንዳንዱም ወጋግራ ቍመቱ ዐሥር ክንድ፣ ስፋቱ አንድ ክንድ ተኩል36፥21 ቁመቱ 4.5 ሜትር ወርዱ 0.7 ሜትር ያህል ማለት ነው። ነበር፤ 22ትይዩ የሆኑ ሁለት ጕጦች ነበሩት፤ የማደሪያውን ድንኳን ወጋግራዎች በዚህ መልክ ሠሩ። 23በደቡብ በኩል ላለው የማደሪያው ድንኳን ሃያ ወጋግራዎችን አበጁ፤ 24ለእያንዳንዱ ጕጠት አንድ መቆሚያ፣ ለእያንዳንዱም ወጋግራ ሁለት መቆሚያ ሆኖ አርባ የብር መቆሚያዎችን አበጁ። 25በስተ ሰሜን በኩል ላለው የማደሪያ ድንኳን ሃያ ወጋግራዎችን ሠሩ፤ 26ለእያንዳንዱ ወጋግራ ሁለት መቆሚያ የሆኑ አርባ የብር መቆሚያዎችን ሠሩ። 27በዳር በኩል ይኸውም በስተ ምዕራብ ጫፍ ባለው ማደሪያ ድንኳን ስድስት ወጋግራዎችን ሠሩ። 28ዳርና ዳር ላሉት የማደሪያው ድንኳን ማእዘኖችም ሁለት ወጋግራዎችን ሠሩ። 29በእነዚህ ሁለት ማእዘኖች ላይ ከታች አንሥቶ እስከ ላይ ድረስ ወጋግራዎቹ በአንድ ላይ ተነባብረው በአንድ ቀለበት ውስጥ ተገጥመው ነበር፤ ሁለቱም አንድ አካል ሆነው ተሠርተው ነበር። 30ስለዚህ ስምንት ወጋግራዎችና ለእያንዳንዱም ወጋግራ ሁለት መቆሚያዎች ሆነው ዐሥራ ስድስት የብር መቆሚያዎች ነበሩ።

31እንደዚሁም ከግራር ዕንጨት አግዳሚዎችን ሠሩ፤ በማደሪያው ድንኳን በአንድ በኩል ላሉት ወጋግራዎች አምስት አግዳሚዎችን ሠሩ፤ 32በሌላ በኩል ላሉት አምስት አግዳሚዎች፣ በምዕራብ በኩል በማደሪያው ድንኳን ዳር ላይ ላሉት ወጋግራዎች አምስት አግዳሚዎችን ሠሩ። 33በወጋግራዎቹ መካከል ከዳር እስከ ዳር እንዲዘረጋ ሆኖ መካከለኛውን አግዳሚ ሠሩ። 34ወጋግራዎቹን በወርቅ ለበጧቸው፤ አግዳሚዎቹን ለመያዝም የወርቅ ቀለበቶችን ሠሩ፤ እንዲሁም አግዳሚዎቹን በወርቅ ለበጧቸው።

35ከሰማያዊ፣ ከሐምራዊ፣ ከቀይ ማግና በቀጭኑ ከተፈተለ በፍታ፣ በእጅ ጥበብ ባለሙያ ኪሩቤል የተጠለፉበት መጋረጃ አበጁ። 36ለእርሱም አራት ምሰሶዎች ከግራር ዕንጨት ሠርተው በወርቅ ለበጧቸው፤ ለእነርሱም አራት የወርቅ ኵላቦችንና አራት የብር መቆሚያዎችን አበጁላቸው። 37በድንኳኑ መግቢያ ጥልፍ ጠላፊ እንደሚሠራው ከሰማያዊ፣ ከሐምራዊ፣ ከቀይ ማግና በቀጭኑ ከተፈተለ በፍታ መጋረጃ አበጁለት፤ 38ለእነርሱም ኵላቦች ያሏቸው አምስት ምሰሶዎች ሠሩላቸው፤ የምሰሶዎቹን ዐናቶችና ዘንጎች በወርቅ በመለበጥ አምስቱን መቆሚያዎች ከነሓስ ሠሩ።