नहूम 2 – Hindi Contemporary Version HCV

Hindi Contemporary Version

नहूम 2:1-13

नीनवेह का विनाश

1हे नीनवेह, एक आक्रमण करनेवाला तुम्हारे विरुद्ध में आ रहा है.

इसलिये गढ़ों की पहरेदारी करो,

सड़कों की रखवाली करो,

अपने आपको मजबूत बनाओ,

अपने संपूर्ण सैन्य बल को एकत्र कर लो!

2याहवेह याकोब की शोभा को

इस्राएल की शोभा की तरह ज्यों का त्यों कर देंगे,

यद्यपि नाश करनेवालों ने उन्हें उजाड़ दिया है

और उनकी दाख-लताओं को नाश कर दिया है.

3उसके सैनिकों की ढाल का रंग लाल है;

उसके योद्धा भड़कीले लाल वस्त्र पहने हुए हैं.

जिस दिन उन्हें युद्ध के लिए तैयार किया जाता है,

उनके रथों का धातु चमकता है;

सनोवर की बर्छियां घुमाई जाती हैं.

4गलियों में रथ तेज गति से दौड़ते हैं,

और चौराहों में इधर से उधर भागते रहते हैं.

वे जलती मशालों की तरह दिखते हैं;

वे बिजली की तरह भागते हैं.

5नीनवेह अपने चुने हुए सैनिक दलों को आदेश देता है,

पर वे अपने रास्ते में लड़खड़ाते हैं.

वे शहर की दीवार से टकराते हैं;

सुरक्षा की ढाल अपनी जगह में खड़ी की गई है.

6नदी के द्वार खोल दिए गए हैं

और महल गिरने लगता है.

7यह फैसला हो गया है कि नीनवेह

बंधुआई में चला जाएगा.

उसकी गुलाम महिलायें पंड़की की तरह विलाप करेंगी

और अपनी छाती पीटेंगी.

8नीनवेह पानी के एक पोखरी के समान है,

जिसका पानी सूखता जा रहा है.

वे चिल्लाकर कहते हैं, “रुक जाओ! रुक जाओ!”

किंतु कोई भी मुड़कर देखता तक नहीं.

9चांदी को लूटो!

सोने को लूटो!

इसके सब खजानों से,

धन की आपूर्ति असीमित है!

10उसे लूट लिया, छीन लिया और निर्वस्त्र कर दिया गया है!

उसमें साहस ही न रहा, उसके घुटनों का बल जाता रहा,

शरीर कांप रहे हैं और प्रत्येक के चेहरे का रंग उड़ गया है.

11कहां है सिंहों का मांद,

वह जगह जहां वे जवान सिंहों को भोजन खिलाते थे,

जहां सिंह और सिंहनी जाते थे,

और उनके बच्‍चे निडर होकर रहते थे?

12सिंह अपने बच्चों के लिए पर्याप्‍त शिकार करता था

और अपनी साथी सिंहनी के लिए शिकार का गला दबा लेता था,

और अपनी मांद को मारे गये पशु से

और अपनी गुफा को शिकार से भर लेता था.

13सर्वशक्तिमान याहवेह की यह घोषणा है,

“मैं तुम्हारे विरुद्ध हूं.

मैं तुम्हारे रथों को आग से जला डालूंगा,

और तुम्हारे जवान सिंह तलवार से मार डाले जाएंगे.

मैं पृथ्वी पर तुम्हारे शिकार करने के लिये कुछ नहीं छोड़ूंगा.

तुम्हारे संदेशवाहकों की आवाज

फिर कभी सुनाई नहीं देगी.”