दानिएल 2 – HCV & YCB

Hindi Contemporary Version

दानिएल 2:1-49

नबूकदनेज्ज़र का स्वप्न

1नबूकदनेज्ज़र ने अपने शासनकाल के दूसरे साल में स्वप्न देखे; जिससे उसका मन व्याकुल हो गया और वह सो न सका. 2इसलिये राजा ने आदेश दिया कि जादूगरों, टोन्हों, तांत्रिकों और ज्योतिषियों2:2 ज्योतिषियों या कसदियों; और 4, 5, व 10 में भी को बुलाया जाए कि वे राजा को उसका स्वप्न बताएं. जब वे आकर राजा के सामने खड़े हुए, 3तो राजा ने उनसे कहा, “मैंने एक स्वप्न देखा है जो मुझे व्याकुल कर रहा है और मैं जानना चाहता हूं कि इसका मतलब क्या है.”

4तब ज्योतिषियों ने राजा को उत्तर दिया, “राजा चिरंजीवी हों! आप अपना स्वप्न अपने सेवकों को बताईये, और हम उसका अर्थ बताएंगे.”

5राजा ने ज्योतिषियों को उत्तर दिया, “मैंने यह दृढ़ निश्चय किया है: यदि तुम लोग मुझे स्वप्न सहित उसका अर्थ नहीं बताओगे, तो मैं तुम्हें टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा और तुम्हारे घरों को कचरे के ढेर में बदल दूंगा. 6पर यदि तुम स्वप्न को बताकर उसका अर्थ भी बताते हो, तो तुमको उपहार और ईनाम और बहुत आदरमान दिया जाएगा. इसलिये तुम मुझे स्वप्न बताओ और उसका अर्थ भी बताओ.”

7एक बार फिर उन्होंने उत्तर दिया, “राजा अपना स्वप्न अपने सेवकों को बताएं, और हम उसका अर्थ बताएंगे.”

8राजा ने उत्तर दिया, “मुझे पूरा निश्चय हो गया है कि तुम लोग समय को टालने की कोशिश कर रहे हो, क्योंकि तुम समझ चुके हो कि मैंने यह दृढ़ निश्चय कर लिया है: 9यदि तुम मुझे स्वप्न नहीं बताते हो, तो तुम्हारे लिये सिर्फ एक ही दंड है. यह आशा करते हुए कि परिस्थिति बदलेगी, तुम लोगों ने मुझसे झूठी और बुरी बातें कहने का षड़्‍यंत्र रचा है. इसलिये अब, तुम मुझे मेरा स्वप्न बताओ, और तब मैं जान लूंगा कि तुम मुझे उस स्वप्न का अर्थ भी बता सकते हो.”

10ज्योतिषियों ने राजा को उत्तर दिया, “पृथ्वी पर ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो राजा के इस पूछे गये प्रश्न का उत्तर दे सके! पर तो भी न तो किसी बड़े और शक्तिशाली राजा ने किसी जादूगर या टोन्हा या ज्योतिषी से कभी इस प्रकार की कोई बात पूछी है. 11राजा जो बात पूछ रहे हैं, वह बहुत कठिन है. देवताओं को छोड़, और कोई राजा को यह बात नहीं बता सकता, और देवता मानव प्राणी के बीच नहीं रहते.”

12यह सुनकर राजा इतना क्रोधित और आग बबूला हो गया कि उसने बाबेल के सब बुद्धिमान लोगों को मार डालने की आज्ञा दे दी. 13इसलिये सब बुद्धिमान लोगों को मार डालने का आदेश निकाला गया, और लोगों को दानिएल तथा उसके मित्रों के खोज में भेजा गया कि वे भी मार डाले जाएं.

14जब राजा के अंगरक्षकों का प्रधान आरिओख, बाबेल के बुद्धिमान लोगों को मार डालने के लिये निकला था, तो दानिएल ने उससे बुद्धिमानी और व्यवहार कुशलता से बात की. 15उसने राजा के अधिकारी से पूछा, “राजा ने ऐसा कठोर आदेश क्यों निकाला है?” तब आरिओख ने दानिएल को वह बात बताई. 16यह जानकर दानिएल राजा के पास गया और कुछ समय देने की मांग की, ताकि वह राजा को उसके स्वप्न का अर्थ बता सके.

17तब दानिएल अपने घर लौटा और उसने अपने मित्रों हननियाह, मिषाएल तथा अज़रियाह को इस विषय में बताया. 18उसने उनको उत्साहित किया कि वे स्वर्ग के परमेश्वर से इस रहस्य के बारे में कृपा करने की बिनती करें, ताकि वह और उसके मित्र बाबेल के बाकी बुद्धिमान लोगों के साथ न मार डाले जाएं. 19रात के समय वह रहस्य एक दर्शन के रूप में दानिएल पर प्रगट हुआ. तब दानिएल ने स्वर्ग के परमेश्वर की महिमा की 20और कहा:

“परमेश्वर के नाम की महिमा सदा-सर्वदा होती रहे;

क्योंकि बुद्धि और शक्ति उसकी है.

21वही हैं, जो समय एवं ऋतुओं को बदलते हैं;

वे राजाओं को गद्दी से हटाते और दूसरों को गद्दी पर बैठाते हैं.

वे बुद्धिमान को बुद्धि

और समझदार को ज्ञान देते हैं.

22वे गूढ़ और छिपी बातों को प्रगट करते हैं;

वे जानते हैं कि अंधेरे में क्या रखा है,

और उनके साथ प्रकाश बना रहता है.

23हे मेरे पूर्वजों के परमेश्वर, मैं आपको धन्यवाद देता और आपकी प्रशंसा करता हूं:

क्योंकि आपने मुझे बुद्धि एवं शक्ति दी है,

आपने मुझे वह बात बताई है जो हमने आपसे पूछी,

आपने हम पर राजा के स्वप्न को प्रगट किया है.”

दानिएल स्वप्न का अर्थ बताता है

24तब दानिएल, आरिओख के पास गया जिसे राजा ने बाबेल के बुद्धिमान लोगों को मार डालने के लिये नियुक्त किया था, और उसने आरिओख से कहा, “बाबेल के बुद्धिमान लोगों को मार डालने का काम रोक दीजिए. मुझे राजा के पास ले चलिए, और मैं राजा को उनके स्वप्न का अर्थ बताऊंगा.”

25आरिओख तुरंत दानिएल को राजा के पास ले गया और उसने राजा से कहा, “यहूदिया से बंधुआई में आये लोगों के बीच मुझे एक ऐसा व्यक्ति मिला है, जो राजा को उसके स्वप्न का अर्थ बता सकता है.”

26राजा ने दानिएल से पूछा (जिसे बैलशत्सर भी कहा जाता था), “क्या तुम इस योग्य हो कि मैंने स्वप्न में जो देखा है उसे और उसका अर्थ बता सको?”

27दानिएल ने उत्तर दिया, “राजा जिस रहस्य के बारे में पूछ रहे हैं, उसके बारे में कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति, ज्योतिषी, जादूगर या भविष्य बतानेवाला राजा को कुछ नहीं बता सकता, 28लेकिन स्वर्ग में एक परमेश्वर हैं, जो रहस्यों को प्रगट करते हैं. उन्होंने ने ही राजा नबूकदनेज्ज़र को दिखाया है कि आनेवाले दिनों में क्या होनेवाला है. जब आप अपने पलंग पर लेटे हुए थे, तब आपने जो स्वप्न और दर्शन देखे, वे ये हैं:

29“महाराज, जब आप अपने पलंग पर लेटे थे, तब आपका मन भविष्य में होनेवाली घटनाओं की ओर हो गया, और रहस्यों के प्रगट करनेवाले ने आपको दिखाया कि भविष्य में क्या होनेवाला है. 30जहां तक मेरी बात है, तो यह रहस्य मुझ पर इसलिये प्रकट नहीं किया गया कि मेरे पास किसी और जीवित व्यक्ति से ज्यादा बुद्धि है, पर इसलिये कि महाराज को रहस्य का अर्थ मालूम हो जाए और आप समझ जाएं कि आपके मन में क्या आया था.

31“महाराज, आपने देखा कि आपके सामने एक बड़ी मूर्ति खड़ी थी—एक बहुत बड़ी, चौंधियानेवाली मूर्ति, दिखने में अद्भुत. 32उस मूर्ति का सिर शुद्ध सोने से बना था, उसकी छाती और भुजाएं चांदी की, उसका पेट और जांघें कांसे की, 33उसके टांगे लोहे की और उसके पांव कुछ लोहे के और कुछ सेंके गये मिट्टी के थे. 34जब आप देख रहे थे, तो एक चट्टान बिना किसी मानवीय प्रयास के अपने आप कटकर आई और उस मूर्ति के लोहे और मिट्टी के पांव को ऐसी ठोकर मारी कि वे चूर-चूर हो गए. 35तब लोहा, मिट्टी, कांसा, चांदी और सोना सब टूटकर टुकड़े-टुकड़े हो गए और ग्रीष्मकाल में खलिहान के भूंसे के समान हो गये. हवा उनको ऐसे उड़ा ले गई कि उनका कोई छोटा टुकड़ा भी न बचा. पर जिस चट्टान ने मूर्ति को ठोकर मारी थी, वह चट्टान एकाएक बहुत बड़ा पहाड़ बन गई और सारी पृथ्वी में फैल गई.

36“यही था आपका स्वप्न, और अब हम राजा को उसका अर्थ बताएंगे. 37हे महाराज, आप तो राजाओं के राजा हैं. स्वर्ग के परमेश्वर ने आपको राज्य और अधिकार और शक्ति और महिमा दी है; 38आपके अधीन, उन्होंने सब मानव प्राणी और भूमि के जानवर और आकाश के पक्षियों को कर दिया है. वे जहां कहीं भी रहते हैं, परमेश्वर ने आपको उनके ऊपर शासक ठहराया है. मूर्ति के सोने का वह सिर आप ही हैं.

39“आपके बाद एक दूसरे राज्य का उदय होगा जो आपके राज्य से निचले स्तर का होगा. उसके बाद, एक तीसरे राज्य का उदय होगा, जो कांसे का प्रतिरूप होगा, जिसका शासन संपूर्ण पृथ्वी पर होगा. 40आखिरी में, एक चौथा राज्य होगा जो लोहे की तरह मजबूत होगा—क्योंकि लोहा सब चीज़ों को तोड़ता और चूर-चूर कर देता है—और जैसे कि लोहा चीज़ों को तोड़कर टुकड़े-टुकड़े कर देता है, वैसे ही यह राज्य भी दूसरे सभी राज्यों को कुचलकर टुकड़े कर देगा. 41जैसा कि आपने देखा कि पांव और उंगलियां कुछ सेंके गये मिट्टी और कुछ लोहे की थीं, इसलिये यह एक विभाजित राज्य होगा; फिर भी इसमें कुछ लोहे का बल होगा, जैसा कि आपने लोहे को मिट्टी के साथ मिला हुआ देखा. 42जैसे कि पांव की उंगलियां कुछ लोहा और कुछ मिट्टी की थी, इसलिये यह राज्य कुछ तो मजबूत और कुछ निर्बल होगा. 43और जैसा कि आपने लोहे को सेंके गये मिट्टी के साथ मिला हुआ देखा, वैसे ही लोगों का मिश्रण होगा और उनमें एकता न होगी, क्योंकि लोहा मिट्टी के साथ मेल नहीं खाता.

44“उन राजाओं के समय में, स्वर्ग के परमेश्वर एक ऐसे राज्य को स्थापित करेंगे, जो कभी नष्ट न होगा और न ही इस पर किसी अन्य का शासन होगा. यह राज्य उन सब राज्यों को चूर-चूर कर देगा और उनका अंत कर देगा, पर यह स्वयं सदाकाल तक बना रहेगा. 45यह उस चट्टान के दर्शन का अर्थ है जो मनुष्य के हाथों नहीं, किंतु अपने आप एक पहाड़ से टूटकर अलग हुई थी और जिसने लोहा, कांसा, मिट्टी, चांदी और सोना को टुकड़े-टुकड़े कर दिया था.

“महान परमेश्वर ने राजा को दिखाया है कि भविष्य में क्या होनेवाला है. यह स्वप्न सत्य है तथा इसका अर्थ विश्वासयोग्य है.”

46तब राजा नबूकदनेज्ज़र ने दानिएल को साष्टांग दंडवत किया और उसे आदर दिया और आज्ञा दी कि दानिएल को भेंट चढ़ाई जाय और उसके सामने सुगंधित धूप जलाया जाय. 47राजा ने दानिएल से कहा, “निश्चित रूप से तुम्हारे परमेश्वर देवताओं के परमेश्वर और राजाओं के प्रभु और रहस्यों के प्रगटकर्ता हैं, क्योंकि तुम इस रहस्य का अर्थ बताने में योग्य ठहरे.”

48तब राजा ने दानिएल को एक ऊंचे पद पर ठहराया और उसे बहुत सारे कीमती उपहार दिये. राजा ने उसे सारे बाबेल प्रदेश का शासक बनाया और बाबेल के सब बुद्धिमान लोगों के ऊपर उसे अधिकारी ठहराया. 49और दानिएल के अनुरोध पर राजा ने शद्रख, मेशेख तथा अबेद-नगो को बाबेल प्रदेश पर प्रशासक नियुक्त कर दिया, परंतु दानिएल स्वयं राज-दरबार में बना रहा.

Bíbélì Mímọ́ Yorùbá Òde Òn

Daniẹli 2:1-49

Àlá Nebukadnessari

1Ní ọdún kejì ìjọba Nebukadnessari, ó lá àlá, èyí tí ó mú kí ọkàn an rẹ̀ dàrú, kò sì le è sùn. 2Nígbà náà ni ọba yára pe àwọn onídán, àwọn aláfọ̀ṣẹ, àwọn oṣó àti àwọn awòràwọ̀; àwọn tó ní ìmọ̀ àti àṣírí i títúmọ̀ ìràwọ̀, ọba pè wọ́n kí wọn wá sọ àlá tí ó lá. Nígbà tí wọ́n dé, tí wọ́n dúró níwájú ọba, 3ọba sì wí fún wọn pé, “Mo ti lá àlá kan èyí tí ó mú kí ọkàn mi dàrú, mo sì fẹ́ mọ ìtumọ̀ àlá náà.”

4Nígbà náà ni àwọn awòràwọ̀ dá ọba lóhùn ní èdè Aramaiki pé, “Kí ọba kí ó pẹ́! Sọ àlá yìí fún àwọn ìránṣẹ́ rẹ àwa yóò sì sọ ìtumọ̀ rẹ̀ fún ọ.”

5Ọba dá àwọn awòràwọ̀ lóhùn pé, “Ohun náà ti kúrò lórí mi, tí ẹ̀yin kò bá sọ àlá náà àti ìtumọ̀ rẹ̀ fún mi, èmi yóò gé e yín sí wẹ́wẹ́, ilé e yín yóò sì di ààtàn. 6Ṣùgbọ́n tí ẹ̀yin bá sọ àlá náà àti ìtumọ̀ rẹ̀ fún mi, èmi yóò fún un yín ní ẹ̀bùn, ọrẹ àti ọláńlá tí ó pọ̀. Nítorí náà, ẹ sọ àlá náà àti ìtumọ̀ rẹ̀ fún mi.”

7Lẹ́ẹ̀kan sí i, “Wọ́n tún dáhùn pé, jẹ́ kí ọba sọ àlá náà fún ìránṣẹ́ rẹ̀, àwa yóò sì túmọ̀ rẹ̀.”

8Nígbà náà ni ọba sọ pé, “Èmi mọ̀ dájú wí pé ẹ̀yin fẹ́ fi àkókò ṣòfò nítorí pé ẹ̀yin ti mọ̀ pé nǹkan ti lọ ní orí mi. 9Tí ẹ̀yin kò bá lè sọ àlá mi, ìjìyà kan ṣoṣo ló wà fún un yín. Ẹ̀yin ti gbèrò láti pa irọ́ àti láti sọ àwọn ọ̀rọ̀ ti ó lè si ni lọ́nà fún mi, títí tí nǹkan yóò fi yí wọ́. Nítorí náà ẹ rọ́ àlá náà fún mi, èmi yóò sì mọ̀ pé ẹ lè túmọ̀ rẹ̀ fún mi.”

10Àwọn awòràwọ̀ sì dá ọba lóhùn pé, “Kò sí ènìyàn kan ní ayé tí ó lè sọ nǹkan tí ọba béèrè! Kò sí ọba náà bí ó ti wù kí ó tóbi àti kí ó lágbára tó, tí í béèrè irú nǹkan bẹ́ẹ̀ lọ́wọ́ àwọn onídán tàbí aláfọ̀ṣẹ tàbí awòràwọ̀. 11Nǹkan tí ọba béèrè yìí ṣòro púpọ̀. Kò sí ẹni tí ó lè fihan ọba àfi àwọn òrìṣà, tí wọn kì í gbé láàrín ènìyàn.”

12Èyí mú kí ọba bínú, ó sì kanra, nítorí náà ó pàṣẹ kí a pa gbogbo àwọn amòye Babeli run. 13Nítorí náà àṣẹ yìí jáde lọ wí pé kí a pa àwọn amòye, wọ́n ránṣẹ́ pe Daniẹli pẹ̀lú àwọn ẹlẹgbẹ́ ẹ rẹ̀ láti pa wọ́n.

14Nígbà tí Arioku, olórí àwọn olùṣọ́ ọba, jáde láti lọ pa àwọn amòye Babeli, Daniẹli sọ̀rọ̀ fún un pẹ̀lú ọgbọ́n àti òye. 15Ó béèrè lọ́wọ́ olórí àwọn olùṣọ́ ọba wí pé, “Èéṣe tí àṣẹ ọba fi yá kánkán bẹ́ẹ̀?” Arioku sì ṣe àlàyé ọ̀rọ̀ náà fún Daniẹli. 16Nígbà náà ni Daniẹli wọlé tọ ọba lọ, ó sì tọrọ kí ọba fún òun ní ààyè, òun yóò fi ìtumọ̀ àlá náà hàn fún ọba.

17Nígbà náà ni Daniẹli padà lọ sí ilé e rẹ̀, ó sì sọ fún àwọn ẹlẹgbẹ́ ẹ rẹ̀ Hananiah, Miṣaeli àti Asariah. 18Ó sọ fún wọn pé kí wọn béèrè fún àánú Ọlọ́run, Olúwa ọ̀run, nítorí àṣírí yìí, kí Daniẹli pẹ̀lú àwọn ẹlẹgbẹ́ rẹ̀ má ba ṣègbé pẹ̀lú àwọn ọlọ́gbọ́n Babeli yòókù, tí ó wà ní Babeli. 19Ní òru, àṣírí náà hàn sí Daniẹli ní ojú ìran. Nígbà náà ni Daniẹli fi ògo fún Ọlọ́run ọ̀run 20Daniẹli wí pé:

“Ọpẹ́ ni fún orúkọ Ọlọ́run láé àti láéláé;

tirẹ̀ ni ọgbọ́n àti agbára.

21Ó yí ìgbà àti àkókò padà;

ó mú ọba jẹ, ó ń mú wọn kúrò.

Ó fún àwọn amòye ní ọgbọ́n

àti ìmọ̀ fún àwọn tí ó ní òye.

22Ó fi ohun ìjìnlẹ̀ àti àṣírí hàn;

ó mọ ohun tí ó pamọ́ nínú òkùnkùn

àti ní ọ̀dọ̀ rẹ̀ ni ìmọ́lẹ̀ wà.

23Mo dúpẹ́, mo sì fi ìyìn fún ọ, ìwọ Ọlọ́run àwọn baba mi:

ó ti fún mi ní ọgbọ́n àti agbára

ó ti fi àwọn nǹkan tí a béèrè lọ́wọ́ rẹ̀ hàn fún mi

nítorí tí ìwọ ti fi àlá ọba hàn wá.”

Daniẹli túmọ̀ àlá

24Nígbà náà ni Daniẹli tọ́ Arioku lọ, ẹni tí ọba yàn láti pa àwọn amòye Babeli run, Daniẹli wí fún un pé, “Má ṣe pa àwọn amòye Babeli run. Mú mi lọ sí ọ̀dọ̀ ọba, èmi yóò sísọ ìtumọ̀ àlá rẹ̀ fún un.”

25Lẹ́sẹ̀kan náà, Arioku yára mú Daniẹli lọ sí iwájú ọba, ó sọ fún ọba pé, “Èmi ti rí ọkùnrin kan lára àwọn àjèjì tí ó wá láti Juda, ẹni tí ó lè sọ ìtumọ̀ àlá náà fún ọba.”

26Ọba béèrè lọ́wọ́ Daniẹli ẹni tí a tún ń pè ní Belṣassari pé, “Ṣé ìwọ lè sọ ohun tí mo rí nínú àlá mi àti ìtumọ̀ ọ rẹ̀ fún mi?”

27Daniẹli dá ọba lóhùn pé, “Kò sí awòràwọ̀ kan, apògèdè, onídán tàbí aláfọ̀ṣẹ tí ó lè ṣe àlàyé àṣírí tí ọba béèrè fún 28ṣùgbọ́n, Ọlọ́run kan ń bẹ ní ọ̀run tí ó ń fi àṣírí hàn. Ó ti fihan ọba Nebukadnessari, ohun tí yóò ṣẹlẹ̀ ní ìkẹyìn ọjọ́. Àlá àti ìran tí o rí nígbà tí o dùbúlẹ̀ lórí ibùsùn rẹ ni ìwọ̀nyí:

29“Ọba, bí ìwọ ṣe sùn sórí ibùsùn rẹ, bẹ́ẹ̀ ni ọkàn rẹ ń ro àwọn ohun tó ń bọ̀, olùfihàn àṣírí ń fi ohun tí yóò ṣẹlẹ̀ fún ọ. 30Ṣùgbọ́n fún èmi, a fi àṣírí yìí hàn mí, kì í ṣe pé mo ní ọgbọ́n tí ó pọ̀ ju ti alààyè kankan lọ, ṣùgbọ́n nítorí kí ọba lè mọ ìtumọ̀ àlá àti kí ó lè mọ ohun tí ó wà ní ọkàn rẹ̀.

31“Ìwọ ọba ń wo, ère ńlá kan tí ó dúró níwájú rẹ, ère náà ga, ó sì dára láti wò, ìrísí i rẹ̀ ba ni lẹ́rù jọjọ. 32Orí ère náà jẹ́ kìkì wúrà, àyà rẹ̀ àti ọwọ́ rẹ̀ jẹ́ fàdákà, inú àti ẹ̀gbẹ́ itan rẹ̀ jẹ́ idẹ, 33àwọn ẹsẹ̀ rẹ̀ jẹ́ irin, àwọn àtẹ́lẹsẹ̀ rẹ̀ jẹ́ apá kan irin àti apá kan amọ̀. 34Bí ó ṣe ń wò, òkúta kan wá, tí kò wá láti ọwọ́ ẹnìkankan. Ó kọlu ère náà ní àtẹ́lẹsẹ̀ irin àti amọ̀, ó sì fọ́ wọn sí wẹ́wẹ́. 35Nígbà náà ni irin, amọ̀, idẹ, fàdákà àti wúrà fọ́ sí wẹ́wẹ́ lẹ́sẹ̀kan náà, ó sì dàbí ìyàngbò tí a fẹ́ kúrò lórí ọkà ní àsìkò ẹ̀ẹ̀rùn. Afẹ́fẹ́ gbé gbogbo rẹ̀ lọ láìṣẹ́ku ọ̀kan mọ́, òkúta tí ó fọ́ ère náà sì di òkè ńlá, ó sì gba gbogbo ayé.

36“Èyí ni àlá náà, nígbà yìí ni a ó wá sọ ìtumọ̀ rẹ̀ fún ọba. 37Ìwọ ọba jẹ́ ọba àwọn ọba. Ọlọ́run ọ̀run ti fi ìjọba agbára, títóbi àti ògo fún ọ; 38ní ọwọ́ rẹ ló fi gbogbo ènìyàn, àwọn ẹranko igbó àti ẹyẹ ojú ọ̀run sí. Ní ibi gbogbo tí wọ́n ń gbé, ó ti fi ọ́ ṣe olórí i wọn. Ìwọ ni orí wúrà náà.

39“Lẹ́yìn èyí ni ìjọba mìíràn yóò dìde, tí kò ní lágbára tó tìrẹ, lẹ́yìn in rẹ̀, ìjọba kẹta tí yóò dàbí idẹ, èyí tí yóò jẹ ọba lórí i gbogbo ayé. 40Ju gbogbo rẹ̀ lọ, ìjọba kẹrin yóò wà, ìjọba náà yóò lágbára bí irin, gẹ́gẹ́ bí irin ti í fọ́, tó sì ń lọ gbogbo nǹkan àti bí irin ti í fọ́ nǹkan sí wẹ́wẹ́, bẹ́ẹ̀ ni yóò fọ́ tí yóò sì lọ gbogbo àwọn tókù. 41Bí o ṣe rí i tí àtẹ́lẹsẹ̀ àti ọmọ ìka ẹsẹ̀ jẹ́ apá kan amọ̀ àti apá kan irin, bẹ́ẹ̀ ni ìjọba yóò ṣe pín; ṣùgbọ́n yóò sì ní agbára irin díẹ̀ nínú rẹ̀, bí ó ṣe rí i tí irin dàpọ̀ mọ́ amọ̀. 42Bí ọmọ ìka ẹsẹ̀ ṣe jẹ́ apá kan irin àti apá kan amọ̀, bẹ́ẹ̀ ni ìjọba yìí yóò lágbára lápákan tí kò sì ní lágbára lápákan. 43Gẹ́gẹ́ bí o ti rí i tí irin dàpọ̀ mọ́ amọ̀, báyìí ni àwọn ènìyàn yóò ṣe dàpọ̀ mọ́ ara wọn ní ti ìgbéyàwó, ṣùgbọ́n wọn kò ní wà ní ìṣọ̀kan, bí irin kò ṣe dàpọ̀ mọ́ amọ̀.

44“Ní àsìkò àwọn ọba náà, Ọlọ́run ọ̀run yóò gbé ìjọba èyí tí kò le è bàjẹ́ kalẹ̀, èyí tí a kò ní fi lé ẹlòmíràn lọ́wọ́. Yóò sì run gbogbo ìjọba, yóò sì mú wọn wá sí òpin, ṣùgbọ́n ìjọba yìí yóò dúró láéláé.” 45Gẹ́gẹ́ bí o ṣe rí i pé a gé òkúta láti ara òkè, láì ti ọwọ́ ẹnikẹ́ni wá, òkúta èyí tí ó fọ́ irin, idẹ, amọ̀, fàdákà àti wúrà sí wẹ́wẹ́.

“Ọlọ́run tí ó tóbi ti fihan ọba, ohun tí yóò ṣẹlẹ̀ ní ọjọ́ iwájú. Òtítọ́ ni àlá náà, bẹ́ẹ̀ ni ìtumọ̀ rẹ̀ ṣe é gbẹ́kẹ̀lé.”

46Nígbà náà, ni Nebukadnessari ọba dojúbolẹ̀ níwájú u Daniẹli ó sì fi orí balẹ̀ fún un, ó sì pàṣẹ pé kí wọn kí ó mu ọrẹ àti òórùn tùràrí fún Daniẹli. 47Ọba wí fún Daniẹli pé, “Dájúdájú Ọlọ́run rẹ ni Ọlọ́run àwọn ọlọ́run àti Olúwa àwọn ọba gbogbo àti olùfihàn àwọn àṣírí, nítorí tí ìwọ lè fi àṣírí yìí hàn.”

48Nígbà náà ni ọba gbé Daniẹli ga, ó sì fún un ní ẹ̀bùn ńlá tí ó pọ̀. Ó sì fi ṣe olórí i gbogbo agbègbè ìjọba Babeli àti olórí gbogbo àwọn amòye Babeli. 49Daniẹli béèrè lọ́wọ́ ọba, ó sì yan Ṣadraki, Meṣaki, àti Abednego gẹ́gẹ́ bí alábojútó ìgbèríko Babeli ṣùgbọ́n Daniẹli fúnra rẹ̀ wà ní ààfin ọba.