ज़करयाह 13 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

ज़करयाह 13:1-9

पाप से शुद्ध करना

1“उस दिन दावीद के घराने और येरूशलेम निवासियों को उनके पाप और अशुद्धता से शुद्ध करने के लिये एक झरना फूटेगा.

2“उस दिन, मैं देश से सारे मूर्तियों के नाम मिटा दूंगा, और उन्हें फिर कभी याद किया न जाएगा.” सर्वशक्तिमान याहवेह की यह घोषणा है, “मैं देश से भविष्यवक्ताओं और अशुद्धता की आत्मा दोनों को निकाल दूंगा. 3और फिर भी यदि कोई भविष्यवाणी करे, तो उसको पैदा करनेवाले उसके माता-पिता उससे कहेंगे, ‘अवश्य है कि तू मर जाए, क्योंकि तूने याहवेह के नाम में झूठ बोला है,’ तब उसके खुद के माता-पिता उस भविष्यवाणी करनेवाले को तलवार से मार डालेंगे.

4“उस दिन हर एक भविष्यवक्ता अपने भविष्य दर्शन के बारे में लज्जित होगा. वे लोगों को धोखा देने के लिये भविष्यवक्ताओं के लिए निर्धारित बाल से बने कपड़े नहीं पहनेंगे. 5परंतु हर एक कहेगा, ‘मैं भविष्यवक्ता नहीं हूं. मैं एक किसान हूं; मैं अपनी जवानी से ही भूमि से अपनी जीविका चलाता आया हूं.’ 6यदि कोई उससे पूछे, ‘तुम्हारे शरीर पर ये घाव कैसे हैं?’ तो वह उत्तर देगा, ‘मेरे मित्रों के घर में मुझे ये घाव लगे हैं.’

चरवाहा मारा जाएगा, भेड़ें तितर-बितर होगी

7“हे तलवार, मेरे चरवाहे के विरुद्ध सक्रिय हो जा,

उस व्यक्ति के विरुद्ध, जो मेरा घनिष्ठ है!”

सर्वशक्तिमान याहवेह की यह घोषणा है.

“चरवाहे पर वार करो,

और भेड़ें तितर-बितर हो जाएंगी,

और मैं बच्चों के विरुद्ध अपना हाथ उठाऊंगा.

8याहवेह की घोषणा है, पूरे देश में

दो तिहाई लोगों पर वार करके मार डाला जाएगा;

फिर भी एक तिहाई लोग उसमें बचे रहेंगे.

9इन एक तिहाई लोगों को मैं आग में डाल दूंगा;

मैं उन्हें चांदी की तरह परिष्कृत करूंगा

और उन्हें ऐसे परखूंगा, जैसे सोने को परखा जाता है.

वे लोग मेरा नाम लेकर पुकारेंगे

और मैं उनकी सुनूंगा;

मैं कहूंगा, ‘वे मेरे लोग हैं,’

और वे कहेंगे, ‘याहवेह हमारे परमेश्वर हैं.’ ” 

Ketab El Hayat

زكريا 13:1-9

التطهير من الخطيئة

1«فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَتَفَجَّرُ يَنْبُوعٌ لِيُطَهِّرَ ذُرِّيَّةَ دَاوُدَ وَسُكَّانَ أُورُشَلِيمَ مِنْ إِثْمِهِمْ وَنَجَاسَتِهِمْ. 2وَيَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ: فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ أَسْتَأْصِلُ أَسْمَاءَ الأَصْنَامِ مِنَ الأَرْضِ فَلا يَعُودُ لَهَا ذِكْرٌ، وَأُلاشِي الأَنْبِيَاءَ الْكَذَبَةَ وَالرُّوحَ النَّجِسَ مِنَ الأَرْضِ. 3وَإِنْ تَنَبَّأَ أَحَدٌ فِيمَا بَعْدُ، يَطْعَنُهُ أَبُوهُ وَأُمُّهُ اللَّذَانِ أَنْجَبَاهُ قَائِلَيْنِ: لابُدَّ أَنْ تَمُوتَ لأَنَّكَ نَطَقْتَ بِالزُّورِ بِاسْمِ الرَّبِّ. 4فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَعْتَرِي الْخِزْيُ كُلَّ نَبِيٍّ كَاذِبٍ يَتَنَبَّأُ مِنْ رُؤْيَاهُ، وَلا يَرْتَدِي مُسُوحَ الشَّعْرِ لِيَكْذِبَ. 5إِنَّمَا يَقُولُ: أَنَا لَسْتُ نَبِيًّا. أَنَا رَجُلٌ فَلّاحٌ أَحْرُثُ الأَرْضَ مُنْذُ صِبَايَ. 6وَعِنْدَمَا يَسْأَلُهُ أَحَدٌ: مَا هَذِهِ الْجُرُوحُ فِي يَدَيْكَ؟ يُجِيبُهُ: هِيَ الَّتِي جُرِحْتُ بِها فِي بَيْتِ أَحِبَّائِي».

ضرب الراعي وتبددت الخراف

7وَيَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ: «اسْتَيْقِظْ أَيُّهَا السَّيْفُ وَهَاجِمْ رَاعِيَّ وَرَجُلَ رِفْقَتِي. اضْرِبِ الرَّاعِي فَتَتَبَدَّدَ الْخِرَافُ. وَلَكِنِّي أَرُدُّ يَدِي عَنِ الصِّغَارِ (أَيِ الْقِلَّةِ الْمُؤْمِنَةِ). 8يَقُولُ الرَّبُّ فَيَفْنَى ثُلْثَا شَعْبِ أَرْضِي وَيَبْقَى ثُلْثُهُمْ حَيًّا فَقَطْ. 9فَأُجِيزُ هَذَا الثُّلْثَ فِي النَّارِ لأُنَقِّيَهُ تَنْقِيَةَ الْفِضَّةِ، وَأَمْحَصَهُ كَمَا يُمْحَصُ الذَّهَبُ. هُوَ يَدْعُو بِاسْمِي وَأَنَا أَسْتَجِيبُهُ. أَنَا أَقُولُ: هُوَ شَعْبِي، وَهُوَ يَقُولُ: الرَّبُّ هُوَ إِلَهِي».