गणना 20 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

गणना 20:1-29

चट्टान से पानी

1पहले महीने में सारे इस्राएल के घराने के लोग ज़िन के निर्जन प्रदेश में पहुंच गए. उन्होंने कादेश में पड़ाव डाला. यहां मिरियम की मृत्यु हो गई और उसे वहीं मिट्टी दी गई.

2इस्राएल के घराने के पीने के लिए वहां जल उपलब्ध ही न था. वे लोग मोशेह तथा अहरोन के विरोध में एकजुट हो गए. 3लोगों ने मोशेह से यह कहते हुए झगड़ा करना शुरू कर दिया, “सही होता कि हम भी उसी अवसर पर नाश हो गए होते, जब हमारे भाई याहवेह के सामने नाश हुए जा रहे थे! 4क्यों आप याहवेह की प्रजा को इस निर्जन प्रदेश में ले आए हैं, कि हम और हमारे पशु सभी मृत्यु के कौर हो जाएं? 5क्यों आपने हमें मिस्र देश से निकलने के लिए मजबूर किया; क्या इस बेमतलब के स्थान में लाकर छोड़ने के लिए? यह तो अन्‍न या, अंजीरों या दाख-लताओं या अनारों का देश है ही नहीं, और न ही यहां हमारे लिए पीने का पानी उपलब्ध है!”

6यह सुन मोशेह तथा अहरोन इस्राएली सभा के सामने से निकलकर मिलनवाले तंबू के प्रवेश के सामने आकर मुंह के बल गिर पड़े. यहां उन्हें याहवेह की महिमा के दर्शन हुआ. 7याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी, 8“अपनी लाठी अपने साथ लेकर तुम और तुम्हारा भाई अहरोन, सारी सभा को इकट्ठा कर उनकी दृष्टि में उस चट्टान से बात करो कि वह अपना जल निकाल दे. ऐसा करके तुम उस चट्टान में से उनके लिए जल निकालोगे कि सारी सभा तथा उनके पशु जल पी सकें.”

9फिर मोशेह ने याहवेह के सामने से वह लाठी उठा ली, ठीक जैसा आदेश उन्हें याहवेह की ओर से मिला था. 10मोशेह एवं अहरोन ने सारी सभा को उस चट्टान के सामने इकट्ठा किया और उनसे कहा, “विद्रोहियो, अब मेरी सुनो. क्या अब हमें तुम्हारे लिए इस चट्टान से जल निकालना होगा?” 11यह कहते हुए मोशेह ने अपनी बांह ऊंची उठाकर अपनी लाठी से उस चट्टान पर दो बार वार किया और बहुत मात्रा में जल निकलने लगा. सारी सभा एवं पशुओं ने अपनी प्यास बुझा ली.

12किंतु याहवेह ने मोशेह एवं अहरोन से कहा, “तुमने मुझमें विश्वास न करके इस्राएल के घराने के सामने मेरी पवित्रता की पुष्टि नहीं की, इसलिये तुम इस सभा को मेरे द्वारा दिए हुए देश में नहीं ले जाओगे.”

13यह मेरिबाह20:13 मेरिबाह अर्थ: झगड़ा का सोता था जहां इस्राएल के घराने ने याहवेह से झगड़ा किया था और यहां याहवेह ने स्वयं को उनके बीच पवित्र सिद्ध कर दिया.

इस्राएल को एदोम से यात्रा का इनकार

14मोशेह ने कादेश से एदोम के राजा को संदेशवाहकों के द्वारा यह संदेश भेजा:

“आपके भाई इस्राएल की विनती यह है: आप तो हम पर आई कठिनाइयों को जानते हैं. 15हमारे पूर्वजों ने मिस्र देश में प्रवास किया और हम वहां बहुत समय तक रहते रहे. मिस्रियों ने हमारे साथ तथा हमारे पूर्वजों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया, 16हमने इस पर याहवेह की गुहार लगाई और उन्होंने हमारी सुन ली, तथा अपना एक स्वर्गदूत भेजकर हमें मिस्र देश से निकाल लिया.

“अब हम कादेश तक आ पहुंचे हैं, जो आपके देश की सीमा से लगा हुआ है. 17कृपया हमें अपने देश में से होकर निकल जाने की अनुमति दे दीजिए. हम न तो आपके किसी खेत में से होकर जाएंगे और न किसी दाख की बारी में से; यहां तक कि हम तो किसी कुएं के जल का भी उपयोग नहीं करेंगे. हम सिर्फ राजमार्ग का ही प्रयोग करेंगे, जब तक हम आपकी सीमा से पार न हो जाएं, हम न दायीं ओर जाएंगे, न बायीं ओर.”

18किंतु इस विषय में एदोम का जवाब था:

“आप लोग हमारे देश में से होकर नहीं जाएंगे, नहीं तो हम आपको तलवार से रोकेंगे.”

19इस्राएलियों ने उससे दोबारा विनती की:

“हम सिर्फ राजमार्ग से ही यात्रा करेंगे और यदि हमारे पशु आपका ज़रा सा भी जल पिएंगे, तब हम इसका मूल्य भुगतान कर देंगे. हमें सिर्फ यहां से पैदल ही पैदल जाने की अनुमति दे दीजिए, इसके अलावा कुछ भी नहीं.”

20किंतु उसका उत्तर यही था:

“तुम यहां से होकर नहीं जाओगे.”

तब एदोम उनके विरुद्ध एक मजबूत सेना तथा पक्‍के इरादे के साथ खड़ा हो गया. 21एदोम ने इस्राएल को अपने देश में से होकर जाने की अनुमति नहीं दी; इसलिये इस्राएल ने उस देश से होकर जाने का विचार छोड़ दिया.

अहरोन की मृत्यु

22इस्राएल के घराने ने कादेश से कूच किया, और पूरी इस्राएली सभा होर पर्वत तक पहुंच गई. 23एदोम की सीमा पर होर पर्वत पर याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन को सूचित किया, 24“अहरोन को उसके पूर्वजों में मिल जाना है; क्योंकि वह उस देश में प्रवेश नहीं करेगा, जो मैंने इस्राएल के घराने को दिया है, क्योंकि तुम दोनों ने मेरिबाह के जल पर मेरे आदेश का विद्रोह किया था. 25अहरोन तथा उसके पुत्र एलिएज़र को होर पर्वत पर ले जाओ. 26वहां अहरोन के पुरोहित वस्त्र उतारकर उसके पुत्र एलिएज़र को पहना देना. फिर अहरोन अपने लोगों में मिल जाएगा; वहां उसका देहांत हो जाएगा.”

27तब मोशेह ने ठीक वही किया, जैसा याहवेह ने आदेश दिया था: वे सारी सभा की दृष्टि में होर पर्वत पर चढ़ गए. 28जब मोशेह ने वे कपड़े अहरोन से उतारकर उसके पुत्र एलिएज़र को पहनाए, तब अहरोन ने वहां पर्वत शिखर पर अपने प्राणों को त्याग दिया. इसके बाद मोशेह एवं एलिएज़र पर्वत से नीचे उतर गए, 29जब सारी सभा को यह मालूम चला कि अहरोन की मृत्यु हो चुकी है, तब सारे इस्राएल के घराने ने तीस दिन अहरोन के लिए विलाप किया.

Chinese Contemporary Bible 2023 (Traditional)

民數記 20:1-29

磐石出水

1一月,以色列全體會眾抵達曠野,在加低斯安營。米利暗離世,葬在那裡。 2會眾沒有水喝,就聚集起來反對摩西亞倫3他們跟摩西吵鬧說:「還不如當初跟我們的弟兄一起死在耶和華面前! 4你們為什麼領耶和華的會眾到這曠野來,要叫我們和牲畜都死在這裡嗎? 5你們為什麼帶我們出埃及,到這不毛之地?這裡沒有五穀、無花果樹、葡萄樹和石榴樹,甚至沒有水喝。」 6摩西亞倫離開會眾到會幕門口,俯伏在地。耶和華的榮光向他們顯現。 7耶和華對摩西說: 8「你拿著杖和你哥哥亞倫招聚會眾,當著他們的面吩咐磐石流出水來,水就會從磐石流出,供會眾和牲畜喝。」 9摩西遵命而行,從耶和華面前取了杖, 10然後和亞倫把會眾招聚到磐石前,說:「你們這些叛逆之徒聽著,非要我們叫磐石給你們流出水來嗎?」 11接著,摩西舉起手中的杖擊打磐石兩下,水便噴湧而出,會眾和牲畜都喝了。

12耶和華對摩西亞倫說:「你們對我沒有足夠的信心,沒有當著以色列人的面尊我為聖,所以你們不得帶領會眾進入我所賜之地。」 13這地方叫米利巴泉,因為以色列人在那裡與耶和華爭鬧,耶和華就向他們彰顯了祂的聖潔。

以東王不借路

14摩西加低斯派使者去見以東王,說:「你的弟兄以色列人說,你知道我們遭遇的種種困難。 15我們祖先到埃及寄居多年,我們世代受埃及人虐待。 16但我們呼求耶和華,祂就垂聽了我們的聲音,差遣天使帶我們出埃及。現在我們來到你邊境的加低斯城, 17求你容我們借道貴國。我們不會踏入田地和葡萄園,也不會喝井裡的水,只走王的大路,不會偏離左右,直到走出貴國。」 18以東王卻說:「你們不可從我這裡經過,否則我必兵戎相見。」 19以色列人說:「我們只走大路,倘若我們和牲畜喝了你的水,我們會付錢。我們別無他求,只求步行穿過貴國。」 20以東王仍然不准,還率領大軍嚴陣以待。 21由於以東王不讓以色列人穿過他的領土,以色列人只好繞道。

亞倫離世

22以色列全體會眾從加低斯出發,來到何珥山。 23耶和華在位於以東邊界的何珥山對摩西亞倫說: 24亞倫要歸到他祖先那裡,他不能進入我賜給以色列人的土地,因為你們在米利巴泉違背了我的命令。 25你要帶亞倫和他兒子以利亞撒何珥山, 26亞倫的聖衣脫下來給他兒子以利亞撒穿上,因為亞倫將歸到他祖先那裡,死在山上。」 27摩西遵命而行。他們三人就當著全體會眾的面上了何珥山。 28摩西亞倫的聖衣脫下,給他兒子以利亞撒穿上。隨後亞倫在山頂離世。摩西以利亞撒便下了山。 29以色列全體會眾得知亞倫離世,就為他哀悼了三十天。